इंदौर : मध्यप्रदेश के इंदौर जिले में करीब 10,000 बच्चों की ‘वानर सेना’ के कारनामें चर्चा का विषय बने हुए हैं. इन नौनिहालों ने गांवों में खुले में शौच की प्रवृत्ति पर पूरी तरह रोक लगाने के मुहिम में अनोखी भूमिका निभायी है. दरअसल ये बच्चे खुले में शौच करने वाले लोगों के सामने जाकर सीटी बजाने लगते हैं.
जिलाधिकारी पी. नरहरि ने देपालपुर क्षेत्र में खुले में शौच से मुक्त चार गांवों के निरीक्षण के बाद जानकारी दी कि ‘खुले में शौच से मुक्ति के अभियान में पांच से लेकर 12 वर्ष की उम्र के करीब 10,000 बच्चों की टोलियों का अहम योगदान रहा है. हमने इन टोलियों में शामिल बच्चों की नटखट हरकतों के चलते इन्हें वानर सेना का नाम दिया है
उन्होंने बताया कि प्रशासन ने जिले के हर गांव में 20 से 30 बच्चों की टोलियां बनाकर इन्हें ‘वानर सेना’ से जोड़ा. फिर गांवों में उन स्थानों की पहचान की, जहां लोग खुले में शौच के लिये जाते थे. हमनें इन स्थानों की ओर जाने वाले रास्तों पर बच्चों की टोलियों को तैनात कर दिया. जब इन बच्चों ने खुले में शौच के लिये जा रहे लोगों के सामने बार-बार सीटी बजायी, तो इन लोगों ने शर्मिंदगी महसूस की और पक्के शौचालयों का इस्तेमाल शुरू कर दिया.’
नरहरि ने बताया, ‘वानर सेना में शामिल कुछ नटखट बच्चे ऐसे भी थे, जो खुले में शौच के लिये जा रहे लोगों के हाथ से मग या डिब्बे छीनकर इनका पानी नीचे गिरा देते थे. इससे इन लोगों को उल्टे पैर घर लौटना पड़ता था.’ उन्होंने बताया कि जिले की 312 ग्राम पंचायतों के 610 गांवों के लगभग सभी घरों में पक्के शौचालयों का इस्तेमाल शुरू हो चुका है.
नरहरि ने उम्मीद जतायी कि जल्द ही इन्दौर को खुले में शौच की प्रवृत्ति से पूरी तरह मुक्त जिला घोषित किया जायेगा. जिला प्रशासन ने एक सितम्बर 2015 से खुले में शौच के खिलाफ मुहिम छेड़ी थी. इस मुहिम के तहत प्रदेश सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों के परिवारों को अनुदान देकर पिछले चार महीने में 25,000 से अधिक शौचालय में बनवाये हैं, जबकि 15,000 से ज्यादा शौचालय अन्य संसाधनों से बनवाये गये हैं.
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