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अगर स्तनपान (breastfeeding) और शिशु के आहार से संबधित बातें आपकी लिए बिलकुल नई हैं और आपको इस बारे में किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए बहुतखास और फायदेमंद है। बच्चों में कुछ खास लक्षणों या संकेतों को पहचान कर आप उनकी बातों को समझने की कोशिश अच्छी तरह कर सकते हैं। एक से छः माह तक की उम्र में आपके शिशु को पूरे दिन में लगभग आठ से पंद्रह बार स्तनपान करने की ज़रूरत पड़ती है। शिशु जीवन के इन शुरुआती समय के दौरान माँ का यह दूध उसके लिए एक सम्पूर्ण और पुष्टिवर्धक आहार होता है। माँ के दूध के अलावा इस दौरान अन्य कहीं से शिशु को किसी प्रकार का कोई पोषक तत्व नहीं मिलता, इसीलिए यह बात जानना बहुत ज़रूरी होता है कि आपके शिशु को सही मात्रा में खाद्य मिल रहा है या नहीं या स्तनपान के बाद उसका पेट पूरी तरह से भरा है या नहीं? अगर आपके शिशु को पर्याप्त मात्रा में माँ का दूध (breast milk) नहीं मिल रहा है तो यह उसके लिए नुकसानदायक हो सकता है क्योंकि माँ के दूध का प्रभाव शिशु के मानसिक और शारीरिक विकास पर पड़ता है, इस दौरान उसे बाहर कहीं और से किसी प्रकार का भोजन नहीं दिया जाता इसलिए पर्याप्त मात्रा में माँ का दूध बच्चे या शिशु के लिए बहुत ज़रूरी है। तो इन सभी बातों को जानने के बाद अपने शिशु को भूखा न रहने दें और इस बात का पता लगाएँ कि उसका पेट पूरी तरह भरा है या नहीं। इसके लिए आपको इस बात की अच्छी तरह जांच पड़ताल करनी होगी कि आपका दूध उसके लिए पर्याप्त है या नहीं?
बच्चे के जन्म के बाद से लेकर 6 माह तक की उम्र के लिए केवल माँ का दूध ही बच्चे का आहार होता है उसे किसी प्रकार का बाहरी भोजन नहीं दिया जा सकता। माँ यह यह दूध बच्चे के लिए बहुत ज़रूरी भी होता है क्योंकि इसमें सभी पोषक तत्व, मिनरल्स आदि उचित मात्रा में स्तनपान के माध्यम से शिशु के शरीर में पहुँच जाते हैं जो उसके विकास (development) के लिए बहुत ज़रूरी और लाभकारी है। इसलिए आपने सुना भी होगा की माँ का दूध किसी भी तरह के बाहरी खाद्य या पाउडर दूध आदि से काफी बेहतर होता है। माँ का यह दूध उसको पोषण देने के साथ साथ शिशु की भूख को बढ़ाने में भी सहायक होता है। कई बार स्वयं माँ भी नहीं समझ पाती की उनके शिशु को पर्याप्त मात्रा में दूध या आहार नहीं मिल पा रहा है। यहाँ शिशुओं और माँ से संबन्धित कुछ ऐसी बातें बताई जा रही हैं जिनके द्वारा आप समझ पाएँगी कि आपके शिशु को आप पर्याप्त मात्रा में स्तनपान करा रही हैं या नहीं, और साथ ही बच्चे को कितनी मात्रा में स्तनपान करना ज़रूरी है?
शिशु को स्तनपान कराने के बाद आप महसूस कर सकती हैं कि आपके स्तन हल्के और कोमल महसूस होते हैं। जब शिशु को स्तनपान कराने की ज़रूरत होती है तो आप देख सकती हैं कि आपके स्तन (breast) पहले से ज़्यादा भारी (heavy) महसूस होंगे और साथ ही आप को ऐसा भी महसूस होगा जैसे आपके स्तनों में दूध की मात्रा बहुत बढ़ गई है। स्तनपान कराते वक़्त एक बार में जितना दूध आता है वह शिशु के लिए पर्याप्त होता है। तो अब से आप अपने स्तनों की दशा के अनुसार अंदाज़ा लगा सकती हैं कि कब आपके शिशु को स्तनपान कराने की ज़रूरत है।
अपने शिशु कि त्वचा पर गौर करें। जब आपके शिशु का पेट अच्छी तरह भरा होगा और आप पर्याप्त मात्रा में उसे स्तनपान करा देंगी तो देख सकती हैं कि शिशु की त्वचा सुदृढ़ और कोमल दिखाई देती है साथ ही बाहरी त्वचा में काफी बाउन्सी (bouncy) महसूस होती है। शिशु को पर्याप्त आहार मिलने पर यह पहले से स्वस्थ और उत्साह से भरपूर दिखाई देता है। इन सभी बातों को समझकर आप उसकी भूख का अंदाज़ा बेहतर तरीके से लगा सकती हैं। यह संकेत यह निर्धारित करने में मदद करते हैं कि शिशु को कब और कितनी देर के भीतर पुनः स्तनपान कराना है।
यह सबसे आसान तरीका जिसके माध्यम से आप यह जान सकती हैं कि आपके शिशु को पर्याप्त मात्रा में भोजन के साथ पोषण भी मिल रहा है या नहीं? स्तनपान करने वाले शिशु के मल का रंग गहरे पीले, भूरे या हरे रंग का हो सकता है। स्तनपान की वजह से शिशु का मल (stool) गाढ़ा, लसलसा और आसानी से निकलने वाला होना चाहिए। अगर शिशु के मल की गंध सामान्य है और ज़्यादा बुरी नहीं है तो इससे यह पता चलता है कि, शिशु का पेट पर्याप्त मात्रा में भरा हुआ है।
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स्तनपान कराने के बाद अक्सर माँ निश्चिंत हो जाती हैं कि उनके शिशु (baby)
का पेट अब पूरी तरह से भरा हुआ है और अब कुछ समय तक उसे भूख नहीं सताएगी।
पर बच्चे या शिशु की भूख के बारे में सही अंदाज़ा लगाना वाकई एक बहुत बड़ी
चुनौती है और जो महिलाएं अभी हाल ही में माँ बनी हैं उनके लिए तो यह एक
बहुत परेशानी भरा प्रश्न है कि, क्या उनके शिशु का पेट ठीक से भरा हुआ है?
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अगर स्तनपान (breastfeeding) और शिशु के आहार से संबधित बातें आपकी लिए बिलकुल नई हैं और आपको इस बारे में किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए बहुतखास और फायदेमंद है। बच्चों में कुछ खास लक्षणों या संकेतों को पहचान कर आप उनकी बातों को समझने की कोशिश अच्छी तरह कर सकते हैं। एक से छः माह तक की उम्र में आपके शिशु को पूरे दिन में लगभग आठ से पंद्रह बार स्तनपान करने की ज़रूरत पड़ती है। शिशु जीवन के इन शुरुआती समय के दौरान माँ का यह दूध उसके लिए एक सम्पूर्ण और पुष्टिवर्धक आहार होता है। माँ के दूध के अलावा इस दौरान अन्य कहीं से शिशु को किसी प्रकार का कोई पोषक तत्व नहीं मिलता, इसीलिए यह बात जानना बहुत ज़रूरी होता है कि आपके शिशु को सही मात्रा में खाद्य मिल रहा है या नहीं या स्तनपान के बाद उसका पेट पूरी तरह से भरा है या नहीं? अगर आपके शिशु को पर्याप्त मात्रा में माँ का दूध (breast milk) नहीं मिल रहा है तो यह उसके लिए नुकसानदायक हो सकता है क्योंकि माँ के दूध का प्रभाव शिशु के मानसिक और शारीरिक विकास पर पड़ता है, इस दौरान उसे बाहर कहीं और से किसी प्रकार का भोजन नहीं दिया जाता इसलिए पर्याप्त मात्रा में माँ का दूध बच्चे या शिशु के लिए बहुत ज़रूरी है। तो इन सभी बातों को जानने के बाद अपने शिशु को भूखा न रहने दें और इस बात का पता लगाएँ कि उसका पेट पूरी तरह भरा है या नहीं। इसके लिए आपको इस बात की अच्छी तरह जांच पड़ताल करनी होगी कि आपका दूध उसके लिए पर्याप्त है या नहीं?
बच्चे के जन्म के बाद से लेकर 6 माह तक की उम्र के लिए केवल माँ का दूध ही बच्चे का आहार होता है उसे किसी प्रकार का बाहरी भोजन नहीं दिया जा सकता। माँ यह यह दूध बच्चे के लिए बहुत ज़रूरी भी होता है क्योंकि इसमें सभी पोषक तत्व, मिनरल्स आदि उचित मात्रा में स्तनपान के माध्यम से शिशु के शरीर में पहुँच जाते हैं जो उसके विकास (development) के लिए बहुत ज़रूरी और लाभकारी है। इसलिए आपने सुना भी होगा की माँ का दूध किसी भी तरह के बाहरी खाद्य या पाउडर दूध आदि से काफी बेहतर होता है। माँ का यह दूध उसको पोषण देने के साथ साथ शिशु की भूख को बढ़ाने में भी सहायक होता है। कई बार स्वयं माँ भी नहीं समझ पाती की उनके शिशु को पर्याप्त मात्रा में दूध या आहार नहीं मिल पा रहा है। यहाँ शिशुओं और माँ से संबन्धित कुछ ऐसी बातें बताई जा रही हैं जिनके द्वारा आप समझ पाएँगी कि आपके शिशु को आप पर्याप्त मात्रा में स्तनपान करा रही हैं या नहीं, और साथ ही बच्चे को कितनी मात्रा में स्तनपान करना ज़रूरी है?
शिशु को स्तनपान कराने के बाद आप महसूस कर सकती हैं कि आपके स्तन हल्के और कोमल महसूस होते हैं। जब शिशु को स्तनपान कराने की ज़रूरत होती है तो आप देख सकती हैं कि आपके स्तन (breast) पहले से ज़्यादा भारी (heavy) महसूस होंगे और साथ ही आप को ऐसा भी महसूस होगा जैसे आपके स्तनों में दूध की मात्रा बहुत बढ़ गई है। स्तनपान कराते वक़्त एक बार में जितना दूध आता है वह शिशु के लिए पर्याप्त होता है। तो अब से आप अपने स्तनों की दशा के अनुसार अंदाज़ा लगा सकती हैं कि कब आपके शिशु को स्तनपान कराने की ज़रूरत है।
अपने शिशु कि त्वचा पर गौर करें। जब आपके शिशु का पेट अच्छी तरह भरा होगा और आप पर्याप्त मात्रा में उसे स्तनपान करा देंगी तो देख सकती हैं कि शिशु की त्वचा सुदृढ़ और कोमल दिखाई देती है साथ ही बाहरी त्वचा में काफी बाउन्सी (bouncy) महसूस होती है। शिशु को पर्याप्त आहार मिलने पर यह पहले से स्वस्थ और उत्साह से भरपूर दिखाई देता है। इन सभी बातों को समझकर आप उसकी भूख का अंदाज़ा बेहतर तरीके से लगा सकती हैं। यह संकेत यह निर्धारित करने में मदद करते हैं कि शिशु को कब और कितनी देर के भीतर पुनः स्तनपान कराना है।
यह सबसे आसान तरीका जिसके माध्यम से आप यह जान सकती हैं कि आपके शिशु को पर्याप्त मात्रा में भोजन के साथ पोषण भी मिल रहा है या नहीं? स्तनपान करने वाले शिशु के मल का रंग गहरे पीले, भूरे या हरे रंग का हो सकता है। स्तनपान की वजह से शिशु का मल (stool) गाढ़ा, लसलसा और आसानी से निकलने वाला होना चाहिए। अगर शिशु के मल की गंध सामान्य है और ज़्यादा बुरी नहीं है तो इससे यह पता चलता है कि, शिशु का पेट पर्याप्त मात्रा में भरा हुआ है।
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