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पार्टी प्रवक्ता आरपीएन सिंह ने बताया कि यह पहली बार हुआ है कि प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश के नेताओं की ऐसी बैठक में भाग लिया है। उत्तर प्रदेश में अगले साल के शुरू में चुनाव होने हैं। इस बैठक में कुछ प्रदेश नेताओं ने आरएलडी और पीस पार्टी जैसे छोटे दलों के साथ गठजोड़ करने का सुझाव दिया। कुछ नेताओं ने समर्थन जुटाने के लिए यात्राएं निकालने की बजाए प्रखंड स्तर पर बैठकें करने की वकालत की।
फिलहाल उत्तर प्रदेश के सभी जिलों की यात्रा कर रहे राहुल गांधी की संदेश यात्राओं के प्रभाव पर भी चर्चा हुई। वैसे पार्टी की ब्रीफिंग में सिंह इन सवालों को टाल गए कि प्रियंका गांधी अमेठी और रायबरेली लोकसभा क्षेत्रों के बाहर भी चुनाव प्रचार करेंगी या नहीं। पिछले विधानसभा चुनावों में उन्होंने खुद को इन क्षेत्रों तक ही सीमित रखा था। सिंह का इन सवालों पर कहना था, ‘यदि हम फैसला उन पर ही छोड़ दें तो बेहतर होगा।’ जब उनसे पूछा गया कि खुद को लोकतांत्रिक पार्टी के रूप में पेश करने वाली कांग्रेस ऐसे निर्णय परिवार पर क्यों छोड़ती है, तब भी उनका कुछ ऐसा ही जवाब था।
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उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी में मचे घमासान के बीच
प्रियंका गांधी ने पहली बार सोमवार को राज्य के कांग्रेस नेताओं के रणनीति
सत्र में हिस्सा लिया। कांग्रेस महासचिव गुलाम नबी आजाद द्वारा बुलाई गई यह
बैठक एक घंटे तक चली, जहां प्रियंका गांधी ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज
बब्बर, कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार शीला दीक्षित और प्रचार
प्रमुख संजय सिंह समेत प्रदेश नेताओं से बातचीत की।
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पार्टी प्रवक्ता आरपीएन सिंह ने बताया कि यह पहली बार हुआ है कि प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश के नेताओं की ऐसी बैठक में भाग लिया है। उत्तर प्रदेश में अगले साल के शुरू में चुनाव होने हैं। इस बैठक में कुछ प्रदेश नेताओं ने आरएलडी और पीस पार्टी जैसे छोटे दलों के साथ गठजोड़ करने का सुझाव दिया। कुछ नेताओं ने समर्थन जुटाने के लिए यात्राएं निकालने की बजाए प्रखंड स्तर पर बैठकें करने की वकालत की।
फिलहाल उत्तर प्रदेश के सभी जिलों की यात्रा कर रहे राहुल गांधी की संदेश यात्राओं के प्रभाव पर भी चर्चा हुई। वैसे पार्टी की ब्रीफिंग में सिंह इन सवालों को टाल गए कि प्रियंका गांधी अमेठी और रायबरेली लोकसभा क्षेत्रों के बाहर भी चुनाव प्रचार करेंगी या नहीं। पिछले विधानसभा चुनावों में उन्होंने खुद को इन क्षेत्रों तक ही सीमित रखा था। सिंह का इन सवालों पर कहना था, ‘यदि हम फैसला उन पर ही छोड़ दें तो बेहतर होगा।’ जब उनसे पूछा गया कि खुद को लोकतांत्रिक पार्टी के रूप में पेश करने वाली कांग्रेस ऐसे निर्णय परिवार पर क्यों छोड़ती है, तब भी उनका कुछ ऐसा ही जवाब था।
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