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--मुंबई: भूमि आवंटन विवाद में घिरी भाजपा सांसद हेमा मालिनी के लिए संकट बढ़ गया है. एक ताजा आरटीआई अर्जी के जवाब से इस बात का खुलासा हुआ कि अदाकारा ने वर्सोवा में इससे पहले खुद को दी गई जमीन पर मैंग्रोव (समुद्र तटीय पेड़) को नष्ट कर तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) का कथित तौर पर उल्लंघन किया, जिसके चलते उन्हें 1998 में एक नोटिस जारी हुआ था.
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--मुंबई: भूमि आवंटन विवाद में घिरी भाजपा सांसद हेमा मालिनी के लिए संकट बढ़ गया है. एक ताजा आरटीआई अर्जी के जवाब से इस बात का खुलासा हुआ कि अदाकारा ने वर्सोवा में इससे पहले खुद को दी गई जमीन पर मैंग्रोव (समुद्र तटीय पेड़) को नष्ट कर तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) का कथित तौर पर उल्लंघन किया, जिसके चलते उन्हें 1998 में एक नोटिस जारी हुआ था.
हालांकि, अदाकारा ने दलील दी कि मामले पर एक अनावश्यक विवाद छेड़ा गया है क्योंकि वह पहले ही कह चुकी हैं कि वह हाल में आवंटित की गई जमीन पर कब्जा मिल जाने के बाद वर्सोवा स्थित जमीन लौटा देंगी.
अदाकारा से नेता बनी हेमा अंधेरी के ओशीवारा में 2,000 वर्ग मीटर जमीन महज 70,000 रूपये की मामूली कीमत में मिलने को लेकर विपक्ष की आलोचना का सामना कर रही हैं.
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली द्वारा दाखिल आरटीआई अर्जी के जवाब में मुंबई उपनगरीय कलेक्टर द्वारा तैयार सूचना के मुताबिक हेमा को वर्सोवा गांव (अंधेरी तालुका) में एक भूखंड आवंटित किया गया जिसका सर्वे नंबर 161 है. इसका क्षेत्रफल 1741. 89 वर्ग मीटर है जो उन्हें चार अप्रैल 1997 को सौंपा गया था.
इसके बाद 28 अगस्त 1998 को मुंबई उपनगरीय कलेक्टर ने उन्हें एक नोटिस तामील किया था जिसकी प्रति गलगली को मिली है.
यह नोटिस हेमा को संबोधित है जो नाट्यविहार कला केंद्र चैरिटी ट्रस्ट की न्यासी हैं. उनसे पूछा गया है कि सीआरजेड अधिनियम के नियमों का उल्लंघन किये जाने को लेकर इस कार्यालय (उपनगरीय कलेक्टर ) को राज्य सरकार से आवंटन रद्द करने के लिए क्यों नहीं कहना चाहिए.
जवाब के मुताबिक नृत्य अकादमी ने भूखंड हासिल करने के लिए 10 लाख रूपया अदा किया.
नोटिस में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि एक वास्तुकार के हस्ताक्षरित परियोजना रिपोर्ट में परियोजना के लिए 25 प्रतिशत कोष उपलब्धता को दिखाया गया है लेकिन जानना चाहा गया कि शेष 75 प्रतिशत लागत जुटाने के लिए न्यास की क्या योजना है.
अंधेरी तहसीलदार द्वारा कलेक्टर को सौंपी गई रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मैंग्रोव पेड़ों को नष्ट कर सीआरजेड नियमों का उल्लंघन किया गया है.
गलगली ने आरोप लगाया, ‘‘जिस नोटिस के जरिए 10 दिनों में जवाब मांगा गया उसका न्यास ने कभी जवाब नहीं दिया, ना ही कलेक्टर कार्यालय ने कभी कार्रवाई की.’’ आरोपों को खारिज करते हुए हेमा ने कहा कि यह सारा हंगामा अनावश्यक है क्योंकि मेरा कभी भी दो भूखंड हासिल करने का इरादा नहीं रहा है. मैं पहले आवंटित की गई जमीन को लौटाने का फैसला पहले ही कर चुकी हूं और हाल ही में आवंटित जमीन पर कब्जा मिलने के बाद मैं ऐसा करने जा रही हूं.
आरटीआई कार्यकर्ता ने कहा कि वह अदाकारा को जमीन आवंटित किए जाने के खिलाफ नहीं हैं बल्कि वह राज्य सरकार द्वारा अदाकारा के लिए किए गए पक्षपात पर सवाल कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि न सिर्फ भाजपा नीत सरकार, बल्कि अन्य सरकारें भी इस अदाकारा का समर्थन करने में शामिल रही है.
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