घंटाघर: रोज लगेगा जाम ही जाम.. क्योंकि यहां दो थानों की पुलिस की वसूली जारी है!

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 घंटाघर को नगर निगम ने 4 साल से घोषित कर रखा है स्ट्रिक्ट ‘नो वेंडिंग जोन’, ठेला, खोमचा, गुमटी लगाना वर्जित है
◆ यहां तहबाजारी भी नहीं, जमीन पर दुकानदारी भी सख्ती से वर्जित है
◆ फिर भी लगते हैं सैकड़ों ठेले-खोमचे और पूरी फल मंडी, जमीन पर दुकानें भी
◆ झकरकटी पुल, नयापुल से लेकर टाटमिल, स्टेशन पुल और पूरे घंटाघर पर हाथ ठेला, भैंसा ठेला, खड़खड़ा, हाथ वाली ट्राॅली को ट्रैफिक पुलिस ने कर रखा वर्जित

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◆ सालों से इतने सारे प्रतिबंध होने के बावजूद केवल थाना हरबंसमोहाल की सुतरखाना चैकी और थाना कलक्टरगंज की नयागंज चैकी क्षेत्र की भीषण वसूली और उसमें थानों का हिस्सा होने के कारण नियम-कानून की धज्जियां उड़ाकार पुलिस ही सब करवा रही है, ऐसे आरोप लगते हैं
◆ कथित तौर पर घंटाघर की चैतरफा वसूली में ‘ऊपर’ की हिस्सेदारी के कारण थाने-चैकी को विसूली के लिये वरदहस्त
◆ खुद फलों के ठेले वालों, अंडे, बताशे, के खोमचे वालों और पान आदि की गुमटियां लगाने वालों के अनुसार पुलिस को रोज का 70 से 150 रुपये देकर आराम से करते हैं धंधा
◆ ठेले, खोमचे, गुमटियों, वर्जित वाहनों से एंट्री देने के लिये और टेंपो, आटो वालों से तीन-तीन प्राइवेट लड़के वसूली करके देते हैं ‘कुछ’ पुलिसकर्मियों को
◆ स्टेशन साइड पर एक सांसद-विधायक परिवार के रिश्तेदार और उनके गुर्गों द्वारा आओ-टेंपो से रोजना हजारों वसूली का आरोप
◆ अकेले हरबंसमोहाल की सुतरखाना चैकी को केवल फल ठेलों, खोमचों व गुमटियों से प्रतिमाह मिलती है ढाई लाख से अधिक की वसूली
◆ घंटाघर पर स्टेशन वाले कोने पर सुतरखाना चैकी के सामने सुबह से शाम टेंपो, आटो वालों, बैट्री रिक्शा, वर्जित वाहनों से 20 से 30 रुपये प्रति वाहन वसूली पुलिस के प्राइवेट कारिंदों द्वारा
◆ वाहनों से वसूली की रकम हर महीने पहुंचती है 3 लाख रुपये के आसपास
◆ घंटाघर पर कलेक्टरगंज थाने के इलाके में सियाराम होटल पर, थाने के गेट के सामने बैट्री वाहनों, आटो वालों से सुबह-सुबह 20 रुपये/प्रति वाहन की वसूली
-◆ इसी कारण घंटाघर परेड एंड पर बैट्री वाहनों, आटो वालों को पूरी सड़क घेर कर खड़े होने, जाम लगवाते रहने की मिलती है छूट
◆ कलेक्टरगंज के चंद पुलिसकर्मियों पर घंटाघर के कोपरगंज एंड पर पान की गुमटियों, खोमचे वालों से रोजना 20 से 30 रुपये लेकर सड़क तक ठेले-मेजें लगाने, अराजकता मचाने की छूट
◆ घंटाघर के स्टेशन एंड पर स्थित हरबंसमोहाल क्षेत्र के देसी-अंग्रेजी शराब ठेके और घंटाघर के कलेक्टरगंज क्षेत्र में मंजूश्री टाकी के सामने बने नये अंग्रेजी शराब व वहीं स्थित बियर ठेके के बाहर ‘पुलिस को एग्जाई’ की दम पर दिनभर खुलेआम, सड़क पर ही पिलवायी जा रही शराब
◆ रात को इन ठेकों के बाहर सड़क पर चलने वाले मयखानों की महफिलों में जमा रहते हैं शराबी, जुआड़ी और क्रिमिनल्स तक
◆ खुलेआम शराबखोरी और पुलिस की अनदेखी के कारण जमकर होते हैं बवाल, मारपीट
◆ कलेक्टरगंज एंड पर खाने के होटल वालों को भी मोटी एग्जाई और सेवा के बदले अराजकता की छूट
◆ पूरा फुटपाथ और आधी सड़क घेरकर कुर्सी-मेजें डालकर लोगों को खिलवाते खाना
◆ पुलिस की वूसली और अनदेखी के बीच वाहनों, शराब ठेकों, ठेले-खोमचे वालों, खाने के होटलों की मनमानी से नियम-कानून का नामोनिशान नहीं
◆ घंटाघर बना चैबीसों घंटे, हफ्ते के सातों दिन, पूरे साल का अराजकता केंद्र
◆ बात करने, कुरेदने पर कलक्टरगंज और हरबंसमोहल के थानेदारों से लेकर चैकीइंचार्जों तक दिखे ‘दबाव’ में और कुछ ‘मजबूर’ से...!
◆ घंटाघर के लिये जिम्मेदार नगर निगम के जोन-1 के अधिकारी तो मजबूरी में एक आॅफ दि रिकार्ड बात कहते हैं कि ‘भैया पुलिस के आगे हम तो मजबूर हैं...पुलिस को ही तो नो वेंडिंग जोन’ का आदेश पालन कराना होता है..!
◆ घ्यान रहे, कलक्टरगंज और हरबंसमोहाल, दोनों ही थाने एक ही सर्किल, कलक्टरगंज में आते हैं
◆ घंटाघर के हालात के कारण यहां स्टेशन से उतरते ही रोज बाहर से आने वालों लाखों लोगों के दिमाग में कानपुर की खराब छवि
◆ अगले महीने की पहली तारीख से ही नवरात्र और त्योहारी सीजन के शुरू होते ही दिन में कई-कई बार घंटाघर पर लगता रहेगा जाम
◆ _विशेष:- खबर के अंत में जरूर पढ़ें ‘‘घंटाघर को इसलिये जाम से मुक्त रखना बहुत जरूरी है’’_
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कानपुर। घंटाघर चैराहा शहर के हृदय में, यानि बीचोंबीच स्थित है। और इस चैराहे पर जाम लगने का मतलब है कि इसके आसपास 2 से 3 किलोमीटर की परधि में पड़ने वाले सभी प्रमुख इलाकों, मुख्य मार्गों, बाजारों और चैराहों पर जाम लगना। यानि घंटाघर पर जाम लगता है तो अक्सर ये चेन रिएक्शन की तरह पूरे शहर को जाम कर देता है। पर यहां हर रोज एक दो बार भीषण जाम लगता क्यों है? इसका कारण मोटे तौर पर तो सभी लोग जानते हैं, कि जाम का कारण चैराहे पर ठेले-ठिलियों, खोमचों का अतिक्रमण, टेंपो, आटो, बैट्री रिक्शों आदि की अराजकता और भैसा ठेला, हाथ गाड़ियों जैसे वर्जित वाहनों का प्रवेश है। एक तथ्य ये भी है कि 2013 में ही तत्कालीन नगर आयुक्त एनके सिंह चैहान ने पूरे घंटाघर को ‘नो वेंडिंग जोन’ घोषित कर दिया थां यानि यहां पर किसी भी तरह से ठेले, खोमचे आदि नहीं लग सकते हैं। इस प्रमुखतम चैराहे पर जाम ना लगे इसलिये ये नो वेंडिंग जोन को सख्ती से लागू करने को कहा गया था। यहां की सारी वैध-अवैध तहबाजारी को भी सख्ती से खत्म कर दिया गया था। लेकिन बस कुछ ही दिनों में ये सब फिर से चालू हो गया था। वहीं ध्यान रहे कि ट्रैफिक पुलिस ने भी कई बार घंटाघर चोराहे, स्टेशन पुल, टाटमिल, झकरकटी पुल आदि पर हाथ ठेला, भैंसा ठेला, ओवरलोड वाहनों आदि को प्रतिबंधित कर रखा है। लेकिन ये प्रतिबंध केवल कागजों पर सीमित है। जबकि असल में तो सभी जानते हैं कि घंटाघर के ट्रैफिक जाम में हरबंसमोहाल और कलक्टरगंज पुलिस के साथ ही ट्रैफिक पुलिस का भारी ‘योगदान’ है।
दरअसल घंटाघर का कोपरगंज, परेड और नयागंज की साइड वाला तिहाई हिस्सा थाना कलक्टरगंज में, तो बाकी का हिस्सा थाना हरबंस मोहाल की सुतरखाना चैकी में लगता है।
लेकिन इस पूरी ट्रैफिक अराजकता को आखिर पूरी ट्रैफिक और सिविल पुलिस मिलकर भी रोक क्यों नहीं पाती है। क्योंकि पुलिस तो ट्रैफिक जाम के कारण बन रहे कारकों को जन्म देकर वसूली-उगाही में तल्लीन रहती है। 

घंटाघर को इसलिये जाम से मुक्त रखना बहुत जरूरी है...

ये घ्यान रखें कि घंटाघर चैराहा एक चैराहा नहीं, बल्कि सेवन-वे है, यानि ये शहर के सात प्रमुख इलाकों, मार्गों, चोराहों और इलाकों को जोड़ता है। क्योंकि यहां से एक रोड पुल के माध्यम से टाटमिल चैराहे व इंटरस्टेट बस टमिग्नल को कनेक्ट करती है, दूसरी एक्सप्रेस रोड कानपुर की सबसे बड़ी काॅमर्शियल हब माल रोड और नरोना चैराहे को जोड़ती है। तीसरी रोड उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े व्यवसायिक इलाके व थोक बाजार नयागंज को जाती है। चौथी सड़क शहर के एक और सबसे प्रमुख परेड चैराहे की ओर ले जाती है। वहीं पांचवीं सड़क हरबंसमोहाल इलाके में जाती है, जहां पर शहर के सबसे अधिक होटल, लाॅज व धर्मशालायें आदि हैं और रोज शहर में बाहर से आने वाले लाखों रोड इस सड़क पर आते-जाते हैं। वहीं 6वीं सड़क घंटाघर को देश के कुछ सबसे बड़े रेलवे के मालगोदामों में से एक, सीपीसी माल गोदाम व इसके 10 विशाल गेटों से जोड़ती है। यहीं सड़क घंटाघर को बांसमंडी और कोपरगंज जैसे विशाल व्यवसायिक इलाकों से जोड़ती है। इन दोनों इलाकों में कपड़ों, होजरी, रेडीमेड गार्मेंट्स और केमिकल आदि का देश का बड़ा हब माना जाता है। वहीं घंटाघर से सातवां रास्ता कानपुर सेंट्रल स्टेशन का गेट है, जिससे होकर ही रोज लाखों लोग अपनी ट्रेने पकड़कर गंतव्य तक पहुंचते हैं।
नयागंज थोक बाजार, बांसमंडी हमराज काॅम्लेक्स रेडीमेड मार्केट, कोपरगंज, एक्प्रेस रोड, सीपीसी माल गोदाम, परेड आदि शीर्ष इलाकों तक जाने के लिये 60 परसेंट ट्रैफिक घंटाघर से गुजरता  है। वहीं बाबूपुरवा, किदवईनगर, श्यामनगर आदि दक्षिणी के प्रमुख इलाकों से आकर माल रोड एक्सप्रेस वे, नरोना, परेड, कचहरी, पुलिस आॅफिस आदि जाने वाले लाखों लोगों को तो रोजाना दो-चार बार घंटाघर से ही आना-जाना पड़ता है। तो सोचिये कि हर रोज यहां अतिक्रमण और टेंपो, आटो, बैट्री रिक्शा, ट्रक व ठेले आदि की अराजकता के कारण लगने वाले जाम से उनको घंटो जाम में फंसकर कितनी परेशानी उठानी पड़ती है..!!
ये एक चेन रिएक्शन की तरह है। मतलब घंटाघर जाम हुआ तो यहां से दक्षिण की ओर टाटमिल चोराहे को कनेक्ट करने वाले पुल पर, टाटमिल चैराहे पर भी जाम लगेगा। वहीं उत्तर की ओर नरोना चोराहे व माल रोड को घंटाघर जोड़ने वाली एक्सप्रेस रोड पर भी भीषण जाम लगेगा।
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नोट:- घंटाघर के शराब के ठेके वालों, ठेले, खामचे वालों, बैट्री रिक्शा, आटो-टेंपो वालों से बातचीत के आॅडियो-वीडियो ‘‘शहर दायरा न्यूज’’ के पास सुरक्षित हैं, संबंधित लोगों को संभावित उत्पीड़न या बदले की कार्रवाई से बचाने के लिये उसे सार्वजनिक नहीं किया जा रहा। अति आवश्यक होने पर या किसी विशेष परिस्थिति में कानूनानुसार उसे कंपीटेंट एथाॅरिटी के समक्ष ही प्रस्तुत किया जायेगा।


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