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दिल्ली : भारत-पाक सीमा से लगे उरी में आतंकी हमले के
बाद पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक दबाव बढ़ाते हुए भारत ने आज यहां उसके
उच्चायुक्त को तलब किया और हमले में पाक आतंकवादियों के शामिल होने पर
बरामद सबूतों को उनके संज्ञान में लाया।
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विदेश सचिव एस. जयशंकर ने बुधवार को पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित को तलब किया और कहा कि उरी में हुआ आतंकी हमला सिर्फ इस बात को रेखांकित करता है कि पाकिस्तान में आतंकवाद का ढांचा सक्रिय है। विदेश सचिव ने पाकिस्तानी उच्चायुक्त से कहा, ‘अगर पाकिस्तान की सरकार इन सीमा पार हमलों की जांच कराने की इच्छुक है तो भारत उरी एवं पुंछ हमलों में मारे गए आतंकवादियों के फिंगरप्रिंट और डीएनए नमूने प्रदान करने को तैयार है।’
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी आज कहा कि सरकार उरी हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को दंडित करने के बारे में काफी गंभीर है और वह सीमा पार से भारत में फैलाये जा रहे आतंकवाद पर आंख नहीं मूंदे रहेगी। जयशंकर ने आतंकवादियों के शवों से मिले जीपीएस से संबंधित जानकारी के बारे में बासित को बताया। इन जीपीएस के ब्यौरे से यह संकेत मिलता है कि आतंकवादियों ने किस स्थल से और किस समय नियंत्रण रेखा पार की तथा घटनास्थल तक पहुंचने का उनका रास्ता क्या था। आतंकवादियों के पास पाकिस्तानी निशान वाले हथगोले भी थे जो उरी हमले में पाकिस्तान की भूमिका का सबूत है।
पाकिस्तान के खिलाफ सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांगों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (सीसीएस) की बैठक बुलाई जिसमें रविवार को हुए हमले पर जवाब देने के बारे में विचार-विमर्श किया गया। हमले में 18 जवान शहीद हो गये। मोदी ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ भी बातचीत की।
पर्रिकर ने एक कार्यक्रम में कहा, ‘हम हर चीज का बारीकी से अध्ययन कर रहे हैं और मेरा मानना है कि प्रधानमंत्री के ये शुरूआती शब्द महज बयानबाजी नहीं समझी जानी चाहिए कि हमले के जिम्मेदार लोगों को दंडित किया जाएगा। सजा कैसे दी जानी है, उसके लिए हमें काम करना है। हम इस बारे में काफी गंभीर हैं।’
जयशंकर ने बासित को तलब करते हुए कहा कि पाकिस्तान को भारत के खिलाफ आतंकवाद के समर्थन और प्रायोजन से दूर रहने की अपनी सार्वजनिक प्रतिबद्धता पर खरा उतरना चाहिए। उन्होंने बासित को यह भी याद दिलाया कि पाकिस्तान सरकार ने जनवरी, 2004 में यह प्रतिबद्धता जताई थी कि वह भारत के खिलाफ अपनी सरजमीं अथवा नियंत्रण वाले क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं होने देगी।
जयशंकर ने बासित से कहा, ‘इस हलफनामे का निरंतर और तेजी से हो रहा उल्लंघन बहुत गंभीर चिंता का विषय है।’ विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस साल की शुरूआत में पठानकोट हमले के बाद से हथियारबंद आतंकवादियों ने भारत में हमलों को अंजाम देने के लिए नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करने का निरंतर प्रयास किया है।
उन्होंने कहा, ‘नियंत्रण रेखा पर अथवा इसके आसपास 17 ऐसी कोशिशों का पता चला जिसका नतीजा यह रहा कि 31 आतंकवादियों का खात्मा किया गया और आतंकवादी गतिविधियों के उनके इरादे को नाकाम किया गया।’ जीपीएस की सामग्री के अलावा आतंकवादियों के पास कई दूसरे सामान भी बरामद किए गए हैं जिनमें संचार मैट्रिक शीट और उपकरण, पाकिस्तान की खाद्य सामाग्री, औषधियां एवं कपड़े शामिल हैं। इस बारे में बासित को बताया गया। जयशंकर ने उनसे कहा, ‘अब हम पाकिस्तान की सरकार से जवाब की उम्मीद करते हैं।
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विदेश सचिव एस. जयशंकर ने बुधवार को पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित को तलब किया और कहा कि उरी में हुआ आतंकी हमला सिर्फ इस बात को रेखांकित करता है कि पाकिस्तान में आतंकवाद का ढांचा सक्रिय है। विदेश सचिव ने पाकिस्तानी उच्चायुक्त से कहा, ‘अगर पाकिस्तान की सरकार इन सीमा पार हमलों की जांच कराने की इच्छुक है तो भारत उरी एवं पुंछ हमलों में मारे गए आतंकवादियों के फिंगरप्रिंट और डीएनए नमूने प्रदान करने को तैयार है।’
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी आज कहा कि सरकार उरी हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को दंडित करने के बारे में काफी गंभीर है और वह सीमा पार से भारत में फैलाये जा रहे आतंकवाद पर आंख नहीं मूंदे रहेगी। जयशंकर ने आतंकवादियों के शवों से मिले जीपीएस से संबंधित जानकारी के बारे में बासित को बताया। इन जीपीएस के ब्यौरे से यह संकेत मिलता है कि आतंकवादियों ने किस स्थल से और किस समय नियंत्रण रेखा पार की तथा घटनास्थल तक पहुंचने का उनका रास्ता क्या था। आतंकवादियों के पास पाकिस्तानी निशान वाले हथगोले भी थे जो उरी हमले में पाकिस्तान की भूमिका का सबूत है।
पाकिस्तान के खिलाफ सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांगों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (सीसीएस) की बैठक बुलाई जिसमें रविवार को हुए हमले पर जवाब देने के बारे में विचार-विमर्श किया गया। हमले में 18 जवान शहीद हो गये। मोदी ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ भी बातचीत की।
पर्रिकर ने एक कार्यक्रम में कहा, ‘हम हर चीज का बारीकी से अध्ययन कर रहे हैं और मेरा मानना है कि प्रधानमंत्री के ये शुरूआती शब्द महज बयानबाजी नहीं समझी जानी चाहिए कि हमले के जिम्मेदार लोगों को दंडित किया जाएगा। सजा कैसे दी जानी है, उसके लिए हमें काम करना है। हम इस बारे में काफी गंभीर हैं।’
जयशंकर ने बासित को तलब करते हुए कहा कि पाकिस्तान को भारत के खिलाफ आतंकवाद के समर्थन और प्रायोजन से दूर रहने की अपनी सार्वजनिक प्रतिबद्धता पर खरा उतरना चाहिए। उन्होंने बासित को यह भी याद दिलाया कि पाकिस्तान सरकार ने जनवरी, 2004 में यह प्रतिबद्धता जताई थी कि वह भारत के खिलाफ अपनी सरजमीं अथवा नियंत्रण वाले क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं होने देगी।
जयशंकर ने बासित से कहा, ‘इस हलफनामे का निरंतर और तेजी से हो रहा उल्लंघन बहुत गंभीर चिंता का विषय है।’ विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस साल की शुरूआत में पठानकोट हमले के बाद से हथियारबंद आतंकवादियों ने भारत में हमलों को अंजाम देने के लिए नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करने का निरंतर प्रयास किया है।
उन्होंने कहा, ‘नियंत्रण रेखा पर अथवा इसके आसपास 17 ऐसी कोशिशों का पता चला जिसका नतीजा यह रहा कि 31 आतंकवादियों का खात्मा किया गया और आतंकवादी गतिविधियों के उनके इरादे को नाकाम किया गया।’ जीपीएस की सामग्री के अलावा आतंकवादियों के पास कई दूसरे सामान भी बरामद किए गए हैं जिनमें संचार मैट्रिक शीट और उपकरण, पाकिस्तान की खाद्य सामाग्री, औषधियां एवं कपड़े शामिल हैं। इस बारे में बासित को बताया गया। जयशंकर ने उनसे कहा, ‘अब हम पाकिस्तान की सरकार से जवाब की उम्मीद करते हैं।
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