एयर इंडिया विमान में विस्फोट का दोषी इंद्रजीत रिहा हुआ



-- टोरंटो : एयर इंडिया विमान 'कनिष्क' में 1985 में हुए विस्फोटों के एकमात्र दोषी इन्द्रजीत सिंह रेयत को बुधवार को कनाडा की जेल से रिहा कर दिया गया। 31 साल पहले हुई इस घटना में विमान में सवार सभी 329 लोग मारे गए थे। वर्ष 2003 में रिपुदमन सिंह मलिक और अजायब सिंह बागरी की सुनवाई के दौरान अदालत के सामने झूठ बोलने के लिए रेयत को 2010 में झूठी गवाही देने का दोषी करार दिया था। एयर इंडिया का यह विमान कनाडा के मांट्रियल कनाडा से लंदन और फिर भारत के रास्ते पर था।

रेयत की मदद से हुआ था विस्फोट

पैरोल बोर्ड ऑफ कनाडा के प्रवक्ता ने भी रेयत की रिहाई की पुष्टि की है। पंजाब से यहां आए पेशे से मैकेनिक रेयत ने डायनामाइट, डिटोनेटर्स और बैटरियां खरीदी थीं। इन्हीं की मदद से किए गए विस्फोटों में एयर इंडिया की उड़ान-182 के 329 यात्रियों की जान चली गई थी। विमान जब लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे की ओर जा रहा था उसी दौरान पहला विस्फोट आयरलैंड के तट पर हुआ। दूसरा विस्फोट जापान के नरीता हवाईअड्डे पर हुआ जिसमें सामान उठाने वाले दो कर्मचारी मारे गए थे। 

कई मामलों में मिली है सजा

वर्ष 1991 में रेयत को सामान उठाने वाले दो कर्मचारियों की मौत के मामले में दोषी करार दिया गया। उसे इस अपराध के लिए 10 साल की सजा दी गई। एयर इंडिया विमान विस्फोट मामले में उसे नरसंहार के एक अन्य आरोप में पांच वर्ष की सजा दी गई। रेयत को झूठी गवाही देने के लिए नौ वर्ष की सजा मिली। यह अभी तक कनाडा में दी गई ऐसी सबसे लंबी सजा है। हालांकि सुनवाई के दौरान रेयत के जेल में गुजारे गए वक्त को इसमें जोड़ा गया। उसकी सजा 7 जनवरी 2011 से शुरू हुई।

'अगस्त 2018 में खत्म होगी सजा'

पैरोल बोर्ड कनाडा के पेसिफिक क्षेत्रीय प्रबंधक पैट्रिक स्टोरे ने बताया कि रेयत की रिहाई का वक्त आ गया। उनके हवाले से ‘द ग्लोबल एंड मेल’ ने लिखा है, 'वैधानिक रिहाई विवेकाधीन रिहाई नहीं है। यह कानून के अनुसार स्वत: रिहाई है। उसकी वैधानिक रिहाई की तारीख 27 जनवरी 2016 है और उसकी सजा 6 अगस्त 2018 को समाप्त हो रही है।' 

रिहा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था- स्टोरे

स्टोरे ने कहा कि पैरोल बोर्ड के पास उसे रिहा करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था और कोई सुनवाई नहीं हुई। रेयत को पेरोल बोर्ड की ओर से तय आठ शर्तों का पालन करना होगा जैसे वह पीड़ित परिवारों से या पूर्व सह-षड्यंत्रकारियों से कोई संपर्क नहीं करेगा और कोई राजनीतिक गतिविधियों में शामिल नहीं होगा। साथ ही वह अपने घर नहीं जा सकेगा बल्कि उसे सुधार गृह में रहना होगा।




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