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इन्हें छोड़ दिया पीछे
आशीष की गिर नस्ल की गाय ने पिछले साल की विजेता पनागर के श्रीराम यादव की गिर गाय को दूसरे स्थान पर धकेल दिया। गुरदा पिररिया मझौली के किसान सुनील पटेल की हरियाणा नस्ल की गाय ने तीसरे स्थान पर कब्जा जमाया। दूध के आधार पर पालकों को गोपाल पुस्कार राशि और सराहना मिली। इस मौके पर क्षेत्र के लोग भी भारी संख्या में पहुंचे। ब्लॉक स्तरीय प्रतियोगिता में दस गायों में सात पशुपालक प्रतियोगिता में हिस्सा लेने पहुंचे। एक दिन पहली ही गायें प्रतिस्पर्धा में उतर गई थीं। तीन समय दूध निकालकर औसत के आधार पर चयन किया गया।
14 लीटर दूध
प्रथम स्थान पर रही गाय ने 14.210 लीटर, द्वितीय ने 13.982 लीटर व तृतीय गाय ने 9.686 लीटर दूध दिया। जिला पंचायत कृषि समिति के अध्यक्ष शारदा प्रसाद यादव, कलेक्टर महेश चंद चौधरी, पशु चिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ. आरएस बघेल, डॉ. एसके पाल, डॉ. आरके कुर्मी, डॉ. अविनाश श्रीवास्तव, डॉ. सुनील जैन व डॉ. ज्योति तिवारी ने गो पालकों को पुरस्कार दिया। जेडी डॉ. एमएस सालवार ने बताया कि गोपालकों का नाम राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के लिए भेजा जाएगा।
यह भी जानें
देश में सन 2003 की पशुगणना के अनुसार 18.7 करोड़ गोधन है। इनमें मुख्यत: 30 मान्य भारतीय नस्लें हैं, 10 से अधिक अन्य अपहचानित नस्लें हैं। उपयोगिता के आधार पर इन्हें तीन भागों में विभाजित किया गया है। प्रथम है दूध देने वाली नस्लें, ये अधिक दूध देने वाली गायें है परंतु इनके बैल अच्छे भारवाही नहीं होते हैं। इनमें साहीवाल, लाल सिंधी, गीर व राठी नस्लें आती हैं। दूसरे वर्ग में भारवाही नस्लें हैं। भारत की अधिकांश देसी नस्ले इसी वर्ग में आती हैं। इनमें प्रमुख रूप से अमृतमहल, बचौर, बरगुर, डांगी, हल्लीकर, कांग्याम, केनकथा, खैरीगढ़, खिल्लारी, मालवी, नगोरी, निभारी, पवार, लाल कंधारी एवं सीरी नस्लें आती हैं। इस वर्ग की नस्लें प्राय: बैलों के लिए ही पाली जाती हैं। तीसरा वर्ग द्विकाजी नस्लों का है अथाज़्त् इनकी गायें अच्छा दूध देती हैं और बैल भी शक्तिशाली होते हैं। इस वर्ग में प्राय: देवनी, गावलाव, हरियाना, कांकरेज, कृष्णावैली, मेवाती, अंगोल एवं थारपारकर आदि नस्लें आती हैं। गिर नस्ल की गाय 40 लीटर तक दूध देती है। इसका दूध बेहद पौष्टिक होता है।
पुरस्कार राशि
प्रथम- 50 हजार
द्वितीय- 25 हजार
तृतीय- 15 हजार
सांत्वना- 5 हजार
इन्हें सांत्वना पुरस्कार
बृजबिहारी पटेल- भिड़ारी
पनागर-बनवारी पटेल, पोला
मझौली-अनमोल पलहा, मुडि़या, पाटन
रविकुमार, मुडि़या, पाटन
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पनागर विकासखंड के केड़ाखेड़ा निवासी किसान आशीष ठाकुर की शनिवार को जिले
भर में चर्चा रही। यूं कहें कि वे हीरो की तरह हिट रहे। उन्हें यह
प्रसिद्धि किसी और ने नहीं बल्कि उनकी गाय ने दिलाई है। आशीष की गिर नस्ल
की गाय ने जिले में पहला पुरस्कार जीता। उनकी गाय हरयाणवी नस्ल की गाय पर
भी भारी पड़ी। जिला स्तरीय गोपाल पुरस्कार योजना के तहत उन्हें 51 हजार
रूपए की राशि प्रदान की गई।
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इन्हें छोड़ दिया पीछे
आशीष की गिर नस्ल की गाय ने पिछले साल की विजेता पनागर के श्रीराम यादव की गिर गाय को दूसरे स्थान पर धकेल दिया। गुरदा पिररिया मझौली के किसान सुनील पटेल की हरियाणा नस्ल की गाय ने तीसरे स्थान पर कब्जा जमाया। दूध के आधार पर पालकों को गोपाल पुस्कार राशि और सराहना मिली। इस मौके पर क्षेत्र के लोग भी भारी संख्या में पहुंचे। ब्लॉक स्तरीय प्रतियोगिता में दस गायों में सात पशुपालक प्रतियोगिता में हिस्सा लेने पहुंचे। एक दिन पहली ही गायें प्रतिस्पर्धा में उतर गई थीं। तीन समय दूध निकालकर औसत के आधार पर चयन किया गया।
14 लीटर दूध
प्रथम स्थान पर रही गाय ने 14.210 लीटर, द्वितीय ने 13.982 लीटर व तृतीय गाय ने 9.686 लीटर दूध दिया। जिला पंचायत कृषि समिति के अध्यक्ष शारदा प्रसाद यादव, कलेक्टर महेश चंद चौधरी, पशु चिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ. आरएस बघेल, डॉ. एसके पाल, डॉ. आरके कुर्मी, डॉ. अविनाश श्रीवास्तव, डॉ. सुनील जैन व डॉ. ज्योति तिवारी ने गो पालकों को पुरस्कार दिया। जेडी डॉ. एमएस सालवार ने बताया कि गोपालकों का नाम राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के लिए भेजा जाएगा।
यह भी जानें
देश में सन 2003 की पशुगणना के अनुसार 18.7 करोड़ गोधन है। इनमें मुख्यत: 30 मान्य भारतीय नस्लें हैं, 10 से अधिक अन्य अपहचानित नस्लें हैं। उपयोगिता के आधार पर इन्हें तीन भागों में विभाजित किया गया है। प्रथम है दूध देने वाली नस्लें, ये अधिक दूध देने वाली गायें है परंतु इनके बैल अच्छे भारवाही नहीं होते हैं। इनमें साहीवाल, लाल सिंधी, गीर व राठी नस्लें आती हैं। दूसरे वर्ग में भारवाही नस्लें हैं। भारत की अधिकांश देसी नस्ले इसी वर्ग में आती हैं। इनमें प्रमुख रूप से अमृतमहल, बचौर, बरगुर, डांगी, हल्लीकर, कांग्याम, केनकथा, खैरीगढ़, खिल्लारी, मालवी, नगोरी, निभारी, पवार, लाल कंधारी एवं सीरी नस्लें आती हैं। इस वर्ग की नस्लें प्राय: बैलों के लिए ही पाली जाती हैं। तीसरा वर्ग द्विकाजी नस्लों का है अथाज़्त् इनकी गायें अच्छा दूध देती हैं और बैल भी शक्तिशाली होते हैं। इस वर्ग में प्राय: देवनी, गावलाव, हरियाना, कांकरेज, कृष्णावैली, मेवाती, अंगोल एवं थारपारकर आदि नस्लें आती हैं। गिर नस्ल की गाय 40 लीटर तक दूध देती है। इसका दूध बेहद पौष्टिक होता है।
पुरस्कार राशि
प्रथम- 50 हजार
द्वितीय- 25 हजार
तृतीय- 15 हजार
सांत्वना- 5 हजार
इन्हें सांत्वना पुरस्कार
बृजबिहारी पटेल- भिड़ारी
पनागर-बनवारी पटेल, पोला
मझौली-अनमोल पलहा, मुडि़या, पाटन
रविकुमार, मुडि़या, पाटन
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