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मुस्लिम महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर ट्रिपल तलाक को चुनौती दी है। इसके साथ ही महिला ने तलाकशुदा पति से शादी करने पर रोक (हालाला) को भी चुनौती दी है।
महिला ने मुस्लिम पर्सनल लॉ के इन प्रावधानों को गैरकानूनी और असंवैधानिक बताया है।
शायरा बानो नामक मुस्लिम महिला की ओर से दाखिल इस याचिका पर न्यायमूर्ति अनिल आर दवे और न्यायमूर्ति आदर्श गोयल की पीठ ने केंद्र सरकार को 28 मार्च तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
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मुस्लिम महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर ट्रिपल तलाक को चुनौती दी है। इसके साथ ही महिला ने तलाकशुदा पति से शादी करने पर रोक (हालाला) को भी चुनौती दी है।
महिला ने मुस्लिम पर्सनल लॉ के इन प्रावधानों को गैरकानूनी और असंवैधानिक बताया है।
शायरा बानो नामक मुस्लिम महिला की ओर से दाखिल इस याचिका पर न्यायमूर्ति अनिल आर दवे और न्यायमूर्ति आदर्श गोयल की पीठ ने केंद्र सरकार को 28 मार्च तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
इससे पहले याचिकाकर्ता महिला की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अमित सिंह चड्ढा और बालाजी श्रीनिवासन ने कहा कि ट्रिपल तलाक व बहुविवाह पर सऊदी अरब, पाकिस्तान, इराक समेत कई इस्लामिक देशों में रोक है, लेकिन भारतीय मुस्लिम महिलाओं को अब भी यह दुख झेलना पड़ रहा है।
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही स्वत: संज्ञान लेते हुए मुस्लिम महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव का परीक्षण करने का निर्णय लिया है।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि यह न सिर्फ पॉलिशी मैटर है, बल्कि� मूल अधिकारों से जुड़ा मामला भी है। कई दफा पति द्वारा मनमाने तरीके से तलाक लेने या पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी करने जैसे मामले में मुस्लिम महिलाएं भेदभाव की शिकार हो जाती हैं।
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही स्वत: संज्ञान लेते हुए मुस्लिम महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव का परीक्षण करने का निर्णय लिया है।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि यह न सिर्फ पॉलिशी मैटर है, बल्कि� मूल अधिकारों से जुड़ा मामला भी है। कई दफा पति द्वारा मनमाने तरीके से तलाक लेने या पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी करने जैसे मामले में मुस्लिम महिलाएं भेदभाव की शिकार हो जाती हैं।
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