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न्यूज़: बोर्ड के रिकार्ड के मुताबिक़ अकेले पहले दिन सात लाख बयालीस हजार स्टूडेंट्स ने इम्तिहान छोड़ दिया है. छात्रों के इम्तिहान छोड़कर जाने के बाद इसने बोर्ड के काम-काज पर एक बार फिर से सवालिया निशान खड़े कर दिया है. बोर्ड के बड़े अफसर जहाँ नक़ल पर सख्ती की वजह से ऐसा होने का दावा करते हुए खुद अपनी पीठ थपथपाने में जुटे हुए हैं, तो वहीं जानकार इसके लिए नक़ल माफियाओं के खेल और बोर्ड की लापरवाही को ज़िम्मेदार मान रहे हैं.
इलाहाबाद में यूपी बोर्ड के हेडक्वार्टर द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक़ अठारह फरवरी से इक्कीस मार्च तक चलने वाले इम्तिहान के पहले दिन जिन स्टूडेंट्स ने इम्तिहान छोड़ा है, उनमे दसवीं के चार लाख चौवन हजार और बारहवीं क्लास के दो लाख अठासी हजार स्टूडेंट शामिल हैं.
पहले दिन इलाहाबाद, गाजीपुर, बलिया और अलीगढ़ में तीस-तीस हजार से ज़्यादा स्टूडेंट्स ने इम्तिहान छोड़ा है, तो वहीं राजधानी लखनऊ के साढ़े छह हजार बच्चों ने परीक्षा से तौबा की है.
अगर पहले ही दिन सात लाख से ज़्यादा स्टूडेंट्स ने इम्तिहान छोड़ा है तो इक्कीस मार्च को आख़िरी दिन तक कितने बच्चे मैदान से भाग खड़े होंगे, इसका अंदाजा खुद ही लगाया जा सकता है.
पहले दिन तकरीबन साढ़े सात लाख स्टूडेंट्स ने तब मैदान छोड़ा है, जब दसवीं और बारहवीं में हिन्दी का पेपर था. आने वाले दिनों में गणित और अंग्रेजी का पेपर होने पर यह तादात और तेजी से बढ़ सकती है.
यूपी बोर्ड के इम्तिहान के लिए इस साल तकरीबन 68 लाख छात्रों ने आवेदन किया था. इनमे दसवीं के 37.5 लाख और बारहवीं क्लास के तीस लाख से ज़्यादा बच्चे थे. इन आंकड़ों के मुताबिक़ पहले दिन ग्यारह फीसदी से ज़्यादा स्टूडेंट्स ने इम्तिहान छोड़ दिया.
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