as per dainik bhaskar :
नई दिल्ली. अपने यूजर्स की पसंद जानने के लिए गूगल, वॉट्सएेप और फेसबुक जैसी कंपनियां जासूसी करती हैं। इस वजह से यूजर्स के पसंद के हिसाब से ही स्क्रीन पर विज्ञापन आते हैं। यह आरोप साइबर सिक्युरिटी कंपनी अवास्ट ने लगाया है। कंपनी के सीईओ विन्सेंट स्टेकलर ने कहा, ‘‘गूगल हकीकत में एक विज्ञापन कंपनी है। यूजर्स की जासूसी करना, उनकी रुचि जानना और उसी के मुताबिक उन्हें विज्ञापन भेजना, यही इनका बिजनेस मॉडल है। हालांकि इसमें कुछ गलत नहीं है। यूजर्स को इसकी जानकारी होती है।’’
क्या कहना है अवास्ट का?
स्टेकलर एक मोबाइल सिक्युरिटी सॉफ्टवेयर जारी करने के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। फेसबुक के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘यूजर्स की प्राइवेसी का इस्तेमाल करने वाली यह एक और बड़ी कंपनी है। आप वॉट्सऐप पर जो बातचीत करते हैं, उसी के आधार पर फेसबुक पर आपके पास विज्ञापन आते हैं।’’ स्टेकलर ने कहा कि वॉट्सएेप का इस्तेमाल करने के लिए आपको अपना पूरा कॉन्टैक्ट डाटाबेस शेयर करना पड़ता है।
क्या कहना है गूगल का?
इस बारे में पूछने पर गूगल के स्पोक्सपर्सन ने कहा, ‘‘हम बिना रिपोर्ट देखे कमेंट नहीं कर सकते।’ वैसे गूगल के पॉलिसी पेज पर भी लिखा है कि ‘आपके डाटा से हमें विज्ञापन चुनने में मदद मिलती है।’ फेसबुक ने इस बारे में कोई कमेंट नहीं किया।
यूजर्स की हर जानकारी होती है इन्हें
अवास्ट के सीईओ ने एंड्रॉयड आधारित टॉप 100 एप्लिकेशंस की एनालिसिस पेश की। इसके मुताबिक :-
>99% ऐप ऐसे हैं जिनका आपके मोबाइल फोन पर पूरा कंट्रोल होता है।
>92% ऐप आपके नेटवर्क कनेक्शन पर नजर रख सकते हैं।
>90% ऐप आपके मोबाइल फोन के स्टोरेज को पढ़ सकते हैं।
>10% ऐप बातचीत रिकॉर्ड कर सकते हैं, तस्वीर और वीडियो ले सकते हैं।
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