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न्यूज़: सरकार की ओर से संसदीय कार्यमंत्री आजम खां ने कहा, “प्रदेश में आतंक का जाल फैले मैं इसके सख्त खिलाफ हूं. मैं चाहता हूं कि न मस्जिद में बम फटे और न मंदिर में. हम संदेह पर ऐसी कोई कार्रवाई नहीं कर सकते, जिससे प्रदेश का माहौल खराब हो.”
उन्होंने कहा, “यह गंभीर मसला है, कम से कम इस मसले पर तो हम जरूर एकजुट होकर बैठें और आतंक पर लगाम कैसे लगेगा, इस पर चिंतन करें.”
दरअसल, बीजेपी के श्यामदेव राय चौधरी और कांग्रेस के अखिलेश प्रताप सिंह ने सरकार से सवाल किया कि क्या राज्य में अलकायदा के जाल का विस्तार हो रहा है, और दिसंबर 2015 में संभल जिले से एक अलकायदा माड्यूल की गिरफ्तारी के साथ अन्य जिलों में भी इनके सक्रिय होने का इनपुट मिल रहा है?
सवाल यह भी था कि यदि ऐसा है तो क्या सरकार ऐसे आतंकवादी संगठनों के विस्तार को रोकने के लिए कोई सक्रिय कार्यवाही कर रही है. जवाब में संसदीय कार्यमंत्री मो. आजम खां ने कहा कि राज्य के अन्य जिलों में अलकायदा के सक्रिय होने का इनपुट नहीं है. लेकिन ऐसे आतंकवादी संगठनों के विस्तार को रोकने के लिए सभी संदिग्ध तत्वों पर कड़ी नजर रखी जा रही है.
बीजेपी के श्यामदेव राय चौधरी ने कहा कि सरकार इतने गंभीर सवाल पर सीधे कह रही है कि कोई इनपुट नहीं मिला है. सरकार की लचर पैरवी के चलते ही पेशी पर आए लखनऊ हाईकोर्ट के बाहर ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाने वाले छूट गए.
यह पूछे जाने पर कि जफर मसूद की गिरफ्तारी संभल जिले में हुई, लेकिन सरकार इस पर गंभीर नहीं दिख रही है, आजम ने कहा कि यह सारी जानकारी सरकार के पास है, यब सब बताने का कोई औचित्य नहीं है.
आजम खां ने कहा, “यदि आप ऐसे लोगों के करीब हैं तो हमें भी बताइए.” इस पर चौधरी ने कहा कि भारत सरकार और एनआईए का इनपुट है कि यहां अलकायदा के लोग सक्रिय हैं.
उन्हांेने कहा कि यदि इनके मंसूबे कामयाब हो गए तो उप्र में कोई बड़ी घटना हो सकती है. चौधरी ने सरकार से सवाल किया कि भारत सरकार से राज्य को जो इनपुट मिला है, क्या राज्य सरकार उसे इंकार कर रही है. जवाब में आजम ने कहा कि सरकार सूचना और संदेह के आधार मात्र पर ऐसी कोई कार्रवाई नहीं करेगी जिससे यहां का माहौल खराब हो.
विपक्ष ने फिर सरकार को घेरा और कहा कि कार्रवाई से ऐसा कौन सा माहौल खराब हो जाएगा, जिससे सरकार पीछे हट रही है. कांग्रेस के विधायक अखिलेश प्रताप सिंह ने भी सवाल किया कि क्या सरकार के पास सिमी और आईएसआई की सक्रियता की कोई सूचना है?
उधर, नेता विरोधी दल स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी मामले की गंभीरता को देखते हुए कहा कि यह एक अंतर्राष्ट्रीय समस्या है.
उन्होंने कहा, “आतंकी वारदातों में हमारे यहां के एक विशेष धर्म के लोगों का नाम आता है. ऐसे में राज्य सरकार ने इस अंतर्राष्ट्रीय समस्या पर क्या कोई संयुक्त रूप से एनआईए और भारत सरकार के साथ बैठक हुई है? यदि बैठकें हुई हैं तो कितनी हुई हैं और इन बैठकों में इसके खिलाफ कोई कार्ययोजना बनाई है? यदि बैठक नहीं हुई है तब तो यही माना जाएगा कि सरकार इस समस्या का हल नहीं चाहती.”
इन सवालों का जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री आजम खां ने कहा कि आतंकी वारदातों को लेकर जिन पर उंगली उठती है, उन्हें उनका मजहब यह सब नहीं सिखाता है. दुनिया में कहीं आतंकवाद को कोई संरक्षण नहीं देता. इस्लाम का उदय जहां से हुआ, वह सऊदी अरब भी इसे अस्वीकारता है.
उन्होंने कहा कि किसी गुनाह की सजा किसी बेगुनाह को मिले, तो उसकी जितनी निंदा की जाए उतनी कम है.
आजम ने कहा, “मैं इसका सख्त विरोधी हूं. यहां फसाद हो तो क्या यह हमारे हक में जाता है? जिस लोकतंत्र ने हमको, आपको यहां-वहां बिठाया है, क्या हम चाहेंगे कि आतंक के चलते वही लोकतंत्र खत्म हो जाए?”
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