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उन्होंने बताया कि फैजाबाद क्षत्रिय समाज की लगभग 110 वर्ष से अधिक पुरानी संस्था निरंतर विकास की दृष्टिकोण से पिछड़ती चली गयी चाहे परिसर के रख रखाव का मामला हो, डिग्री कालेज या पब्लिक स्कूल का मामला हो। इस ओर व्यवस्थाओं ने कभी ध्यान नही दिया। नई व्यवस्था के तहत मैंने कुछ फैसले लेकर और संस्था तथा समाज से जुड़े कुछ विशिष्ट व्यक्तियों अशोक सिंह, कमलेश सिंह, रणधीर सिंह, बाबा बक्श सिंह, विश्वनाथ सिंह के परामर्श से परिसर तथा शिक्षण संस्थाओं में व्यापक सुधार का प्रयास किया। जिनमें एकेडमिक ब्लाक की योजना, डिग्री कालेज में प्राचार्य एवं योग्य प्राध्यापकों की नियुक्ति, पब्लिक स्कूल में व्यवस्था परिवर्तन और मनमाने पन पर रोक, साथ ही शिक्षा स्तर की गिरावट में सुधार के लिए कतिपय कठोर निर्णय लिए गये। संस्था के उन तमाम प्रमुख व्यक्तियों जिनका योगदान संस्था के स्थापना से लेकर आज तक भुलाया नही जा सकता है उनके उत्तराधिकारियों को सदस्यता देने का निर्णय किया। इससे संस्था के कुछ मठाधिशों को गद्दी छिनती हुई नजर आयी और उन्होंने कुचक्र तथा राजनीतिक एवं सत्ता के सहयोग से चिट फण्ड रजिस्ट्रार पर दबाव बनाकर नाजायज फैसला करवा कर संस्था के हित के विरूद्ध कार्य किया। जिस पर अदालत ने उनकी साजिश को नाकाम करते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने न्याय किया।
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फैजाबाद क्षत्रिय बोर्डिंग के अध्यक्ष डा एचबी सिंह ने प्रेस वर्ता के
दौरान कहा कि क्षत्रिय बोर्डिंग हाउस फैजाबाद के क्षत्रिय समाज का प्रतीक
है जिसका विकास हमारा लक्ष्य है। कतिपय बातें जो विचारों के आदान प्रदान
में कमी तथा कुछ लोगों की हठधर्मता के कारण उत्पन्न हो गयी थी जो बोर्डिंग
के विकास में बाधक बन रही थी उच्च न्यायालय से उसका समाधान निकल गया है।
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उन्होंने बताया कि फैजाबाद क्षत्रिय समाज की लगभग 110 वर्ष से अधिक पुरानी संस्था निरंतर विकास की दृष्टिकोण से पिछड़ती चली गयी चाहे परिसर के रख रखाव का मामला हो, डिग्री कालेज या पब्लिक स्कूल का मामला हो। इस ओर व्यवस्थाओं ने कभी ध्यान नही दिया। नई व्यवस्था के तहत मैंने कुछ फैसले लेकर और संस्था तथा समाज से जुड़े कुछ विशिष्ट व्यक्तियों अशोक सिंह, कमलेश सिंह, रणधीर सिंह, बाबा बक्श सिंह, विश्वनाथ सिंह के परामर्श से परिसर तथा शिक्षण संस्थाओं में व्यापक सुधार का प्रयास किया। जिनमें एकेडमिक ब्लाक की योजना, डिग्री कालेज में प्राचार्य एवं योग्य प्राध्यापकों की नियुक्ति, पब्लिक स्कूल में व्यवस्था परिवर्तन और मनमाने पन पर रोक, साथ ही शिक्षा स्तर की गिरावट में सुधार के लिए कतिपय कठोर निर्णय लिए गये। संस्था के उन तमाम प्रमुख व्यक्तियों जिनका योगदान संस्था के स्थापना से लेकर आज तक भुलाया नही जा सकता है उनके उत्तराधिकारियों को सदस्यता देने का निर्णय किया। इससे संस्था के कुछ मठाधिशों को गद्दी छिनती हुई नजर आयी और उन्होंने कुचक्र तथा राजनीतिक एवं सत्ता के सहयोग से चिट फण्ड रजिस्ट्रार पर दबाव बनाकर नाजायज फैसला करवा कर संस्था के हित के विरूद्ध कार्य किया। जिस पर अदालत ने उनकी साजिश को नाकाम करते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने न्याय किया।
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