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नई दिल्ली/श्रीनगर : जम्मू एवं कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान जब कश्मीर घाटी में चल रही अस्थिरता के दौरान हुई मौतों पर स्पष्टीकरण मांगा गया तो वह पत्रकारों के सवाल से इतनी नाराज हुईं कि गुस्से में संवाददाता सम्मेलन बीच में ही छोड़कर चली गईं। महबूबा केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ संयुक्त रूप से यहां एक संवददाता सम्मलेन में पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रही थीं।
पत्रकारों के बेहद तीखे सवालों के जवाब में महबूबा दक्षिणी कश्मीर में विरोध प्रदर्शन करने वाले लोगों पर ही बिफर पड़ीं और कहा कि उन्होंने तो स्थानीय नागरिकों को आतंकवाद के खिलाफ अभियान छेड़ रखे सुरक्षा बलों से बचाने का काम किया है। गौरतलब है कि दक्षिणी कश्मीर महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) का गढ़ है। संवाददाता सम्मेलन में उनका अलग रूप देखने को मिला और अमूमन शांत स्वभाव की मृदुभाषी महबूबा गुस्से में तमतमाती नजर आईं। महबूबा इतने गुस्से में थीं कि वह बीच में ही संवददाता सम्मेलन छोड़कर चली गईं, जबकि राजनाथ सिंह वहीं बैठे रहे और पत्रकारों से आगे सवाल पूछने का इंतजार करते रहे।
महबूबा ने जब शुरू में थोड़ा गुस्सा दिखाया तो राजनाथ सिंह हल्के से मुस्कुराते रहे, लेकिन जब महबूबा का गुस्सा काफी बढ़ गया तो वह असहज नजर आने लगे और महबूबा को शांत होने का इशारा करने लगे। लेकिन महबूबा गुस्से में उठीं और पत्रकारों के सवाल बीच में छोड़कर चली गईं और अंतत: राजनाथ सिंह को भी जाना पड़ा। महबूबा से जब एक पत्रकार ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अत्यधिक बल प्रयोग के बारे में पूछा और कहा कि क्या उन्होंने पिछले मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की भूमिका और विचार ही अपना लिए हैं क्या, तो वह भड़क गईं। महबूबा ने गुस्से में कहा कि दोनों परिस्थितियों का घालमेल मत कीजिए। आप जो कह रहे हैं उससे पता चलता है कि आपका विश्लेषण खराब है। 2010 में फर्जी एनकाउंटर हुए थे, जिसमें तीन नागरिकों को मार डाला गया था। मतलब उस समय लोगों के गुस्सा होने का वाजिब कारण था। इस बार एनकाउंटर में तीन आतंकवादी मारे गए हैं। इसके लिए सरकार पर आरोप कैसे लगाया जा सकता है। महबूबा ने कहा कि आठ जुलाई को हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी सहित तीन आतंकवादियों के मारे जाने के बाद सख्त कर्फ्यू लगा दिया गया था, इसके बावजूद लोग घरों से बाहर निकल आए।
महबूबा गुस्से में आगे बोलती रहीं कि वे क्या बच्चे थे जो सैन्य शिविर टॉफियां लेने गए थे। दमहाल हांजिपुरा में एक पुलिस थाने पर हमला करने गया 15 वर्षीय लड़का वहां दूध लेने नहीं गया था। दोनों परिस्थितियों की तुलना मत कीजिए। मुख्यमंत्री ने दक्षिणी कश्मीर के प्रदर्शनकारियों पर ही सारे आरोप मढ़े। गौरतलब है कि कश्मीर घाटी में मौजूदा अशांति से दक्षिणी कश्मीर सर्वाधिक प्रभावित है और इलाके में इस दौरान 70 लोगों की मौत हो चुकी है। महबूबा ने कहा कि वे मुझे क्या बताएंगे? मैंने उनका ऐसे समय में बचाव किया जब उन्हें बेगार के लिए जबरन ले जाया जाता था, जब उन्हें दक्षिणी कश्मीर में बिना मेहनताना दिए घास काटने के लिए ले जाया जाता था। मैंने उन्हें इन परिस्थितियों से बाहर निकाला, जब सुरक्षा बल उन्हें पहचान पत्र दिखाने के बहाने परेशान किया करते थे। लेकिन जब पत्रकारों ने महबूबा से सख्त सवाल पूछने जारी रखे तो केंद्रीय गृह मंत्री ने पत्रकारों को शांत करते हुए कहा कि महबूबा जी आप ही लोगों में से एक हैं। लेकिन महबूबा सवालों को बीच में ही छोड़ उठ खड़ी हुईं और पत्रकारों से चाय पीने के लिए कहकर चलती बनीं।
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नई दिल्ली/श्रीनगर : जम्मू एवं कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान जब कश्मीर घाटी में चल रही अस्थिरता के दौरान हुई मौतों पर स्पष्टीकरण मांगा गया तो वह पत्रकारों के सवाल से इतनी नाराज हुईं कि गुस्से में संवाददाता सम्मेलन बीच में ही छोड़कर चली गईं। महबूबा केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ संयुक्त रूप से यहां एक संवददाता सम्मलेन में पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रही थीं।
पत्रकारों के बेहद तीखे सवालों के जवाब में महबूबा दक्षिणी कश्मीर में विरोध प्रदर्शन करने वाले लोगों पर ही बिफर पड़ीं और कहा कि उन्होंने तो स्थानीय नागरिकों को आतंकवाद के खिलाफ अभियान छेड़ रखे सुरक्षा बलों से बचाने का काम किया है। गौरतलब है कि दक्षिणी कश्मीर महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) का गढ़ है। संवाददाता सम्मेलन में उनका अलग रूप देखने को मिला और अमूमन शांत स्वभाव की मृदुभाषी महबूबा गुस्से में तमतमाती नजर आईं। महबूबा इतने गुस्से में थीं कि वह बीच में ही संवददाता सम्मेलन छोड़कर चली गईं, जबकि राजनाथ सिंह वहीं बैठे रहे और पत्रकारों से आगे सवाल पूछने का इंतजार करते रहे।
महबूबा ने जब शुरू में थोड़ा गुस्सा दिखाया तो राजनाथ सिंह हल्के से मुस्कुराते रहे, लेकिन जब महबूबा का गुस्सा काफी बढ़ गया तो वह असहज नजर आने लगे और महबूबा को शांत होने का इशारा करने लगे। लेकिन महबूबा गुस्से में उठीं और पत्रकारों के सवाल बीच में छोड़कर चली गईं और अंतत: राजनाथ सिंह को भी जाना पड़ा। महबूबा से जब एक पत्रकार ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अत्यधिक बल प्रयोग के बारे में पूछा और कहा कि क्या उन्होंने पिछले मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की भूमिका और विचार ही अपना लिए हैं क्या, तो वह भड़क गईं। महबूबा ने गुस्से में कहा कि दोनों परिस्थितियों का घालमेल मत कीजिए। आप जो कह रहे हैं उससे पता चलता है कि आपका विश्लेषण खराब है। 2010 में फर्जी एनकाउंटर हुए थे, जिसमें तीन नागरिकों को मार डाला गया था। मतलब उस समय लोगों के गुस्सा होने का वाजिब कारण था। इस बार एनकाउंटर में तीन आतंकवादी मारे गए हैं। इसके लिए सरकार पर आरोप कैसे लगाया जा सकता है। महबूबा ने कहा कि आठ जुलाई को हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी सहित तीन आतंकवादियों के मारे जाने के बाद सख्त कर्फ्यू लगा दिया गया था, इसके बावजूद लोग घरों से बाहर निकल आए।
महबूबा गुस्से में आगे बोलती रहीं कि वे क्या बच्चे थे जो सैन्य शिविर टॉफियां लेने गए थे। दमहाल हांजिपुरा में एक पुलिस थाने पर हमला करने गया 15 वर्षीय लड़का वहां दूध लेने नहीं गया था। दोनों परिस्थितियों की तुलना मत कीजिए। मुख्यमंत्री ने दक्षिणी कश्मीर के प्रदर्शनकारियों पर ही सारे आरोप मढ़े। गौरतलब है कि कश्मीर घाटी में मौजूदा अशांति से दक्षिणी कश्मीर सर्वाधिक प्रभावित है और इलाके में इस दौरान 70 लोगों की मौत हो चुकी है। महबूबा ने कहा कि वे मुझे क्या बताएंगे? मैंने उनका ऐसे समय में बचाव किया जब उन्हें बेगार के लिए जबरन ले जाया जाता था, जब उन्हें दक्षिणी कश्मीर में बिना मेहनताना दिए घास काटने के लिए ले जाया जाता था। मैंने उन्हें इन परिस्थितियों से बाहर निकाला, जब सुरक्षा बल उन्हें पहचान पत्र दिखाने के बहाने परेशान किया करते थे। लेकिन जब पत्रकारों ने महबूबा से सख्त सवाल पूछने जारी रखे तो केंद्रीय गृह मंत्री ने पत्रकारों को शांत करते हुए कहा कि महबूबा जी आप ही लोगों में से एक हैं। लेकिन महबूबा सवालों को बीच में ही छोड़ उठ खड़ी हुईं और पत्रकारों से चाय पीने के लिए कहकर चलती बनीं।
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