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सुदामा जी परिवार के सहारे तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपने पथ से विचलित नहीं हुये और ईश्वर की भक्ति में लीन रहे।परिवार पाण्डवो का भी था जिसने एकता अंखडता के बल पर कौरवों की महाशक्ति का विनाश कर दिया ।परिवार भगवान श्रीकृष्ण का भी था जिसका विनाश उन्हें अपनी आंखो के सामने करना पड़ा।परिवार जब तक हाथ की मुठ्ठी बना रहता है तब तक संगठित रहकर बड़ी से बड़ी शक्ति को चकनाचूर कर सकता है लेकिन जब वह हाथ की अंगुलियो की तरह अलग अलग रहता है तब जो जिस भी अंगुली को चाहेगा उसे तोड़ देगा।परिवार का प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री राष्ट्रपति सब परिवार का मुखिया होता है और अपने खून पसीने से परिवार को पाल पोसकर फलदायक बनाता है। कभी कभी राजा दशरथ की तरह अकाल मर भी जाता है और कभी कभी धृतराष्ट्र बनकर परिवार का विनासक बन जाता है।अगर पाँच गाँव पाण्डवो को दे दिये गये होते तो शायद महाभारत नहीं होती।परिवार के पीछे देशरूपी परिवार के पालक पोषक शासक होने की ताकत रखने वाले आज बीमार हो गये हैं।उनकी बेचारे की स्थिति" भय गति साँप छछूदर जैसी " वाली हो गयी है ।परिवार मजा ले रहा था और मुखिया का कलेजा फटा जा रहा था।मुखिया न जाने क्यों वेवश लग रहा था और परिवार को विश्वास में नहीं ले पा रहा था। कोई भी मुखिया जब अपने दिलोदिमाग से काम नहीं लेता है तो परिवार उस पर अविश्वास करने लगता है।मुखिया जिस पर अपना विश्वास व्यक्त कर रहे हैं परिवार उन्हें विध्वंशक विदूषक मान रहा है।कुशल यह है कि सत्ता का मामला है इसलिए परिवार जुड़कर एकजुट खड़ा तो हो सकता है किन्तु -"रहिमन माला प्रेम कै मत तोड़ौ चटकाय, टूटे से फिरि न जुड़य, जुड़य गाँठि परि जाय "। जिस परिवार की स्थिति हाथापाई मारपीट नीचा दिखाने तक की पहुँच गयी हो वह परिवार कितने दिनों तक एकता अंखडता बनाये रखेगा यह भविष्य के गर्त में छिपा है।परिवार में सभी राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न जैसे भाई नहीं होते है और परिवार में सभी राजा दशरथ नहीं होते। धन्यवाद ।भूलचूक गलती माफ।सुप्रभात
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परिवार मनुष्य जीवन में उद्धारक और विनाशक दोनों होता है।परिवार के चलते ही
राजा दशरथ को अपने प्राण त्याग देने पड़े और भगवान राम को राजगद्दी की जगह
बनवास मिल गया।परिवार से जुड़े होने के नाते रावण के साथ विभीषण को छोड़
कोई शाम को दिया जलाने वाला तक नहीं बचा।
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सुदामा जी परिवार के सहारे तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपने पथ से विचलित नहीं हुये और ईश्वर की भक्ति में लीन रहे।परिवार पाण्डवो का भी था जिसने एकता अंखडता के बल पर कौरवों की महाशक्ति का विनाश कर दिया ।परिवार भगवान श्रीकृष्ण का भी था जिसका विनाश उन्हें अपनी आंखो के सामने करना पड़ा।परिवार जब तक हाथ की मुठ्ठी बना रहता है तब तक संगठित रहकर बड़ी से बड़ी शक्ति को चकनाचूर कर सकता है लेकिन जब वह हाथ की अंगुलियो की तरह अलग अलग रहता है तब जो जिस भी अंगुली को चाहेगा उसे तोड़ देगा।परिवार का प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री राष्ट्रपति सब परिवार का मुखिया होता है और अपने खून पसीने से परिवार को पाल पोसकर फलदायक बनाता है। कभी कभी राजा दशरथ की तरह अकाल मर भी जाता है और कभी कभी धृतराष्ट्र बनकर परिवार का विनासक बन जाता है।अगर पाँच गाँव पाण्डवो को दे दिये गये होते तो शायद महाभारत नहीं होती।परिवार के पीछे देशरूपी परिवार के पालक पोषक शासक होने की ताकत रखने वाले आज बीमार हो गये हैं।उनकी बेचारे की स्थिति" भय गति साँप छछूदर जैसी " वाली हो गयी है ।परिवार मजा ले रहा था और मुखिया का कलेजा फटा जा रहा था।मुखिया न जाने क्यों वेवश लग रहा था और परिवार को विश्वास में नहीं ले पा रहा था। कोई भी मुखिया जब अपने दिलोदिमाग से काम नहीं लेता है तो परिवार उस पर अविश्वास करने लगता है।मुखिया जिस पर अपना विश्वास व्यक्त कर रहे हैं परिवार उन्हें विध्वंशक विदूषक मान रहा है।कुशल यह है कि सत्ता का मामला है इसलिए परिवार जुड़कर एकजुट खड़ा तो हो सकता है किन्तु -"रहिमन माला प्रेम कै मत तोड़ौ चटकाय, टूटे से फिरि न जुड़य, जुड़य गाँठि परि जाय "। जिस परिवार की स्थिति हाथापाई मारपीट नीचा दिखाने तक की पहुँच गयी हो वह परिवार कितने दिनों तक एकता अंखडता बनाये रखेगा यह भविष्य के गर्त में छिपा है।परिवार में सभी राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न जैसे भाई नहीं होते है और परिवार में सभी राजा दशरथ नहीं होते। धन्यवाद ।भूलचूक गलती माफ।सुप्रभात
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