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बेहद आसानी से हो सकेगी सैनिकों की आवाजाही
अरुणाचल प्रदेश के मेचोका एडवांस लैंडिग ग्राउंड पर सी-17 ग्लोबमास्टर के उतरने से सीमा पर बेहद आसानी से सैनिकों की आवाजाही हो सकेगी। साथ ही सेना को रसद, राशन, हथियार और दूसरे उपकरण भी चीना सीमा पर भेजने में आसानी हो जाएगी।
ग्लोबमास्टर ने घटाई सैकड़ों मील की दूरी
जिस हवाई पट्टी मेचोका एडवांस लैंडिंग ग्राउंड यानि एएलजी पर ये लैंडिंग हुई वो जमीन से साढ़े छह हजार फीट की उंचाई पर है। इस एयर-स्ट्रीप की लंबाई मात्र 4200 फीट है। ऐसे में इतने बड़े एयरक्राफ्ट को इतने छोटे लैंडिंग ग्राउंड पर उतारना मायने रखता है।
डेमचोक इलाके में भारत और चीन के बीच टकराव
भारतीय वायुसेना के लिए ग्लोबमास्टर की सफल लैंडिंग इसलिए भी खास है, क्योंकि पिछले 2 दिनों से लद्दाख के डेमचोक इलाके में भारत और चीन के बीच टकराव चल रहा है। चीन के सैनिकों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के बेहद करीब एक नाले के निर्माण को रुकवा दिया था। चीन की इस हरकत के बाद इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस फोर्स और सेना के जवानों ने भी चीन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।
सीमा पर ऐसे हालातों में चीन कभी भी कोई चाल चल सकता है, जिसका जवाब देने के लिए ग्लोबमास्टर जैसे ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के जरिए भारतीय सैनिकों को चीन को मुंहतोड़ जवाब देने में काफी मदद मिलेगी।
सैनिकों को बिना देरी के चीन सीमा तक पहुंचाने का काम करेगा ग्लोबमास्टर
जिस मेचोका हवाई पट्टी पर ग्लोबमास्टर ने लैंडिंग की वो चीन सीमा से सिर्फ 29 किलोमीटर की दूरी पर है। गुवाहाटी से सड़क के रास्ते यहां तक पहुंचने में दो दिन का वक्त लगता है। गुवाहाटी से मेचोका की दूरी 500 किलोमीटर है, लेकिन यहां तक पहुंचने का रास्ता बेहद ऊंचाई पर है और खतरों से भरा है. ऐसे में ग्लोबमास्टर सैनिकों को बिना देरी के चीन सीमा तक पहुंचाने का काम करेगा।
ग्लोबमास्टर बैठ सकते हैं 150 जवान
सी 17 ग्लोबमास्टर को अमेरिका से खरीदा गया था और 2011 में इसे वायुसेना में शामिल किया गया था। ग्लोबमास्टर की क्षमता 80 टन वजन की है, इसमें करीब 150 जवान एक साथ बैठ सकते हैं।
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मेचोका: लद्दाख में दो दिनो से चीनी सेना से चल रहे तनाव के बीच
वायुसेना ने अपना सबसे बड़ा मिलेट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट ग्लोबमास्टर
अरुणाचल प्रदेश में चीन सीमा के बेहद करीब एक छोटी हवाई पट्टी पर मेचोका
में लैंड करा दिया है।
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बेहद आसानी से हो सकेगी सैनिकों की आवाजाही
अरुणाचल प्रदेश के मेचोका एडवांस लैंडिग ग्राउंड पर सी-17 ग्लोबमास्टर के उतरने से सीमा पर बेहद आसानी से सैनिकों की आवाजाही हो सकेगी। साथ ही सेना को रसद, राशन, हथियार और दूसरे उपकरण भी चीना सीमा पर भेजने में आसानी हो जाएगी।
ग्लोबमास्टर ने घटाई सैकड़ों मील की दूरी
जिस हवाई पट्टी मेचोका एडवांस लैंडिंग ग्राउंड यानि एएलजी पर ये लैंडिंग हुई वो जमीन से साढ़े छह हजार फीट की उंचाई पर है। इस एयर-स्ट्रीप की लंबाई मात्र 4200 फीट है। ऐसे में इतने बड़े एयरक्राफ्ट को इतने छोटे लैंडिंग ग्राउंड पर उतारना मायने रखता है।
डेमचोक इलाके में भारत और चीन के बीच टकराव
भारतीय वायुसेना के लिए ग्लोबमास्टर की सफल लैंडिंग इसलिए भी खास है, क्योंकि पिछले 2 दिनों से लद्दाख के डेमचोक इलाके में भारत और चीन के बीच टकराव चल रहा है। चीन के सैनिकों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के बेहद करीब एक नाले के निर्माण को रुकवा दिया था। चीन की इस हरकत के बाद इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस फोर्स और सेना के जवानों ने भी चीन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।
सीमा पर ऐसे हालातों में चीन कभी भी कोई चाल चल सकता है, जिसका जवाब देने के लिए ग्लोबमास्टर जैसे ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के जरिए भारतीय सैनिकों को चीन को मुंहतोड़ जवाब देने में काफी मदद मिलेगी।
सैनिकों को बिना देरी के चीन सीमा तक पहुंचाने का काम करेगा ग्लोबमास्टर
जिस मेचोका हवाई पट्टी पर ग्लोबमास्टर ने लैंडिंग की वो चीन सीमा से सिर्फ 29 किलोमीटर की दूरी पर है। गुवाहाटी से सड़क के रास्ते यहां तक पहुंचने में दो दिन का वक्त लगता है। गुवाहाटी से मेचोका की दूरी 500 किलोमीटर है, लेकिन यहां तक पहुंचने का रास्ता बेहद ऊंचाई पर है और खतरों से भरा है. ऐसे में ग्लोबमास्टर सैनिकों को बिना देरी के चीन सीमा तक पहुंचाने का काम करेगा।
ग्लोबमास्टर बैठ सकते हैं 150 जवान
सी 17 ग्लोबमास्टर को अमेरिका से खरीदा गया था और 2011 में इसे वायुसेना में शामिल किया गया था। ग्लोबमास्टर की क्षमता 80 टन वजन की है, इसमें करीब 150 जवान एक साथ बैठ सकते हैं।
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