नई दिल्लीः फ्लिपकार्ट ने पांच दिनों तक चले महासेल 'बिग बिलियन डेज' पर 2 हजार करोड़ रुपये की रिकॉर्डतोड़ कमाई की है. ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट फ्लिपकार्ट ने जो छूट दिया उसे ग्राहकों ने हाथों- हाथ लिया और जमकर सामान खरीदें.
लेकिन ये जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि जो सामान आप ऊंचे दाम पर बाहर खरीदते हैं वो ऑनलाइन शॉपिंग के प्लेटफॉर्म पर आकर इतना सस्ता कैसे हो जाता है? इसी बिजनेस मॉडल को जानने के लिए एबीपी न्यूज पहुंचा बेंगलूरु में फ्लिपकार्ट के ऑफिस.
फ्लिपकार्ट का ‘बिग बिलियन डेज’ का ये विज्ञापन रंग लाया और ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट ने इसके जरिए पिछली बार का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया.13 से 17 अक्टूबर के बीच फ्लिपकार्ट के इस कारोबार पर नजर घुमाएंगे तो आपको चौंकाने वाले आंकड़े जानेंगे.
फ्लिपकार्ट ने 5 दिन में 80 लाख से ज़्यादा सामान बेंचे.हर घंटे 66,666 से ज़्यादा सामानों की बिक्री हुई. पिछले साल के मुकाबले बिक्री में 3 गुना बढ़ोतरी हुई. फ्लिपकार्ट ने पांच दिनों में 2 हजार करोड़ रुपये का किया कारोबार
अब आप सोच रहे होंगे फ्लिपकार्ट की इस कामयाबी का राज क्या है? इतना तो आप भी जानते होंगे कि ये ऑनलाइन रिटेलर्स उत्पादों पर बंपर छूट देते हैं तभी तो आप ऑनलाइन शॉपिंग का रुख करते हैं. मोबाइल और कंप्यूटर पर चलने वाला बाजार यानी जिसे हम ऑनलाइन बाजार कह रहे हैं पर ग्राहकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि सामानों पर 20 से लेकर 50 फीसदी तक की छूट देता कौन है.
ज्यादातर लोग तो यही सोचते होंगे कि ये छूट ऑनलाइन रिटेलर्स यानि ये कंपनियां देती हैं. छूट का सच जानने के लिए एबीपी न्यूज पहुंचा बेंगलूरु में फ्लिपकार्ट के इस ऑफिस में यहां हमारी मुलाकात हुई कंपनी के चीफ बिजनेस ऑफिसर अंकित नागोरी से. अंकित नागोरी ने ABP News को बताया कि उत्पादों पर छूट से उनका कोई लेना-देना नहीं हैं. उनकी वेबसाइट केवल सामान बेचने वालों को बिक्री के लिए एक प्लेटफॉर्म मुहैया कराती हैं.
एबीपी न्यूज के कैमरे पर फ्लिपकार्ट ने किसी भी तरह की छूट या डिस्काउंट से इनकार किया है. तो सवाल फिर वही कि इतना सस्ता सामाना आता कैसे है. फ्लिपकार्ट का साफ कहना है कि उनकी कंपनी उत्पादों पर एक रुपये का छूट नहीं देती है तो 10 हजार का मोबाइल 8 हजार में या हजार रुपये की पेनड्राइव एक रुपये में ये ऑनलाइन कंपनियां बेंच कैसे रही हैं.
इस राज से भी हम पर्दा उठाएंगे लेकिन उससे पहले जरा ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी के काम करने के तरीके पर नजर डाल लीजिए क्योंकि जवाब के लिए ऑनलाइन शॉपिंग के धंधे को समझना जरूरी है.
ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइटस एक ताकतवर सर्वर और कुछ ऑपरेटर्स के भरोसे चल सकती हैं. वेबसाइट उन डिस्ट्रीब्यूटर्स, डीलर्स या सामान बेंचेने वालों से सौदा करती हैं जो अपना माल ऑनलाइन बेचना चाहते हैं. ज्यादा ग्राहकों की उम्मीद में सेलर्स वेबसाइट को सामान्य से ज्यादा डिस्काउंट दे देती हैं. शॉपिंग वेबसाइट इस डिस्काउंट का बड़ा हिस्सा ग्राहकों को देती हैं. ग्राहक को ऐसी छूट सामान्य दुकानों पर नहीं मिलती.
ग्राहक से ऑर्डर मिलने के बाद ऑनलाइन रिटेलर्स डिस्ट्रीब्यूटर्स से सामान उठाते हैं,अपनी पैकिंग के बाद ग्राहकों को सामान डिलीवर करती हैं.
यहां आपके लिए ये जानना भी जरूरी है कि ऑनलाइन रिटेलर्स जैसे फ्लिपकार्ट सामान नहीं बेंच सकते हैं.ये केवल सामान बेंचने वालों को ग्राहकों से मिलवाते भर हैं.लेकिन सामान को सस्ता करने में इनका अहम रोल होता है.
मान लीजिए की एक डीलर टीवी 10 हजार रुपये में बेचता है और मुनाफा कमाता है 1 हजार रुपये इस तरह से वो अपने शोरूम से दिनभर में पांच टीवी सेट ही बेच रहा है तो उसका मुनाफा हुआ पांच हजार रुपये.लेकिन ऑनलाइन रिटेलर्स डीलर्स से 100 रुपये का मुनाफा कम करने के लिए कहें और उसके बदले उसके 20 टीवी सेट बेचवा दें तो भी ये डीलर के लिए फायदे का सौदा होगा. डीलर जहां दिनभर में पांच टीवी बेचने पर पांच हजार का मुनाफा कमा रहा था वहीं एक टीवी सेट पर 100 सौ रुपये कम करने पर उसके पांच के बदले 20 सेट बिक रहे हैं और मुनाफा हो रहा है 18 हजार रुपये का. ऑनलाइन रिटेलर्स यही काम करते हैं वो सामान बेचने वालों को मुनाफा कम करके उसे डिस्काउंट के रूप में ग्राहकों को देते हैं. इससे ग्राहकों को तो फायदा हो ही रहा है साथ में डीलर्स के सामान भी ज्यादा बिक रहे हैं और मोटा मुनाफा कमा रहे हैं.
फ्लिपकार्ट का दावा है कि वो इसी बिजनेस मॉडल पर काम करती है.लेकिन जानकारों के मुताबिक ये पूरा सच नहीं हैं.दरअसल, ऑनलाइन रिटेलर ही ग्राहकों को डिस्काउंट देते हैं. ऑनलाइन रिटेलर्स ने इसके लिए एक तरीका भी खोज निकाला है.ऑनलाइन रिटेलर्स की वेबसाइट पर अगर कोई सामान बेचना चाहता है तो उससे ये कंपनियां प्रमोशन यानि प्रचार के नाम पर फीस लेती हैं. लेकिन कई बार ये कंपनियां डीलर्स से ये फीस न लेकर वो उससे अपने सामान की कीमत कम करने के लिए कहती हैं और ग्राहकों को छूट इस तरह से मिलती है.
कुल मिलाकर देखें तो ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट पर दिए जाने वाले भारी भरकम डिस्काउंट का बोझ आखिरकार ऑनलाइन रिटेलर को ही उठाना पड़ता है. ये कंपनियां नाक को सीधे ना पकड़कर घुमा कर पकड़ती हैं.
छोटे व्यापारी अक्सर ऑनलाइन रिटेलर्स को लेकर सवाल उठाते हैं की शुरुआत में ये रिटेलर्स ग्राहकों को लुभाने के लिए डिस्काउंट दे रहे हैं. बाद में जब इनका एकाधिकार हो जाएगा तो ये मनमाने दाम वसूलेंगी. इसके अलावा ऑनलाइन रिटेलर्स द्वारा दिए जा रहे डिस्काउंट से इनके व्यापार पर भी असर पड़ रहा है. हालांकि फ्लिपकार्ट का दावा है कि ई कॉमर्स की वजह से उनका कारोबार बढ़ रहा है और वो व्यापारियों को इसे अपनी ही वेबसाइट मानने की सलाह देते हैं
0 comments:
Post a Comment