लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनावी तोहफे पर विशेष

---- -Sponsor-
--जनतांत्रिक प्रणाली में लोकतंत्रिक व्यवस्था की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।लोकतांत्रिक प्रणाली के चार स्तम्भ माने गये हैं जिनमें कार्यपालिका न्यायपालिका विधायिका व पत्रकारिता मानी गयी हैं।विधायिका सरकार में रहकर कानून बनाती है और कार्यपालिका उसे आम जनताख तक पहुँचाती है।राजतन्त्र में राजा रानी के पेट से पैदा होता था किन्तु लोकतंत्र में मतदान पेटी व वोटिंग मशीन से पैदा होता है। लोकतंत्र में राजा का मतलब प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री और जनप्रतिनिधि होते हैं।लोकतंत्र में जनप्रतिनिधि जनता की सेवा करके उनका मत लेकर सरकार बनाता है।अभी लोकतांत्रिक व्यवस्था को लागू हुये छह दशक ही बीते हैं और इतने ही दिनों लोकतांत्रिक परिभाषा बदलने लगी है।चुनावी साल आते आते इसका रूप बदलने लगता है और सरकार जनता एवं तंत्र से जुड़े लोगों को अपनी तरफ आकृष्ट कराने के लिये तरह तरह के कार्य शुरू कर दिये जाते हैं।जो माँगें चार साल में आंदोलन आदि करने पर भी नहीं माँगी पूरी होती हैं वह चुनाव आते ही पूरे हो जाते हैं।प्रदेश सरकार जनता के मध्य तमाम चतुर्दिक योजनाओं को लागू कर अन्य तमाम घोषणा कर चुकी है।लेकिन अभी राज्य कर्मचारियों लोकसेवको को चुनावी तोहफा नहीं मिला था।
सत्ताधारी दल अगर चुनाव के समय उपहार बाँटते हैं तो विपक्ष तमाम तरह के लुभावने वायदे करता है। चुनावी जनादेश को अपने पक्ष में लाने के लिये लोकतंत्रिक वसूलों सिद्धांतो को ताख पर रख दिया जाता है।चुनाव में आम जनता के साथ लोकसेवको की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका होती है इसलिए जनता के साथ इन्हें भी खुश किया जाता है ताकि सकारात्मक सोच हमदर्दी के साथ चुनाव में साथ दे।इतिहास साक्षी है कि जनता की तरह कर्मचारियों लोकसेवको ने भी जब जिस सत्तादल को चाहा तब उसे चुनाव में सत्ताच्युत कर दिया।चुनाव के समय चुनाव आयोग कहीं बाहर से नहीं बल्कि इसी तंत्र के लोगों से चुनाव प्रक्रिया सम्पन कराकर हार जीत की घोषणा करता है।इसीलिए सरकार जनता के साथ कर्मचारियों लोकसेवको को भी चुनाव के समय लाभ देती है।सरकार की इसी परम्परा को आगे बढ़ाते हुये प्रदेश सरकार ने भी परसो अपनी कैबिनेट की बैठक सातवें वेतनमान की संस्तुतियो को लागू कर दिया है।इसका लाभ 27 लाख लोकसेवको को मिलेगा जिसमें  राज्य कर्मचारी अधिकारी शिक्षक शिक्षणेत्तर कर्मचारी नगर निकाय जल संस्थाओं विकास प्राधिकरणों स्वशाषी संस्थाओं और सार्वजनिक उपक्रमों से जुड़े लोगों को जनवरी 2016 से मिलेगा। इसके साथ ही अन्य तमाम तरह के प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष लाभ भी तोहफे के तौर पर दिये गये हैं।लोकतांत्रिक व्यवस्था में आ रही गिरावट का फल है कि जनमत अपने पक्ष में करने के लिये जनतांत्रिक व्यवस्था का गला घोटकर जनता का सेवक बनने के लिये आम मतदाताओं की खरीद फरोख्त होने लगी है।हालाँकि राज्य सरकार अपने लोकसेवको को जो तोहफे के रूप में देती है वह जनता की गाढी कमाई का होता है और अधिकांश कर्मचारी लोकसेवक उसी आम जनता से जुड़े होते हैं। धन्यवाद।-- Sponsored Links:-
Share on Google Plus

About PPN

0 comments:

Post a Comment