बाप-बेटा की लड़ाई को सुलझाने में लगे 4 बड़े दिग्गज नेता !

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 यूपी में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले मुलायम परिवार में मचा घमासान ना केवल समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं बल्कि नेताओं के लिए भी चिंता का विषय बना हुआ है।  ऐसे में पार्टी के तमाम नेता जल्द से जल्द मुलायम कुनबे में मची कलह को सुलझाने की कोशिश में लगे हुए हैं ताकि 2017 में होने वाले यूपी चुनाव से पहले सब कुछ ठीक हो जाए। आज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह की बुलाई बैठक में भी अखिलेश यादव नहीं पहुंचे। इससे पहले समाजवादी पार्टी के बुजुर्ग नेता सुलह के फॉर्मूले की फाइल लिए यहां-वहां घूमते रहे लेकिन लगता नहीं कि समाजवादी पार्टी के इस परिवार में अब सुलह होने वाला है।
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मुलायम परिवार में सुलह कराने की कोशिश

खबरों के मुताबिक आज सुबह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमयी नंदा के साथ-साथ नरेश अग्रवाल, रेवती रमन सिंह और माता प्रसाद पांडेय सीएम आवास पहुंचे। ये लोग मुलायम परिवार में सुलह कराने की कोशिश में लगे हुए हैं। आपको बता दें कि इस बैठक में शिवपाल यादव ने संदेश पत्र में समाजवादी विकास रथ यात्रा का जिक्र नहीं किया तो वहीं अखिलेश के करीबी माने जाने वाले एमएलसी उदयवीर को पार्टी से निकाल भी दिया।

‘सौतेली मां’ पर चिट्ठी लिखने वाले एसपी MLC नपे, 6 साल के लिए पार्टी से बाहर

समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव को चिट्ठी लिखना विधानपरिषद सदस्य उदयवीर सिंह को महंगा पड़ गया है। पार्टी प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले उदयवीर को आज एसपी से निकाल दिया गया। एसपी प्रवक्ता अम्बिका चौधरी ने यहां संवाददाताओं को इस बारे में जानकारी दी।

उदयवीर सिंह को अनुशासनहीनता के आरोप में निकाला

चौधरी ने जानकारी दी कि विधान परिषद सदस्य उदयवीर सिंह को अनुशासनहीनता के आरोप में छह साल के लिये एसपी से निष्कासित कर दिया गया है। मालूम हो कि सिंह को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का करीबी माना जाता है।चौधरी ने कहा कि अमर्यादित तरीके से अनुशासनहीन आचरण करने वालों को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

अनुशासन और संकल्प के बलबूते ही यहां पहुंची पार्टी

उनते अनुसार पार्टी पिछले 25 सालों में अनुशासन और संकल्प के बलबूते ही यहां पहुंची है।उदयवीर ने जो अमर्यादित, अशोभनीय और अनुशासनहीन आचरण किया है, उसके लिये उन्हें पार्टी से छह वर्षों के लिये निष्कासित कर दिया गया है। गौरतलब है कि इस चिट्ठी को लेकर चर्चा काफी तेज हो गई थी। साथ ही मुलायम परिवार के झगड़े में नया नाम जुड़ गया था।

मुझे कोई अफसोस नहीं है. मैंने जो भी राजनीतिक मुद्दे उठाये: उदयवीर

इस बीच, उदयवीर सिंह ने अपने निष्कासन के बारे में कहा ‘मुझे कोई अफसोस नहीं है। मैंने जो भी राजनीतिक मुद्दे उठाये, वे लोकतांत्रिक अधिकार के तहत उठाये थे। नेताजी (मुलायम) पार्टी के संरक्षक है। मुझे पूरा भरोसा है कि वह सबके साथ न्याय करेंगे, मुख्यमंत्री (अखिलेश यादव) जी के साथ भी न्याय करेंगे।’

इस वक्त पार्टी में मौजूद हैं नेताजी को मंचों से गाली देने वाले लोग

उन्होंने कहा कि अफसोस इस बात का है कि नेताजी को मंचों से गाली देने वाले लोग इस वक्त पार्टी में मौजूद हैं। पत्र लिखने वाले शुभचिंतकों को पार्टी से निकाला जा रहा है। नेताजी जब भी कभी गम्भीरता से विचार करेंगे तो जरूर सोचेंगे। मालूम हो कि प्रदेश के ‘समाजवादी परिवार’ में रार बढ़ने के बीच पार्टी के विधान परिषद सदस्य उदयवीर सिंह की चिट्ठी चर्चा में आई थी।

लायम सिंह यादव को पत्र लिखकर फैला दी थी सनसनी

उन्होंने गत 19 अक्तूबर को एसपी मुखिया मुलायम सिंह यादव को पत्र लिखकर सनसनी फैला दी थी। उन्होंने पत्र में पार्टी के प्रान्तीय अध्यक्ष शिवपाल यादव के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए आरोप लगाया था कि शिवपाल मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से जलन रखते हैं। अपने चार पन्ने के पत्र में उन्होंने किसी का नाम लिये बगैर यहां तक कह दिया था कि अखिलेश के खिलाफ साजिश में मुलायम की पत्नी, बेटा और बहू भी शामिल है।

एसपी मुखिया की पत्नी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा का चेहरा हैं शिवपाल

पत्र में उन्होंने लिखा था कि शिवपाल एसपी मुखिया की पत्नी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा का चेहरा हैं। सिंह ने पत्र में आरोप लगाया था कि अखिलेश के खिलाफ षड्यंत्र वर्ष 2012 में उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के फैसले के बाद से ही शुरू हो गया था। उस वक्त शिवपाल ने इस निर्णय को रुकवाने की भरसक कोशिश की थी। उसके बाद से ही शिवपाल की निजी महत्वाकांक्षा अखिलेश के पीछे पड़ी है।

एकतरफा बातें सुनकर कार्रवाई करने का आरोप

उन्होंने एसपी मुखिया पर एकतरफा बातें सुनकर कार्रवाई करने का आरोप लगाया था। साथ ही यह अनुरोध किया था कि वह एसपी के संरक्षक बन जाएं और अखिलेश को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दें। गौरतलब है कि अखिलेश यादव, मुलायम की पहली पत्नी की संतान रहे। जबकि, दूसरी पत्नी साधना यादव की संतान मुलायम के दूसरे बेटे प्रतीक यादव की पैदाइश वर्ष 1988 की है।

अमर सिंह ने मुलायम से कराई थी साधना की शादी

2003 में पहली पत्नी की मौत हो गई। मगर तब तक मुलायम करीबियों के अलावा किसी को नहीं मालुम था कि उनकी साधना गुप्ता नाम की दूसरी पत्नी भी हैं। कहा जाता है कि साधना की शादी अमर सिंह ने मुलायम से कराई थी।यूपी की जनता को मुलायम की दूसरी पत्नी के बारे में अधिकृत रूप से वर्ष 2007 में पता चला। असल में मुलायम ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया। जिसमें उन्होंने साधना गुप्ता को अपनी पत्नी बताया। हालांकि एसपी का कोई सीनियर नेता अब भी नहीं बताने की स्थिति में है मुलायम-साधना की शादी किस वर्ष में हुई। मुलायम घराने में दो गुट हैं. शिवपाल यादव, साधना गुप्ता, प्रतीक यादव एक गुट में हैं। दूसरे गुट में अखिलेश यादव और उनके चचेरे चाचा रामगोपाल यादव हैं।




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