नई दिल्ली: पटना में शपथ ग्रहण के दिन लालू से गले मिलने के विवाद पर आज अरविंद केजरीवाल ने सफाई दी है. केजरीवाल ने कहा है कि लालू ने जबरदस्ती खींचकर उन्हें गले लगा लिया. सवाल उठ रहे हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन कर जीत के आने वाले केजरीवाल ने लालू को गले लगाकर लोगों को धोखा दिया है. खुद अन्ना ने भी आज कहा है कि अच्छा हुआ कि समय से ही वो अलग हो गये.
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ये तस्वीर तीन दिन पहले यानी बीस नवंबर की है . पटना में नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह में लालू और अरविंद केजरीवाल गले मिले थे . सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक केजरीवाल और लालू के इस मिलन पर सवाल उठाये जा रहे हैं . पहली बार खुद का बचाव करते हुए अरविंद केजरीवाल ने इसका जवाब दिया है .
केजरीवाल ने कहा कि सरकारी कार्यक्रम में नीतीश के सीएम बनने के कार्यक्रम में जब मंच पर चढ़ा तो सामने लालू जी खड़े थे. मैंने हाथ बढ़ाया. उन्होंने हाथ बढ़ाया और खींच लिया और खींचकर गले लगा लिया.
केजरीवाल सफाई दे रहे हैं . लेकिन सोशल मीडिया में 2013 के एक ट्वीट के साथ गले मिलने वाली इन तस्वीरों को पोस्ट करके केजरीवाल पर निशाने साधे जा रहे हैं . दिल्ली की सड़कों पर तो बीजेपी ने पोस्टर तक लगा दिए हैं .
केजरीवाल ने कहा कि हमने गठबधन नहीं किया. भ्रष्ट राजनीति का समर्थन नहीं किया. आज तक की जो भ्रष्ट राजनीति रही है उसका समर्थन नहीं करेंगे. दूसरी पार्टी वाले मिलते हैं कोई प्रश्न नहीं उठाता. केजरीवाल गले मिलता है तो प्रश्न उठना चाहिए. सवाल उठने बंद हो गए तो गड़बड़ है.
कैसे हुई लालू-केजरीवाल की मुलाकात?
केजरीवाल भले कह रहे हों लेकिन लालू ने उन्हें खींचकर गले लगा लिया लेकिन मंच पर केजरीवाल ने पहले लालू से हाथ मिलाया था. सभी नेताओं से मिलते हुए केजरीवाल लालू के पास पहुंचे थे तब दोनों ने हाथ मिलाया था. इसके बाद केजरीवाल नीतीश से गले मिले थे तब लालू ने केजरीवाल को टोका. केजरीवाल लालू की तरफ मुड़े तो लालू ने हाथ बढ़ा दिया. केजरीवाल ने हाथ मिलाया तो लालू गले मिलने लगे. और जब गले मिल लिए तो लालू ने केजरीवाल का हाथ उठाकर जनता की तरफ हाथ हिलाने लगे.
केजरीवाल की मुलाकात पर सवाल क्यों ?
लालू यादव चारा घोटाले के दोषी हैं और अभी जमानत पर बाहर हैं . भ्रष्टाचार के मुद्दे पर केजरीवाल कई बार लालू पर हमला भी बोल चुके हैं. अरविंद केजरीवाल की राजनीति की बुनियाद ही भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से पड़ी थी . बिहार चुनाव के दौरान केजरीवाल ने नीतीश का तो साथ दिया लेकिन नीतीश के साथी लालू से दूरी बनाकर रखी थी. अब शपथ ग्रहण में लालू से गले लगकर केजरीवाल ने ये सवाल खड़ा कर दिया है कि भ्रष्टाचार के दोषी से गले मिलना भ्रष्टाचार है या फिर महज सियासी शिष्टाचार ?
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