ब्लैकमनी के लिए बैंक बने सॉफ्ट टारगेट, लेन-देन के लिए बने ये टॉप रूट...
















as per dainik bhaskar news:

नई दिल्ली। बैंकों के जरिए ब्लैकमनी ट्रांजैक्शन का दायरा बढ़ता जा रहा है। बैंक ऑफ बड़ौदा से शुरू हुआ यह मामला अब एचडीएफसी, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और एक्सिस बैंक तक पहुंच गया है। आरबीआई से रेग्युलेटेड बैंक भी ब्लैकमनी के आसान टारगेट बन गए हैं। ब्लैकमनी के ट्रांजैक्शन का सबसे बड़ा जरिया गेहूं, चावल, चीनी और दाल जैसी कमोडिटी बन रही हैं।... 

आसान जरिया है कमोडिटी एसबीआई के पूर्व सीजीएम सुनील पंत के अनुसार ब्लैकमनी के इस्तेमाल में देश और विदेश में कमोडिटी का इस्तेमाल एक प्रमुख जरिया बन रही है। उनके अनुसार कमोडिटी प्राइस सेंसिटिव होती हैं। साथ ही इनका बिजनेस भी बल्क रूप में होता है। मसलन कोई अगर शुगर का इंपोर्ट कर रहा है, तो प्राइस में उतार-चढ़ाव होता रहता  है। साथ ही उसकी मात्रा भी टनों में होगी। ऐसे में वहां पर हेर-फेर करना आसान है। पंजाब एंड सिंध बैंक के पूर्व सीजीएम जी एस बिंद्रा के अनुसार कमोडिटी में कारोबारी बड़ी मात्रा में कैश ट्रांजैक्शन करता है। वह बैंक को फर्जी तरीके से बता सकता है कि उसने किसान से कैश में खरीददारी की है। ऐसे में पैसे ट्रांसफर करते वक्त कंपनी उसके सोर्स में हेरा-फेरी कर सकती है।

एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट के नाम पर फर्जीवाड़ा सुनील पंत के अनुसार एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट के नाम पर ब्लैकमनी का ट्रांजैक्शन करना आसान तरीका बनता जा रहा है। इसमें पहले बैंक में मल्टीपल रेमिटेंस किया जाता है, जिससे बैंक को लगे कि कंपनी बिजनेस कर रही है। उसके बाद फर्जी इम्पोर्ट दिखाकर बैंक के जरिए पैसे विदेश में खुले बैंक अकाउंट में रेमिटेंस  किया जाता है। बैंक ऑफ बड़ौदा की जांच में ईडी ने कहा है कि 59 फर्जी अकाउंट कंपनियों के नाम से खोले गए हैं। इसके जरिए यह मनीलाउंड्रिंग की गई है।

बैंक की क्या है गलती— पंत के अनुसार बैंक जब इस तरह का रेमिटेंस करते हैं, तो उन्हें इम्पोर्ट बिल या इनवॉयस के आधार पर पूरी जांच करनी चाहिए, क्या वास्तव में इम्पोर्ट हुआ है या नहीं। बैंक ऑफ बड़ौदा की जिस ब्रांच से ट्रांजैक्शन हुए हैं, उसे एजीएम स्तर का अधिकारी हेड करता है। ऐसे में उसे बिल की जांच-पड़ताल करने के नियम की जानकारी होती है। इस मामले में ऐसा लगता है कि इन बातों की अनदेखी की गई है।... 



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