हरियाणा : जाट आरक्षण में बुरी तरह फंसी भाजपा

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जाट आरक्षण में हुई हिंसा के सवाल पर हरियाणा सरकार और भाजपा की राज्य इकाई जाट और गैरजाट में बुरी तरह से बंट गई है। राज्य के गैरजाट विधायक, सांसद और मंत्रियों ने आलाकमान के समक्ष व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर दो जाट मंत्रियों कैप्टन अभिमन्यु और ओमप्रकाश धनखड़ के खिलाफ खुला मोर्चा खोल दिया है।

इनका कहना है कि भले ही आलाकमान जाट कोटे से दो की जगह तीन मंत्री बना दे, मगर इन दो मंत्रियों की तत्काल छुट्टी करे। जबकि जाट विधायक, सांसद और मंत्री सांसद राजकुमार सैनी के खिलाफ तत्काल कार्रवाई पर अड़ गए हैं। स्थिति हाथ से बाहर जाते देख भाजपा नेतृत्व ने शुक्रवार को राज्य कोरग्रुप की बैठक बुलाई है।

गैरजाट नेताओं ने इस बैठक में भी जाट मंत्रियों के साथ-साथ राज्य के पुलिस महानिदेशक के खिलाफ तत्काल कार्रवाई, सैनी के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई और आंदोलन में मारे गए जाट बिरादरी के लोगों के परिवारों को किसी भी तरह की सहायता दिए जाने का विरोध करने का निर्णय लिया है। इसके ठीक उलट जाट नेताओं ने सैनी के खिलाफ हर हाल में कार्रवाई और आरक्षण की ओबीसी कोटे में तत्काल व्यवस्था कराए जाने की मांग रखने का निर्णय लिया है।

आरक्षण के सवाल पर भाजपा नेतृत्व के सामने हरियाणा की कलह ने आगे गड्ढा पीछे खाई की स्थिति पैदा कर दी है। गैरजाट नेता जहां जाटों को न केवल ओबीसी कोटे से आरक्षण देने केखुल कर खिलाफ हैं, बल्कि जाट मंत्रियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई चाहते हैं।

इस मुद्दे पर विधायक, सांसद और मंत्रियों के स्तर पर हुई सार्वजनिक बयानबाजी के बाद स्थिति संभालने के लिए नेतृत्व को कोरग्रुप की बैठक बुलानी पड़ी है। इस बैठक से पहले दोनों खेमे ने एक दूसरे पर सीधा हमला बोलने की जमीन तैयार कर ली है। कोरग्रुप के गैरजाट सदस्य जहां अभिमन्यु-धनखड़ के साथ साथ केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री संजीव बालियान पर निशाना साधेंगे, वहीं जाट सदस्यों के निशाने पर सांसद सैनी होंगे।

राज्य से केंद्र सरकार में राज्य मंत्री का कहना था कि आरक्षण के दौरान हिंसा, आगजनी, बलात्कार की घटनाओं के कारण गैरजाट बिरादरी काफी नाराज है। अगर इन्हें संतुष्ट करने के बदले जाट बिरादरी के प्रति सहानुभूति दिखाई गई तो राज्य में नए सिरे से आंदोलन का दौर शुरू हो सकता है। उन्होंने कहा कि हम नेतृत्व को बताएंगे कि राज्य सरकार के दोनों जाट मंत्रियों के साथ साथ बालियान ने भी उकसाने वाली बयानबाजी की।

सैनी ने इसी का जवाब दिया। जबकि कोरग्रुप के जाट सदस्य का कहना था कि आरक्षण और मुआवजे का अगर सही समय पर घोषणा और सैनी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो जाट बिरादरी फिर से आंदोलन की राह पकड़ सकती है। नेतृत्व के सामने मुश्किल यह है कि राज्य में एक तरफ जहां 47 में से 41 विधायक गैरजाट हैं, वहीं जाटों का पांच राज्यों में व्यापक सियासी दखल है। ऐसे में किसी एक बिरादरी का पक्ष लेना उसके लिए घाटे का सौदा साबित हो सकता है।
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