स्वामी : डील के पीछे ड्राइविंग फोर्स से पूछताछ की जानी चाहिए

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नई दिल्ली : अगस्तावेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले में भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रहमण्यम स्वामी ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि एक कथित बिचौलिए द्वारा लिखे गए पत्र में जिन लोगों के नाम लिए गए हैं जो डील के पीछे ड्राइविंग फोर्स के रूप में काम कर रहे थे, सीबीआई को उनसे पूछताछ करनी चाहिए। 

इटली की अदालत के दस्तोवजों का हवाला देते हुए स्वामी ने आरोप लगाया कि तीन करोड़ यूरो की रिश्वत दी गयी जिनमें 60 लाख यूरो भारतीय वायुसेना के कर्मियों को दिए गए, 84 करोड़ यूरो नौकरशाहों को और 125 करोड़ रूपए ‘एपी’ को दिए गए। स्वामी के भाषण के दौरान कांग्रेस सदस्यों ने हंगामा किया और इस बात पर जोर दिया कि स्वामी जो पढ़ रहे हैं, पहले उसे प्रमाणित करें। इस पर स्वामी ने कहा कि वह उसी दस्तावेज को पढ़ रहे हैं जिसे सिंघवी ने पढ़ा था।
उन्होंने कहा कि अगर उन्हें प्रमाणित करना है तो सिंघवी को भी ऐसा करना चाहिए क्योंकि अलग अलग लोगों के लिए अलग-अलग नियम नहीं हो सकते। इस तकरार के बीच उपसभापति पीजे कुरियन ने कहा कि दोनों को प्रमाणित करना होगा। उसके बाद सिंघवी ने अपने दस्तावेजों को प्रमाणित किया।
कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए स्वामी ने कहा कि 2003 में राजग सरकार सिर्फ यह चाहती थी कि एकल वेंडर की स्थिति से बचा जा सके और एसपीजी की राय ली जाए। ऊंचाई संबंधी मानक में बदलाव के संबंध में कांग्रेस के आरोपों का खंडन करने के लिए उन्होंने तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी द्वारा संसद में दिए गए एक जवाब को भी उद्धृत किया।
संप्रग सरकार के दौरान भ्रष्टाचार होने का आरोप लगाते हुए स्वामी ने कहा कि वह निजी तौर पर जानते हैं कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कोई गलती नहीं करेंगे लेकिन वह ‘आदेश तुरंत मान लेते हैं।’ स्वामी ने कहा कि खरीदे गए हेलीकाप्टर एडब्ल्यू101 का फील्ड परीक्षण में इस्तेमाल नहीं किया गया। उन्होंने दावा किया कि इटली में किसी अन्य हेलीकाप्टर से परीक्षण किया गया और एडब्ल्यू101 को सफल दिखाया गया। 
उन्होंने आरोप लगाया कि भारत के लोगों के साथ ‘धोखाधड़ी’ की गयी है और यह धारा 420 के तहत अभियोजन के योग्य है। उन्होंने आरोप लगाया कि संप्रग सरकार के कार्यकाल में कैबिन की ऊंचाई के मानक में भी बदलाव कर इसे कम कर दिया गया। भाजपा नेता ने कहा कि जनवरी 2006 में वायुसेना ने इस सौदे के लिए 793 करोड़ रूपए का मानक अनुमान व्यक्त किया था और इसे एंटनी ने भी मंजूरी दी थी। उन्होंने कहा कि सितंबर 2008 में सौदा वार्ताकार समिति ने मनमाने तरीके से इसे 4,877.5 करोड़ रूपए तय किया जो छह गुना अधिक था।
स्वामी ने आरोप लगाया कि पहले आठ हेलीकाप्टर खरीदने का ही प्रस्ताव था लेकिन जब यह साफ हो गया कि अगस्ता अर्हता पूरी करने वाली एकमात्र कंपनी है, तो तत्कालीन सरकार ने चार और हेलीकाप्टर खरीदने का फैसला कर लिया। उन्होंने सरकार से कहा कि कंपनी के पक्ष में खबरें लिखने के लिए भारतीय मीडिया को पैसे देने के मामले पर भी उसे गौर करना चाहिए। 
कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने इस बात से इंकार किया कि किसी दूसरे हेलीकाप्टर का परीक्षण किया गया। उन्होंने कहा कि राजग सरकार के कार्यकाल के दौरान ही परीक्षण बाहर किए जाने की बात हुयी थी। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने ही मामला के सामने आने के बाद कार्रवाई शुरू कर दी थी और कंपनी का अनुबंध समाप्त करने के साथ ही जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंप दी गयी थी। उन्होंने स्वामी पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वह सदन को गुमराह कर रहे हैं। चर्चा में भाकपा के डी राजा, शिवसेना के संजय राउत ने भी भाग लिया।
इससे पहले जब चर्चा शुरू की जानी थी तब संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आसन से अनुरोध किया कि इस बारे में रक्षा मंत्री मनोहर र्पीकर घटनाक्रम का ब्यौरा रखना चाहते हैं और उन्हें इसकी अनुमति दी जानी चाहिए। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद सहित कांग्रेस सदस्यों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह परंपरा के विरूद्ध है और इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उप सभापति पी जे कुरियन ने परंपरा का हवाला देते हुए कहा कि रक्षा मंत्री को चर्चा का जवाब अंत में देना चाहिए।
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