शनि पूजा विवाद में कूदे शंकराचार्य


-- नई दिल्ली/वाराणसी : शनि पूजा विवाद में हिंदुओं के सबसे बड़े धर्मगुरु शंकराचार्य भी कूद पड़े हैं. द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा है कि शनि पूजा करके महिलाओं का भला नहीं हो सकता है. उन्होंने तो यहां तक कहा दिया है कि शनि, देवता नहीं हैं केवल ग्रह हैं और ग्रहों की पूजा नहीं होती.
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती वही है जिन्होंने साई बाबा के भगवान मानने का भी विरोध किया था. शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के पूजन करने के जिद के बाद हो रहे विवाद पर कहा की शनि भगाने का देवता है बुलाने का नहीं है. यह महिलाओं को भी सोचना है की वहा जाकर अपना कौन सा भला कर रही है पति का कर रही है या पुत्र का कर रही हैं.
परंपरा के प्रश्न पर शंकराचार्य ने कहा कि हम कहते है पोप जो है वह स्त्री नहीं होता, मुस्लिम स्त्रियां जो है मस्जिदों में नमाज नहीं पढ़ती हैं. क्या आप वहा पंहुचा सकते हो, तो फिर क्या सारी पंचायत हमारे ऊपर है, हमारी परंपरा तोड़ने के लिए सामाजिक न्याय का सहारा ले रहे हो. यह कौन सी बात है सरकार को इससे क्या लेना देना है वह क्यों इसके बीच में पड़ती है.
यह है मामला :
दरअसल पिछले साल 28 नवंबर को शनि शिंगणापुर मंदिर में एक युवती ने 400 साल पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए शनि देव के चबूतरे पर चढ़कर तेल चढ़ाया था, जिस पर विवाद हुआ था. अगले दिन मंदिर प्रशासन ने बकायदा शनि मूर्ति का शुद्धिकरण करवाया था.
शनि शिंगणापुर मंदिर का संचालन एक ट्रस्ट करता है. ट्रस्ट के वकील सायाराम बानकर के मुताबिक मंदिर का संचालन बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट एक्ट 1950 के नियम 53 के तहत होता है. चूंकि महाराष्ट्र का विधि और न्याय विभाग मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास है. ऐसे में फडणवीस चाहें तो विशेष एक्ट पास कराकर मंदिर के नियमों में बदलाव कर सकते हैं.








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