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देश विदेश: जेटली ने पीटीआई भाषा से साक्षात्कार में कहा, ‘‘दुनिया भारत को एक आशा की किरण के रूप में देखती है, क्योंकि सिर्फ हम ही ऐसे हैं जो सात प्रतिशत से अधिक की दर से वृद्धि दर्ज कर रहे हैं. निवेशक भारत में निवेश कर रहे हैं और भारत की ओर सकारात्मक तरीके से देख रहे हैं.’’
जेटली यहां विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की वाषिर्क बैठक में शामिल होने आए थे. यह बैठक कल रात संपन्न हो गई. उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र को सतर्कता छोड़कर निवेश करना चाहिए.
वित्त मंत्री के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की 7-7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर को और बढ़ाने की गुंजाइश है और उसके कुछ अतिरिक्त वृद्धि के इंजनों की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सरकार का ध्यान फिलहाल निजी क्षेत्र के निवेश में सुधार और अधिक विदेशी निवेश आकषिर्त करने पर है.
वित्त मंत्री जेटली ने कहा, ‘‘मेरा अपना मानना है कि ऐसी अर्थव्यवस्था और कंपनियां जो मुख्य रूप से सेवा क्षेत्र पर निर्भर हैं, इस स्थिति में टिकी हुई हैं. वहीं ऐसी कंपनियां या अर्थव्यवस्थाएं जो उर्जा, तेल, धातु और जिंसों पर निर्भर हैं, बुरी तरीके से प्रभावित हुई हैं.’’
उन्होंने कहा कि मूड गहरी चिंता का है. वैश्विक नेताओं से परिचर्चा और पैनल विचार विमर्श से उभरी प्रमुख बातों के बारे में पूछने पर जेटली ने कहा कि यहां एकमत से राय यही थी कि भारत को उचित और जिम्मेदाराना तरीके से सुधारों को आगे बढ़ाना चाहिए और मौजूदा आर्थिक परिदृश्य में और वृद्धि दर्ज करनी चाहिए.
जेटली ने कहा कि वैश्विक नेताओं और डब्ल्यूईएफ के अन्य भागीदारों का मूड चिंता वाला था. वित्त मंत्री ने कहा कि भारत को वैश्विक सुस्ती से बचाव के लिए अपने ढांचागत सुधारों की राह पर आगे बढ़ना चाहिए.
वित्त मंत्री ने कहा कि एक साथ कई प्रकार की चुनौतियां उभरी हैं. चीन को लेकर चिंता है हालांकि चीन के लोगों का ही कहना है कि उसके लिए अब दो अंकीय वृद्धि दर्ज करना संभव नहीं है और वे सात प्रतिशत की वृद्धि दर को नया सामान्य स्तर मानते हैं. लेकिन वैश्विक स्तर पर चीन को लेकर अभी काफी चिंता बनी हुई है.
वित्त मंत्री जेटली ने आगे कहा कि कच्चे तेल, धातु तथा जिंसों का उत्पादन करने वाले देश गंभीर चुनौती का सामना कर रहे हैं और इस बात को लेकर भी चिंता है कि अमेरिका में चौथी तिमाही संभवत: अच्छे नतीजे नहीं देगी. उन्होंने कहा कि इन मुद्दों को लेकर वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता बढ़ी है. इससे कई बाजारों में निवेश का समायोजन करना पड़ा है.
उन्होंने कहा कि ऐसे में वैश्विक स्तर पर शेयर बाजार बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. वे वैश्विक स्तर पर एकीकृत हैं. दुनिया के अधिकांश हिस्सों में मुद्राएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं. हालांकि, भारत के मामले में मुद्रा का प्रभाव कम है, लेकिन कुल मिलाकर असर पड़ा है.
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