जुए और सट्टे का गढ़ बना कानपुर।

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कानपुर : थानों की पुलिस ने ही कानपुर शहर को बड़ा जुआड़खाना बना डाला, फीलखाने में जुआड़ियों, बादशाहीनाका में सटोरियों और रेलबाजार  बजरिया बना है इंटरनेट और फट्टे वाले जुये का सब से बड़ा ठिकाना, हटिया पार्क, बादशाहीनाका सब्जीमंडी और कलक्टरगंज के पीपल वाली कोठी, घंटाघर आदि बन रहे ताश और इंटरनेट वाले जुएं के केंद्र, थाना पुलिस वाले अदा कर रहे जुआघरों के पार्टनर की भूमिका
कानपूर। कारसाज सिपाहियों, भ्रष्ट चैकी इंचार्जों और थानेदारों की मदद से स्टोरियों और जुआड़ियों का गढ़ बन गये हैं कानपुर के फीलखाना, बादशाहीनाका, रेलबाजार, कलेक्टरगंज आदि थाना।-- --
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 एसएसपी कानपुर द्वारा थाना क्षेत्रों में सफाई के प्रयास विफल, तीनों थानों में हर महीने अरबों रुपये महीने के जुए-सट्टे का कारोबार जारी। स्टेशन के उधर रेलबाजार में इन्टरनेट वाले, तो इस तरफ फीलखाना, बादशाहीनाका, कलक्टरगंज में फैला सेंसेक्स,  मैच, इंटरनेट और फट्टे के जुये वाला अरबों का कारोबार। तीनों थानों की देखादेखी थाना कलक्टरगंज के घंटाघर में भी खुल गईं इंटरनेट वाले जुए की फड़ें। इस वक्त रेल बाजार में चल रहे 7 अड्डों पर इंटरनेट पर जुआं खिलाने के अलावा चार्ट बिछाकर फट्टे वाले जुयें ने पकड़ा है जोर। रेलबाजार में सड़कों पर खुलेआम भारी भीड़ लगाकर पुलिस चैकी के सामने और बाजार के बीच खिलवाया जा रहा जुआ। रेलबाजार के चंद भ्रष्ट पुलिस वाले काम कर रहे धंधे में पार्टनर की तरह। इसी कारण रेलबाजार में तो मुख्य मार्गों पर स्थित जुआघरों के बाहर सुबह से शाम अराजकता रहती है। शराबी ओर जुआड़ी भारी संख्या में खट्टे रहते हैं। वो छेड़छाड़ मारपीट ओर अराजकता करते हैं। थाना पुलिस केवल मुस्कुरा कर देखती है। घंटाघर में तो शाम को यहीं जुआड़ी और संचालक शराबी बनकर अराजकता की महफिलें सजाते हैं।वही बजरिया के  कंघीमोहल इलाके का भी यही हाल है हाल ही में जेल से छूटा एक हिस्ट्रीशीटर पुलिस की शय पर खुले आम जुऑ खिलवा रहा है और दूसरी और क्षेत्र में कबाड़ी का काम करने वाला एक युवक चोरी की गाड़ियां काटने का काम भी खुल कर कर रहा है
सूत्रो की माने तो थाने का एक सिपाही पूरी लाइजनिंग कराता है पैसा कब कहाँ किसको पहुचाना है सब जिम्मेदारी उसी ने संभाल रखी है । वही कल्याणपुर का गुवा गार्डन और ननख़री इलाका भी इस कारोबार के लिए मशहूर हो गया है
लगभग डेढ़ साल पहले की बात है। आईजी और एसएसपी कानपुर ने गंभीर शिकायतें मिलने पर थाना फीलखाने के दो कारसाज सिपाहियों को जिले से बाहर ट्रांसफर कर दिया था। इन सिपाहियों पर थानाक्षेत्र में कई जगह लाखों रुपये रोजाना की जुए की फड़ें चलवाने की शिकायतें थीं। इतना ही नही, ऐसे भी गंभीर आरोप उनपर लगे थे कि ये कारसाज सिपाही विरोधी पार्टियों की फड़ों पर बिना अधिकारियों के आदेश के छापे मारकर लाखों रुपये लूट लेते थे। इस हरकत से फीलखाना के घनी आबादी वाले मुहल्लों में अक्सर बवाल, हंगामा और मारपीट भी हुई। इस कुकृत्य में आसपास के कुलीबाजार, बादशाहीना, हरबंसमोहाल आदि इलाकों के सटोरियों और जुए की फड़ चलाने वाले पुराने धंधेबाजों ने उनका साथ दिया। ये सिपाही इन्हीं सटोरियों की मुखबिरी पर जुआ लूटने, सट्टेबाजों को दबोचने का काम करते थे। मैच वाले सटोरियों व बुकियों को दबोचने के लिये सिपाही का काॅकस क्राइम ब्रांच में बैठे अपने मित्रों की मदद लेते थे। वो सटोरियों और बुकियों के नंबर के काॅल डिटेल निकालते थे, अक्सर अनाधिकृत रूप से कई नंबरों को सर्विलांस पर लेते थे, फिर उन बुकियों को ये काॅकस ब्लैकमेल करते थे।
सिपाहियों पर ऐसे गैरकानूनी अराजक तरीकों से कमाई करने, अपने अधिकारियों की अनसुनी करने के आरोप लगे। इसी के बाद उनको हटाकर मघ्यप्रदेश की सीमा वाले जिले में भेजा गया। लेकिन खुद को सत्तापक्ष के नेताओं का करीबी रिश्तेदार बताने वाले ये सिपाही बहुत जल्द फिर से वापस शहर आ गये। बहरहाल एसएसपी कानपुर शलभ माथुर की सख्ती और फीलखाने से हटने के बाद काॅकस कमजोर तो हुआ, लेकिन हताश नहीं।
इनमें एक सिपाही ने जुगाड़ लगाकर शहर के बीचोंबीच के मलाईदार थाने में पोस्टिंग पा ली। तभी से घंटाघर इलाके में भी आॅनलाइन जुए की दुकानें शुरू हो गईं। यानि कि कभी फीलखाना थाना क्षेत्र में कानून व्यस्था के लिये समस्या बने ये सिपाही इस काम में कुछ नये कथित पत्रकारों ने उनका साथ दिया। फिर क्या था, अब इस काॅकस ने अपना शैतानी कार्यक्षेत्र बढ़ाते हुये बादशाहीनाका थाना क्षेत्र सब्जीमंडी में भी एक नये किस्म के जुए के अड्डे चालू करवा दिये।
इसमें एक चार्ट पर बने 12 घरों में खिलाड़ियों से पैसा लगवाकर पर्ची खोली जाती है। हर घर में किसी जानवर या फल, फूल की आकृति बनी होती है। पर्ची में छह में से जिस एक घर का नाम खुलता है, उसपर दांव लगाने वाले खिलाड़ी ही जीतते हैं। इसको फट्टा खेलना कहा जाता है। ये बहुत पुराने किस्म का खेल है जो अब वापस आकर पल्लेदारों, गरीबों और छोटे जुआड़ियों का पसंदीदा खेल बन गया है।
फीलखाना से शुरू हुये सिपाही के गिरोह में घंटाघर और बादशाहीनाका आते-आते हरबंसमोहाल थानाक्षेत्र का निवासी, एक बड़े क्रिमिनल का शागिर्द भी जुड़ गया, जिसे लोग फट्टा या जुआ किंग भी कहते हैं। वर्तमान में वो ही बादशाहीनाका सब्जीमंडी में अपनी फड़ें चलवा रहा है। अब तो शहर के कई बड़े सटोरिये और फंड़ संचालक तक इन्हीं तीन-चार थानाक्षेत्रों में ये फट्टा चलवा रहे हैं। इसमें जमकर भीड़ टूटती है। एक दिन में काम से कम से 15 से 20 हजार की कमाई अड्डा संचालक को हो जाती है, तो थाने में महीने में 25 से 30 हजार रुपये देने में समस्या भी नहीं आती? ऐसा जानकारों का ही कहना है।
लेकिन फीलखाने से जिलाबदर पोस्टिंग, और फिर जुगाड़ से वापस शहर बीच के थाने आ गये सिपाही की करतूतों के चर्चे फिर से जब कप्तान के कार्यालय तक पहुंचे तो उसे यहां से हटाकर शहर के एक टाउन एरिया के थाने में ट्रांसफर कर दिया गया।
सिपाही का काॅकस तो कम हुआ, लेकिन लेकिन फीलखाना जुआड़ियों का, तो बादशाहीनाका सटोरियों का और रेलबाजार, घंटाघर इलाका इंटरनेट जुये का अड्डा बन गया।
सिपाही से त्रस्त शहर के दूसरे व विरोधी गुटों के धंधेबाज फिलहाल उसे जुगाड़ लगाकर वापस आने से रोके हैं। लेकिन कहीं वर्तमान कप्तान बदले तो सिपाही को फिर से शहर लौटकर जुए के करोड़ों के काले कारोबार को फैलाने से कोई नहीं रोक पायेगा।
इस सब से अलग सेंट्रल स्टेशन की पटरियों केे उस पार, यानि कि रेलबाजार थानाक्षेत्र में पिछले लगभग डेढ़ सालों से आॅनलाइन जुए की धूम मची है। कहीं बाहर से संचालित वेबसाइटों पर नंबरों को खोलकर जुआ खिलाने वाले वहां इतनी सारी दुकानें एक साथ चला रहे हैं कि पूछिये मत। हाल ये है कि रेलबाजार में मंडी से लेकर यहां के रामलीला मैदान पुलिस चैकी के ठीक सामने और मुख्य सड़कों तक पर धड़ल्ले से इंटरनेट वाले जुए के अड्डे चल रहे हैं।
अब तो थाना कलक्टरगंज के नयागंज में पीपल वाली कोठी के चौराहे पर इंटरनेट पर हर घंटा 12 रुपये, 55 रुपये और 110 रुपये की तीन सर्वनियों में ड्रा खोलने वाला जुआं चालू हो गया है। कहबर है कि नयागंज में इस जुएं का संचालक इलाहाबाद के एक नामी सटोरिये का सगा साला है। वो जुआं करवाने के लिए स्थानीय पुलिस को कथित तौर पर 35 हज़ार रुपये प्रतिमाह भुगतान कर रहा है।
वहीं मूलगंज थाना क्षेत्र में थाने के आसपास की पतली गलियों में ही सेंसेक्स और मैच वाले सट्टे का घरों से चालू हो गया है। बुकी घर बैठकर फोन पर ही आराम से बुकिंग लेते हैं। पहले यही बुकी फीलखाना और कलक्टरगंज इलाकों के होटलों में कमरे लेकर मैच पे सट्टे का काम करते थे। क्रिकेट मैच चालू होने पर मूलगंज और कुलीबाज़ार का काम ज़ोर पकड़ लेता है।
वहीं हटिया पार्क भी सालों से पट्टेबाजी वाले जुएं का बड़ा गढ़ बन गया है। कहा जा राहाभै की यहां तो खुद थानेदार साहब ही पॉजिटिव इंट्रेस्ट लेते हैं।
एक ख़ास किस्म का जुआं शहर में और चल रहा है, जिसका उल्लेख करना आवश्यक होगा। वो है हरयाणा और पंजाब से इंटरनेट साइटों के माध्यम से चलने वाला धंधा। गली-दिशावर नाम की हरयाणवी इन्टरनेट साइट इस खेल के लिए प्रसिद्द है। इसके ड्रा रात में 11 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक निकलते हैं। थाना हरबंसमोहाल के सुतरखाना में एक होटल के सामने, किराये की दूकान में ये सबसे बड़े स्तर पर संचालित है। इसका संचालक बादशाहीनाका सब्जीमंडी में फट्टे वाला जुआं चलवा रहे कुख्यात जुआ माफिया का चेला है। सुतारखाने के इस अड्डे का संचालक एक बार पुलिस की गिरफ्त में आ चुका है। उसे बादशाहीनाका में कार्यरत उसके आका मित्र ने ही छुड़वाया था।



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