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पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत अपने पड़ोसी देश से सिंधु जल
समझौता तोड़ सकता है। विदेश मंत्रालय ने इसके संकेत दिए। विदेश मंत्रालय के
प्रवक्ता विकास स्वरूप ने गुरुवार को एक प्रेस वार्ता में कहा कि कि किसी
भी समझौते के दो देशों में आपसी भरोसा और सहयोग होना जरूरी है। यह एकतरफा
नहीं हो सकता। उरी हमले के बाद की जा रही कार्रवाई को लेकर स्वरूप ने कहा
कि हमारा काम खुद बोलता है और उसके नतीजे अभी मिलने शुरू हो गए हैं।
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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ द्वारा संयुक्त राष्ट्र आम सभा में कश्मीर का मुद्दा उठाए जाने के बारे में पूछे जाने पर प्रवक्ता ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में बहस के दौरान दो दिन में 50 देश बोल चुके हैं। इन सभी भाषणों में किसी ने भी उस मुद्दे पर बात नहीं की जिस पर शरीफ ने अपने भाषण का 80 प्रतिशत समय लगाया।
अलबत्ता सारे देशों ने आतंकवाद पर जरूर बात की। इससे पता चलता है कि समस्या क्या है। अमेरिकी कांग्रेस में पाकिस्तान को ‘आतंकवाद’ का समर्थन करने वाला राष्ट्र घोषित करने वाले विधेयक के बारे में पूछे जाने पर प्रवक्ता का कहना था कि इस तरह के कदम दिखाते हैं कि अमेरिका को भी अब समझ में आ रहा है कि पाकिस्तान क्या कर रहा है? उन्होंने कहा कि यह विधेयक कांग्रेस के अत्यंत वरिष्ठ सांसदों ने पेश किए हैं और हम उम्मीद करते हैं कि इन्हें गंभीरता से लिया जाएगा।
56 साल पुराना है सिंधु समझौता
विश्व बैंक की मध्यस्थता से 19 सितंबर, 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि हुई थी। इस पर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे। इसके तहत पाकिस्तान से पूर्वी क्षेत्र की तीन नदियों व्यास, रावी और सतलज का नियंत्रण भारत को दिया गया जबकि पश्चिम की तीन नदियों सिंधु, चेनाब व झेलम पर नियंत्रण की जिम्मेदारी पाकिस्तान को दी गई।
भारत के हिस्से केवल 19.48 फीसद पानी
इसके तहत भारत अपनी छह नदियों का 80 फीसद से ज्यादा पानी पाकिस्तान को देता है। भारत के हिस्से आता है केवल 19.48 फीसद पानी। ये छह नदियां हैं, सिंधु, रावी, व्यास, चिनाब, झेलम और सतलुज।
पाकिस्तान पूरी तरह से निर्भर
पड़ोसी देश की 2.6 करोड़ एकड़ कृषि भूमि सिंचाई के लिए इन नदियों के जल पर निर्भर है। यदि भारत इनका पानी अवरुद्ध कर दे तो पाकिस्तान की कमर टूट जाएगी।
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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ द्वारा संयुक्त राष्ट्र आम सभा में कश्मीर का मुद्दा उठाए जाने के बारे में पूछे जाने पर प्रवक्ता ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में बहस के दौरान दो दिन में 50 देश बोल चुके हैं। इन सभी भाषणों में किसी ने भी उस मुद्दे पर बात नहीं की जिस पर शरीफ ने अपने भाषण का 80 प्रतिशत समय लगाया।
अलबत्ता सारे देशों ने आतंकवाद पर जरूर बात की। इससे पता चलता है कि समस्या क्या है। अमेरिकी कांग्रेस में पाकिस्तान को ‘आतंकवाद’ का समर्थन करने वाला राष्ट्र घोषित करने वाले विधेयक के बारे में पूछे जाने पर प्रवक्ता का कहना था कि इस तरह के कदम दिखाते हैं कि अमेरिका को भी अब समझ में आ रहा है कि पाकिस्तान क्या कर रहा है? उन्होंने कहा कि यह विधेयक कांग्रेस के अत्यंत वरिष्ठ सांसदों ने पेश किए हैं और हम उम्मीद करते हैं कि इन्हें गंभीरता से लिया जाएगा।
56 साल पुराना है सिंधु समझौता
विश्व बैंक की मध्यस्थता से 19 सितंबर, 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि हुई थी। इस पर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे। इसके तहत पाकिस्तान से पूर्वी क्षेत्र की तीन नदियों व्यास, रावी और सतलज का नियंत्रण भारत को दिया गया जबकि पश्चिम की तीन नदियों सिंधु, चेनाब व झेलम पर नियंत्रण की जिम्मेदारी पाकिस्तान को दी गई।
भारत के हिस्से केवल 19.48 फीसद पानी
इसके तहत भारत अपनी छह नदियों का 80 फीसद से ज्यादा पानी पाकिस्तान को देता है। भारत के हिस्से आता है केवल 19.48 फीसद पानी। ये छह नदियां हैं, सिंधु, रावी, व्यास, चिनाब, झेलम और सतलुज।
पाकिस्तान पूरी तरह से निर्भर
पड़ोसी देश की 2.6 करोड़ एकड़ कृषि भूमि सिंचाई के लिए इन नदियों के जल पर निर्भर है। यदि भारत इनका पानी अवरुद्ध कर दे तो पाकिस्तान की कमर टूट जाएगी।
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