थमेगा रेल बजट 92 साल का सफर

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नयी दिल्ली: रेल बजट और आम बजट भारतीय जनमानस के लिए ये वो शब्द हैं जिनका जिक्र हर साल फरवरी माह में आता है और पहले रेल बजट उसके बाद आम बजट पेश करने की परंपरा रही है, लेकिन 92 सालों से लगातार चली आ रही रेलवे बजट की परंपरा अब खत्म हो सकती है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने पांच सदस्यों की समिति बनायी है। जो दोनों बजट का अध्ययन कर विलय पर काम करेगी।
ब्रिटिशर्स जमाने से चले आ रहे रेल बजट का प्रवाधान जल्द ही बंद करने पर विचार किया जा रहा है गौरतलब है कि पहली बार रेल बजट 1924 में पेश किया गया था। 
सूत्रों के मुताबिक नीति आयोग के दो मेंबर बिबेक देबरॉय और किशोर देसाई ने भी अलग से रेल बजट पेश करने को खत्म करने कहा था।रिपोर्ट के मुताबिक रेलवे का इस्तेमाल सहयोगी पार्टियां अपनी छवि चमकाने के लिए करती है। कई बार ऐसा हुआ है कि गठबंधन सरकार में रेल मंत्रालय सहयोगी पार्टियों के पास रहा है। 

ऐसे में सहयोगी पार्टियों के मंत्री सरकार पर दबाव डाला करते थे। रेलवे बजट वित्त मंत्रालय के बजट के साथ पेश होने पर इस तरह की चीजों पर रोक लगेगी। 

रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने 9 अगस्त को राज्यसभा में कहा था कि उन्होंने फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली से रेल बजट को सामान्य बजट में शामिल करने के लिए बात की है। उन्होंने ये भी कहा था कि ये देश की इकोनॉमी के लिहाज से भी ठीक रहेगा।
रेल बजट के सामान्य बजट में पेश होने के बाद उसे भी अन्य डिपार्टमेंट्स की तरह पैसा अलॉट होगा। लेकिन इसके खर्च और कमाई पर फाइनेंस मिनिस्ट्री नजर रखेगी। दरअसल सातवां वेतन आयोग लागू होने से रेलवे पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है।



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