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क्राइम न्यूज़: कोलकाता के अंग्रेजी मीडियम के एक स्कूल के टीचर उस वक्त हैरान रह गए जब 10 साल की एक छात्रा ने 'माई फैमिली' शीर्षक वाले एसे में लिखा कि उसके पापा हर रोज उसकी मां की पिटाई करते हैं. यह घटना कोलकाता के सॉल्ट लेक इलाके की है.
लिखा- यही मेरा परिवार है
पांचवीं कक्षा की इस छात्रा ने निबंध में अपने परिवार के बारे में लिखा, 'मेरे पिता बुरे आदमी हैं. वह रोज मेरी मां की पिटाई करते हैं . किसी को हमारी परवाह नहीं है. हमारे चाचा भी हमारी नहीं सुनते. पापा मेरी पिटाई भी करते हैं. यही मेरा परिवार है.'
पांचवीं कक्षा की इस छात्रा ने निबंध में अपने परिवार के बारे में लिखा, 'मेरे पिता बुरे आदमी हैं. वह रोज मेरी मां की पिटाई करते हैं . किसी को हमारी परवाह नहीं है. हमारे चाचा भी हमारी नहीं सुनते. पापा मेरी पिटाई भी करते हैं. यही मेरा परिवार है.'
बड़ी होकर मां को पापा से दूर ले जाऊंगी
बच्ची ने निबंध में यह भी लिखा है कि वह बड़ी होकर अपनी मां को पापा से दूर ले जाएगी. इस निबंध को पढ़कर उसके टीचर हतप्रभ रह गए, क्योंकि उन्हें इस बात की बिल्कुल भनक नहीं थी कि यह बच्ची इन तकलीफों से गुजर रही है.
बच्ची ने निबंध में यह भी लिखा है कि वह बड़ी होकर अपनी मां को पापा से दूर ले जाएगी. इस निबंध को पढ़कर उसके टीचर हतप्रभ रह गए, क्योंकि उन्हें इस बात की बिल्कुल भनक नहीं थी कि यह बच्ची इन तकलीफों से गुजर रही है.
मां-बाप की काउंसलिंग कराई गई
बच्ची के पेपर की जांच करने वाले क्लास टीचर ने कहा, 'मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या करूं. मैंने स्कूल प्रिंसिपल से बात की और स्कूल के काउंसलर से भी संपर्क किया.' घटना के बाद लड़की के माता-पिता को बुलाया गया और काउंसलिंग के बाद दोनों से कहा गया कि वे अलग-अलग रहें या बच्ची से दोबारा सम्मान पाने के लिए पिता अच्छा व्यवहार करें.
बच्ची के पेपर की जांच करने वाले क्लास टीचर ने कहा, 'मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या करूं. मैंने स्कूल प्रिंसिपल से बात की और स्कूल के काउंसलर से भी संपर्क किया.' घटना के बाद लड़की के माता-पिता को बुलाया गया और काउंसलिंग के बाद दोनों से कहा गया कि वे अलग-अलग रहें या बच्ची से दोबारा सम्मान पाने के लिए पिता अच्छा व्यवहार करें.
क्या कहते हैं मनोवैज्ञानिक?
इस संबंध में पूछे जाने पर शहर के मनोवैज्ञानिक जयराजन राम ने कहा, ' बच्ची के व्यवहार को बचकाना नहीं कहा जा सकता. उसने अपनी दमित भावनाओं को इस निबंध से दिखाया है, जो भावनाएं वह अब तक जाहिर नहीं कर पाई थी.'
इस संबंध में पूछे जाने पर शहर के मनोवैज्ञानिक जयराजन राम ने कहा, ' बच्ची के व्यवहार को बचकाना नहीं कहा जा सकता. उसने अपनी दमित भावनाओं को इस निबंध से दिखाया है, जो भावनाएं वह अब तक जाहिर नहीं कर पाई थी.'
कोलकाता के मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि जिंदगी के कुछ कड़वे हिस्से होते हैं, वह हम अपने करीबी दोस्तों से भी शेयर नहीं कर सकते. इसे लिख देना ज्यादा आसान होता है.
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