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वह सब बेकार जायेगा क्योंकि वह काली कमाई है बैंक नहीं जा सकती है।जो आशंका थी वही हुआ जनता तो बैंको में पैसा पाकर संतुष्ट हो गयी और उसे विश्वास हो गया कि जो गाढी कमाई रखी है वह बेकार नहीं जायेगीऔर देर सबेर उसे उसके पैसे उसके खाते में जमा हो जायेगे और निकल भी आयेगें। इस घोषणा के बाद हाहाकार इसलिए मच गया कि गाँव शहर ऐसा कोई घर परिवार का सदस्य नहीं होगा जिसके पास चाहे एक दो नोट ही रहे हो लेकिन थे जरूर नोट बंद होने की बात सुनकर आम जनता घबडा गयी। कल गाँव देहात व दूकानदारो को छोड़कर बड़े प्रतिष्ठानों में लेनदेन और पुरानी करेन्सी पर बैंक ड्राफ्ट बने लेनदेन भी हुआ जबकि आशंका थी कि बैंक खुलने पर अफरा तफरी मच जायेगी लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ।कुल मिलाकर प्रधानमंत्री के निर्णय की सराहना की जा रही है और इसे जरूरी ऐतिहासिक फैसला बताया रहा है।समस्या उनके सामने जरूर आ गयी हैं जिनके घरों में शादी ब्याह है या बाहर अस्पताल आदि में फंसे हैं।प्रधानमंत्री के इस सर्जिकल आपरेशन की बुराई नहीं बल्कि इसे लागू करने के तरीके का विरोध अब तक सिर्फ़ बसपा व सपा को छोड़कर किसी भी दल ने नहीं की है।बसपा प्रमुख ने तो इसे इमरजेन्सी लगाना तक कह दिया और मुलायम सिंह यादव ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।इन दोनों प्रमुखो की चिन्ता भले ही जनहित में हो किन्तु आम जनता इसका मतलब दूसरा निकाल रही है और दोनों को अकूत काली कमाई रखने वाले के रूप में देखने लगी है।फिलहाल दोनों पार्टी प्रमुख मोदी के खिलाफ सर्जिकल आपरेशन करने की मुहिम में जुट गये हैं।दूसरी तरफ मोदी पर भी सोशल मीडिया पर उनकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य की बेटी के हाथ में नये नोटों की गड्डी बैंक में आने से पहले आने से संदेह की अंगुली उठने लगी है और सवाल होने लगे हैं कि जब बैंक ने नये दो हजार के नोट जारी ही नहीं किये थे उनके हाथ में गड्डी कैसे आ गयी?कुल मिलाकर पाँच सौ व एक हजार के नोटों पर प्रतिबंध लगने से थोड़ी बहुत दिक्कतों के बावजूद आम जनता खुश है।वह लोग सबसे ज्यादा खुश हैं जो मेहनत की कमाते हैं और काली कमाई की बाजार से दूर रहते हैं।परेशान वह है जिसके पास लाखों करोड़ों ऐसे नोट हैं जिनके बारे में वह बता भी नहीं सकते हैं कि कहाँ से कैसे लाये हैं।मोदी के इस सर्जिकल आपरेशन का कुछ लोग फायदा भी लेने का प्रयास कर रहे हैं और लोगों को बरगला कर बीस से चालीस प्रतिशत कटौती पर नोटों को लेने का धंधा शुरू कर दिये हैं और बडे लोग बडे हथकंडे अपनाकर सरकार की आंख में धूल झोंकने की जुगत में जुटे है। लेकिन यह स्थिति कल बैंको में हुए लेनदेन के बाद काफी हद तक कम हुयी है और अब इसमें सिर्फ वह लोग रूचि ले रहें हैं जिनके पास बैंक का जरिया नहीं है या पहली बार इतनी मोटी रकम बैंक ले जाने से घबडाते हैं।दो हजार के नये नोट पर भी जमकर प्रतिक्रिया हो रही है और कोई चूरन वाला तो कोई खराब कागज वाला बताकर मजाक उड़ा रहा है। फिलहाल अब इस निर्णय में कोई छूट देने से जनता को कोई लाभ नहीं मिलेगा बल्कि काली कमाई वालों को सफेद बनाने का मौका जरूर मिल जायेगा।यह कड़ा कदम समय की माँग थी क्योंकि इससे राष्ट्र को चतुर्दिक क्षति हो रही थी तथा हमारा लोकतांत्रिक ढाँचा प्रभावित होने लगा था।
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साथियों,
कल हमने प्रधानमंत्री पाँच सौ व एक हजार के नोट पर रोक लगाने की चर्चा की थी।हमने कहा था कि इस निर्णय से सबसे ज्यादा क्षति राजनेताओं को होगी क्योंकि जो पैसा आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में खर्च करने के लिये इकट्ठा कर रखा है।
कल हमने प्रधानमंत्री पाँच सौ व एक हजार के नोट पर रोक लगाने की चर्चा की थी।हमने कहा था कि इस निर्णय से सबसे ज्यादा क्षति राजनेताओं को होगी क्योंकि जो पैसा आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में खर्च करने के लिये इकट्ठा कर रखा है।
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वह सब बेकार जायेगा क्योंकि वह काली कमाई है बैंक नहीं जा सकती है।जो आशंका थी वही हुआ जनता तो बैंको में पैसा पाकर संतुष्ट हो गयी और उसे विश्वास हो गया कि जो गाढी कमाई रखी है वह बेकार नहीं जायेगीऔर देर सबेर उसे उसके पैसे उसके खाते में जमा हो जायेगे और निकल भी आयेगें। इस घोषणा के बाद हाहाकार इसलिए मच गया कि गाँव शहर ऐसा कोई घर परिवार का सदस्य नहीं होगा जिसके पास चाहे एक दो नोट ही रहे हो लेकिन थे जरूर नोट बंद होने की बात सुनकर आम जनता घबडा गयी। कल गाँव देहात व दूकानदारो को छोड़कर बड़े प्रतिष्ठानों में लेनदेन और पुरानी करेन्सी पर बैंक ड्राफ्ट बने लेनदेन भी हुआ जबकि आशंका थी कि बैंक खुलने पर अफरा तफरी मच जायेगी लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ।कुल मिलाकर प्रधानमंत्री के निर्णय की सराहना की जा रही है और इसे जरूरी ऐतिहासिक फैसला बताया रहा है।समस्या उनके सामने जरूर आ गयी हैं जिनके घरों में शादी ब्याह है या बाहर अस्पताल आदि में फंसे हैं।प्रधानमंत्री के इस सर्जिकल आपरेशन की बुराई नहीं बल्कि इसे लागू करने के तरीके का विरोध अब तक सिर्फ़ बसपा व सपा को छोड़कर किसी भी दल ने नहीं की है।बसपा प्रमुख ने तो इसे इमरजेन्सी लगाना तक कह दिया और मुलायम सिंह यादव ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।इन दोनों प्रमुखो की चिन्ता भले ही जनहित में हो किन्तु आम जनता इसका मतलब दूसरा निकाल रही है और दोनों को अकूत काली कमाई रखने वाले के रूप में देखने लगी है।फिलहाल दोनों पार्टी प्रमुख मोदी के खिलाफ सर्जिकल आपरेशन करने की मुहिम में जुट गये हैं।दूसरी तरफ मोदी पर भी सोशल मीडिया पर उनकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य की बेटी के हाथ में नये नोटों की गड्डी बैंक में आने से पहले आने से संदेह की अंगुली उठने लगी है और सवाल होने लगे हैं कि जब बैंक ने नये दो हजार के नोट जारी ही नहीं किये थे उनके हाथ में गड्डी कैसे आ गयी?कुल मिलाकर पाँच सौ व एक हजार के नोटों पर प्रतिबंध लगने से थोड़ी बहुत दिक्कतों के बावजूद आम जनता खुश है।वह लोग सबसे ज्यादा खुश हैं जो मेहनत की कमाते हैं और काली कमाई की बाजार से दूर रहते हैं।परेशान वह है जिसके पास लाखों करोड़ों ऐसे नोट हैं जिनके बारे में वह बता भी नहीं सकते हैं कि कहाँ से कैसे लाये हैं।मोदी के इस सर्जिकल आपरेशन का कुछ लोग फायदा भी लेने का प्रयास कर रहे हैं और लोगों को बरगला कर बीस से चालीस प्रतिशत कटौती पर नोटों को लेने का धंधा शुरू कर दिये हैं और बडे लोग बडे हथकंडे अपनाकर सरकार की आंख में धूल झोंकने की जुगत में जुटे है। लेकिन यह स्थिति कल बैंको में हुए लेनदेन के बाद काफी हद तक कम हुयी है और अब इसमें सिर्फ वह लोग रूचि ले रहें हैं जिनके पास बैंक का जरिया नहीं है या पहली बार इतनी मोटी रकम बैंक ले जाने से घबडाते हैं।दो हजार के नये नोट पर भी जमकर प्रतिक्रिया हो रही है और कोई चूरन वाला तो कोई खराब कागज वाला बताकर मजाक उड़ा रहा है। फिलहाल अब इस निर्णय में कोई छूट देने से जनता को कोई लाभ नहीं मिलेगा बल्कि काली कमाई वालों को सफेद बनाने का मौका जरूर मिल जायेगा।यह कड़ा कदम समय की माँग थी क्योंकि इससे राष्ट्र को चतुर्दिक क्षति हो रही थी तथा हमारा लोकतांत्रिक ढाँचा प्रभावित होने लगा था।
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