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चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ इन चारों याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। याचिकाओं में इस फैसले को मनमाना और तर्कहीन बताते हुए निरस्त करने की गुहार की गई है। वहीं केंद्र सरकार ने इस मामले में कैविएट दाखिल कर कहा है कि अदालत द्वारा किसी भी निर्णय लेने से पहले उनका पक्ष सुना जाए।
हाईकोर्ट की मदुरै पीठ ने उंचे मूल्य के नोटों पर पाबंदी रद्द करने की मांग करने वाली जनहित याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि सरकार का फैसला देश की सुरक्षा एवं विकास के लिए उपयुक्त है। याचिकाकर्ता ने इस आधार पर सरकार का फैसला खारिज करने की मांग की थी कि वह मौद्रिक व्यवस्था से जुड़ी नीतियों में दखल नहीं दे सकती।
बंबई हाईकोर्ट की अवकाशकालीन पीठ ने ऐसी ही एक याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया और कहा कि याचिकाकर्ताओं को 15 नवम्बर के बाद नियमित पीठ के समक्ष जाना चाहिए क्योंकि यह कानून से जुड़ा हुआ मामला है। केंद्र ने उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री में एक कैविएट दाखिल करके कहा कि यदि न्यायालय याचिकाओं की सुनवाई करता है और कुछ निर्देश पारित करता है तो उसकी भी बात सुनी जाए।
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नई दिल्ली: 500 और 1000 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने को लेकर
सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई है। सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को 500 और 1000
रुपये की नोटबंदी को लेकर दाखिल चार याचिकाओं पर सुनवाई करेगी, लिहाजा
लोगों की निगाहें इस पर टिकी हुई है।
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चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ इन चारों याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। याचिकाओं में इस फैसले को मनमाना और तर्कहीन बताते हुए निरस्त करने की गुहार की गई है। वहीं केंद्र सरकार ने इस मामले में कैविएट दाखिल कर कहा है कि अदालत द्वारा किसी भी निर्णय लेने से पहले उनका पक्ष सुना जाए।
हाईकोर्ट की मदुरै पीठ ने उंचे मूल्य के नोटों पर पाबंदी रद्द करने की मांग करने वाली जनहित याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि सरकार का फैसला देश की सुरक्षा एवं विकास के लिए उपयुक्त है। याचिकाकर्ता ने इस आधार पर सरकार का फैसला खारिज करने की मांग की थी कि वह मौद्रिक व्यवस्था से जुड़ी नीतियों में दखल नहीं दे सकती।
बंबई हाईकोर्ट की अवकाशकालीन पीठ ने ऐसी ही एक याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया और कहा कि याचिकाकर्ताओं को 15 नवम्बर के बाद नियमित पीठ के समक्ष जाना चाहिए क्योंकि यह कानून से जुड़ा हुआ मामला है। केंद्र ने उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री में एक कैविएट दाखिल करके कहा कि यदि न्यायालय याचिकाओं की सुनवाई करता है और कुछ निर्देश पारित करता है तो उसकी भी बात सुनी जाए।
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