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इस लिए दीपावली के दिन माता लक्ष्मी की होती है ख़ास पूजा-अर्चना होती है | दीपावली पर पूजन की शुभ मुहूर्त आगे दिए गए हैं जिसके अनुसार घर में माता लक्ष्मी गणेश की पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सके | पंडित शक्ति मिश्रा बताते हैं | कि दीपावली से पहले आती हैं धनतेरस वो बहुत ही ख़ासदिन होता हैं | जिस दिन हम अपने घर की साफ़-सफ़ाई करते हैं और शाम को घर में पूजा –पाठ करते हैं | शाम को ही हम लोग अपने घर के लिए कुछ ना कुछ सामान ज़रूर ख़रीदते हैं | चाहे सोना हो या चांदी ,बर्तन हो या कोई भी सजावटी सामान हमलोग अपने घरों के लिए जरुर लाते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता हैं कि धनतेरस पर जो भी खरीदारी की जाती हैं वो हमारे घर में ख़ुशहाली लाती हैं | और साल भर हमारे घर का भंडारा भरा ही रहता हैं |
क्यों होती हैं माता लक्ष्मी की पूजा
कहते हैं दीपावली दीपों का खास पर्व होता हैं इसमें हमारे चारो तरफ़ दीपों की रौशनी होती हैं यह दिन हर व्यक्ति के जीवन में ख़ास होता हैं | क्योकिं इस दिन भगवान राम अयोध्या लौट कर आये थे कठिन वनवास के बाद जिसके उपरांत ही अयोध्यावासियों ने उनका स्वागत दीपों को सज़ा कर किया था कहा जाता हैं कि दीये की रोशनी से पूरा माहौल खुशनुमा था । पंडित शक्ति मिश्रा कहते हैं कि हमारे समाज में अपनी ख़ुशी को एक दूसरे से कहने के लिए यह त्यौहार ही होते हैं के माध्यम से हम लोग अपनी भावनाओं को दिखाते हैं । हमारे धर्म में कई पर्व हैं जैसे दीपावली ,होली , दशहरा , रक्षाबंधन, भाईदूज जो प्रमुख त्यौहारों में होते हैं । जिसे हम सभी लोग बड़ी धूम धाम से मानते हैं ।
आख़िर दीपों का त्यौहार दीपावली क्यों मनाई जाती हैं ।
दीपावली खुशियों का त्यौहार हैं जिसे धूमधाम से मनाया जाता हैं यह त्यौहार कार्तिक महीने में पड़ता हैं जब अमावस्या की काली रात होती हैं चारों तरफ अनगिनत दीपों की संख्या होती हैं । जगमगाते यह दीप अपनी खुशियों को चारो ओर बिखेरते हैं । कहते हैंकि भगवान राम चौदह साल का कठिन वनवास काट कर अयोध्या लौटे थे अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ इनको देख कर अयोध्या के लोगों ने चारो तरफ दीपों को जलाकर अपनी ख़ुशी को व्यक्त किया था । इसी दिन भगवान कृष्ण ने भी नरकासुर राक्षस को मारा था । ।यह दिन भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस भी है। इन सभी कारणों से हम दीपावली का त्योहार मनाते हैं। सभी लोग घर में सफ़ाई करते हैं उसके बाद लिपाई-पुताई, सजावट प्रारंभ हो जाती है। दीपोत्सव मनाने की तैयारियां – यह त्योहार लगभग सभी धर्म के लोग मनाते हैं । उत्सव – यह त्योहार पांच दिनों तक मनाया जाता है। धनतेरस से भाई दूज तक यह त्योहार चलता है। धनतेरस के दिन व्यापार अपने बहीखाते नए बनाते हैं। अगले दिन नरक चौदस के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करना अच्छा…माना जाता है। अमावस्या के दिन माता लक्ष्मी गणेश की पूजा की जाती है।खील-बताशे का प्रसाद चढ़ाया जाता है। नए कपड़े पहने जाते हैं। फुलझड़ी, पटाखे छोड़े जाते हैं। असंख्य दीपों की रंग-बिरंगी रोशनियां मन को मोह लेती हैं। दुकानों, बाजारों और घरों की सजावट दर्शनीय रहती है। अगला दिन परस्पर भेंट का दिन होता है। एक-दूसरे के गले लगकर दीपावली की शुभकामनाएं दी जाती हैं। लोग छोटे-बड़े, अमीर-गरीब का भेद भूलकर आपस में मिल-जुलकर यह त्योहार…मनाते हैं।
पूजा की तैयारी शुभ मुहूर्त
पंडित शक्ति मिश्रा ने बताया कि सबसे पहले माता लक्ष्मी, गणेश की मूर्ति ,दो या तीन मिट्टी के दो बड़े दीपक, कलश, जिस पर नारियल रखें, वरुण ,नवग्रह, षोडशमातृकाएं, कोई प्रतीक, बहीखाता, कलम और दवात,नकदी की संदूकची, थालियां, 1, 2, 3, जल का पात्र,यजमान, पुजारी, परिवार के सदस्य, आगंतुक।माता लक्ष्मी की पूजा अपनी शक्ति के अनुसार ही करें दिखावे की जरुरत नहीं । माता लक्ष्मी को पुष्प में कमल व गुलाब प्रिय है। फल में श्रीफल, सीताफल, बेर, अनार व सिंघाड़े प्रिय हैं। सुगंध में केवड़ा, गुलाब, चंदन के इत्र का प्रयोग इनकी पूजा में अवश्य करें। अनाज में चावल तथा मिठाई में घर… में बनी शुद्धता पूर्ण केसर की मिठाई या हलवा, शिरा का नैवेद्य उपयुक्त है। प्रकाश के लिए गाय का घी, मूंगफली या तिल्ली का तेल इनको शीघ्र प्रसन्न करता है। अन्य सामग्री में गन्ना, कमल गट्टा, खड़ी हल्दी, बिल्वपत्र, पंचामृत, गंगाजल, ऊन का आसन, रत्न आभूषण, गाय का गोबर, सिंदूर,.भोजपत्र का पूजन में उपयोग करना चाहिए।यह सभी चीजे माता लक्ष्मी को बहुत ही प्रिय हैं ।
शुभ मुहूर्त शाम प्रदोषकाल 5 :34 से 8 :11 तक ,फिर 7:14 से 7:52 बजे तक प्रदोष काल, स्थिर वृष लग्न एवं शुभ का चौघडिय़ा रहेगा, अत: लक्ष्मी पूजन का यह सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है। परन्तु शास्त्रों में कार्तिक कृष्ण अमावस्या की सम्पूर्ण रात्रि को काल रात्रि माना गया है। अत: सम्पूर्ण रात्रि में पूजा की जा सकती है।माता लक्ष्मी की पूजा शाम प्रदोष काल में करनी चाहिए । अमावस्या तिथि, प्रदोषकाल, शुभलग्न व चौघडिय़ां विशेष महत्व रखते हैं। ब्रह्मपुराण में इस कॉल में पूजन का उदाहरण मौजूद है ।
मन्त्र
> ॐ ऐं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:
> ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं क्लीं लक्ष्मी ममगृहे> ॐ ऐं क्लीं सौ:
पंडित शक्ति मिश्रा ने बताया कि अपनी शक्ति के अनुसार माता लक्ष्मी के पूजन में कमल गट्टे, नागकेसर, कमल पुष्प, खीर इत्यादि का प्रयोग करना चाहिए । यदि घर में देवी की प्रतिमा या धातु का यंत्र हो तो श्री सूक्त से अभिषेक करें । अपनी शक्ति के अनुसार रोज एक माला करें । इससे ऐश्वर्य की प्राप्ति जरूर होगी ।
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हमारी संस्कृति में बहुत से पर्व होते हैं जिनको बहुत ही धूम धाम से मनाया
जाता है| हर पर्व व त्योहार का अपना अलग ही महत्व होता हैं | जिसमे से
दीपावली के उत्सव को बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता हैं | इसमें माता
लक्ष्मी की पूजा –अर्चना की जाती है जिससे हमारे घरों में माँ लक्ष्मी की
कृपा हमेशा ही बरसती रहे कोई भी दुःख –दर्द हमारे परिवार के निकट तक न आने
पाए |
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इस लिए दीपावली के दिन माता लक्ष्मी की होती है ख़ास पूजा-अर्चना होती है | दीपावली पर पूजन की शुभ मुहूर्त आगे दिए गए हैं जिसके अनुसार घर में माता लक्ष्मी गणेश की पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सके | पंडित शक्ति मिश्रा बताते हैं | कि दीपावली से पहले आती हैं धनतेरस वो बहुत ही ख़ासदिन होता हैं | जिस दिन हम अपने घर की साफ़-सफ़ाई करते हैं और शाम को घर में पूजा –पाठ करते हैं | शाम को ही हम लोग अपने घर के लिए कुछ ना कुछ सामान ज़रूर ख़रीदते हैं | चाहे सोना हो या चांदी ,बर्तन हो या कोई भी सजावटी सामान हमलोग अपने घरों के लिए जरुर लाते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता हैं कि धनतेरस पर जो भी खरीदारी की जाती हैं वो हमारे घर में ख़ुशहाली लाती हैं | और साल भर हमारे घर का भंडारा भरा ही रहता हैं |
क्यों होती हैं माता लक्ष्मी की पूजा
कहते हैं दीपावली दीपों का खास पर्व होता हैं इसमें हमारे चारो तरफ़ दीपों की रौशनी होती हैं यह दिन हर व्यक्ति के जीवन में ख़ास होता हैं | क्योकिं इस दिन भगवान राम अयोध्या लौट कर आये थे कठिन वनवास के बाद जिसके उपरांत ही अयोध्यावासियों ने उनका स्वागत दीपों को सज़ा कर किया था कहा जाता हैं कि दीये की रोशनी से पूरा माहौल खुशनुमा था । पंडित शक्ति मिश्रा कहते हैं कि हमारे समाज में अपनी ख़ुशी को एक दूसरे से कहने के लिए यह त्यौहार ही होते हैं के माध्यम से हम लोग अपनी भावनाओं को दिखाते हैं । हमारे धर्म में कई पर्व हैं जैसे दीपावली ,होली , दशहरा , रक्षाबंधन, भाईदूज जो प्रमुख त्यौहारों में होते हैं । जिसे हम सभी लोग बड़ी धूम धाम से मानते हैं ।
आख़िर दीपों का त्यौहार दीपावली क्यों मनाई जाती हैं ।
दीपावली खुशियों का त्यौहार हैं जिसे धूमधाम से मनाया जाता हैं यह त्यौहार कार्तिक महीने में पड़ता हैं जब अमावस्या की काली रात होती हैं चारों तरफ अनगिनत दीपों की संख्या होती हैं । जगमगाते यह दीप अपनी खुशियों को चारो ओर बिखेरते हैं । कहते हैंकि भगवान राम चौदह साल का कठिन वनवास काट कर अयोध्या लौटे थे अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ इनको देख कर अयोध्या के लोगों ने चारो तरफ दीपों को जलाकर अपनी ख़ुशी को व्यक्त किया था । इसी दिन भगवान कृष्ण ने भी नरकासुर राक्षस को मारा था । ।यह दिन भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस भी है। इन सभी कारणों से हम दीपावली का त्योहार मनाते हैं। सभी लोग घर में सफ़ाई करते हैं उसके बाद लिपाई-पुताई, सजावट प्रारंभ हो जाती है। दीपोत्सव मनाने की तैयारियां – यह त्योहार लगभग सभी धर्म के लोग मनाते हैं । उत्सव – यह त्योहार पांच दिनों तक मनाया जाता है। धनतेरस से भाई दूज तक यह त्योहार चलता है। धनतेरस के दिन व्यापार अपने बहीखाते नए बनाते हैं। अगले दिन नरक चौदस के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करना अच्छा…माना जाता है। अमावस्या के दिन माता लक्ष्मी गणेश की पूजा की जाती है।खील-बताशे का प्रसाद चढ़ाया जाता है। नए कपड़े पहने जाते हैं। फुलझड़ी, पटाखे छोड़े जाते हैं। असंख्य दीपों की रंग-बिरंगी रोशनियां मन को मोह लेती हैं। दुकानों, बाजारों और घरों की सजावट दर्शनीय रहती है। अगला दिन परस्पर भेंट का दिन होता है। एक-दूसरे के गले लगकर दीपावली की शुभकामनाएं दी जाती हैं। लोग छोटे-बड़े, अमीर-गरीब का भेद भूलकर आपस में मिल-जुलकर यह त्योहार…मनाते हैं।
पूजा की तैयारी शुभ मुहूर्त
पंडित शक्ति मिश्रा ने बताया कि सबसे पहले माता लक्ष्मी, गणेश की मूर्ति ,दो या तीन मिट्टी के दो बड़े दीपक, कलश, जिस पर नारियल रखें, वरुण ,नवग्रह, षोडशमातृकाएं, कोई प्रतीक, बहीखाता, कलम और दवात,नकदी की संदूकची, थालियां, 1, 2, 3, जल का पात्र,यजमान, पुजारी, परिवार के सदस्य, आगंतुक।माता लक्ष्मी की पूजा अपनी शक्ति के अनुसार ही करें दिखावे की जरुरत नहीं । माता लक्ष्मी को पुष्प में कमल व गुलाब प्रिय है। फल में श्रीफल, सीताफल, बेर, अनार व सिंघाड़े प्रिय हैं। सुगंध में केवड़ा, गुलाब, चंदन के इत्र का प्रयोग इनकी पूजा में अवश्य करें। अनाज में चावल तथा मिठाई में घर… में बनी शुद्धता पूर्ण केसर की मिठाई या हलवा, शिरा का नैवेद्य उपयुक्त है। प्रकाश के लिए गाय का घी, मूंगफली या तिल्ली का तेल इनको शीघ्र प्रसन्न करता है। अन्य सामग्री में गन्ना, कमल गट्टा, खड़ी हल्दी, बिल्वपत्र, पंचामृत, गंगाजल, ऊन का आसन, रत्न आभूषण, गाय का गोबर, सिंदूर,.भोजपत्र का पूजन में उपयोग करना चाहिए।यह सभी चीजे माता लक्ष्मी को बहुत ही प्रिय हैं ।
शुभ मुहूर्त शाम प्रदोषकाल 5 :34 से 8 :11 तक ,फिर 7:14 से 7:52 बजे तक प्रदोष काल, स्थिर वृष लग्न एवं शुभ का चौघडिय़ा रहेगा, अत: लक्ष्मी पूजन का यह सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है। परन्तु शास्त्रों में कार्तिक कृष्ण अमावस्या की सम्पूर्ण रात्रि को काल रात्रि माना गया है। अत: सम्पूर्ण रात्रि में पूजा की जा सकती है।माता लक्ष्मी की पूजा शाम प्रदोष काल में करनी चाहिए । अमावस्या तिथि, प्रदोषकाल, शुभलग्न व चौघडिय़ां विशेष महत्व रखते हैं। ब्रह्मपुराण में इस कॉल में पूजन का उदाहरण मौजूद है ।
मन्त्र
> ॐ ऐं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:
> ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं क्लीं लक्ष्मी ममगृहे> ॐ ऐं क्लीं सौ:
पंडित शक्ति मिश्रा ने बताया कि अपनी शक्ति के अनुसार माता लक्ष्मी के पूजन में कमल गट्टे, नागकेसर, कमल पुष्प, खीर इत्यादि का प्रयोग करना चाहिए । यदि घर में देवी की प्रतिमा या धातु का यंत्र हो तो श्री सूक्त से अभिषेक करें । अपनी शक्ति के अनुसार रोज एक माला करें । इससे ऐश्वर्य की प्राप्ति जरूर होगी ।
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