कश्मीरी नेताओं के शिष्टमंडल से हुई मोदी की मुलाक़ात

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नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कश्मीर के लोगों तक पहुंच बनाने के एक प्रयास के तहत सोमवार को वहां की स्थिति को लेकर ‘गहरी पीड़ा’ व्यक्त की तथा सभी राजनीतिक दलों से कहा कि वे जम्मू-कश्मीर की समस्याओं का ‘स्थायी एवं दीर्घकालिक’ हल निकालने के लिए साथ मिलकर काम करें। मोदी ने घाटी में सामान्य स्थिति बहाली की अपील की जहां पिछले 44 दिनों से अशांति जारी है। उन्होंने कहा कि संविधान के दायरे में बातचीत होनी चाहिए।
मोदी के साथ जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में विपक्ष के एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल के साथ 75 मिनट की बैठक के बाद जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री ने बातचीत के दौरान उनकी ओर से दिये गए ‘रचनात्मक सुझावों’ की प्रशंसा की। मोदी ने लोगों के कल्याण के प्रति अपनी सरकार की प्रतिबद्धता दोहरायी।
20 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में उमर और उनकी पार्टी नेशनल कान्फ्रेंस के सात विधायक, प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रमुख जी ए मीर के नेतृत्व में कांग्रेस विधायक और माकपा विधायक एम वाई तारिगामी शामिल थे। इस प्रतिनिधिमंडल ने आज सुबह मोदी से मुलाकात की और घाटी में संकट के समाधान के लिए एक राजनीतिक रुख की अपील की ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पूर्व की ‘गलतियों’ को दोहराया नहीं जाए।
बयान जारी होने के तत्काल बाद उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, ‘हम माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के बयान का स्वागत करते हैं और हम जम्मू कश्मीर की समस्याओं का दीर्घकालिक हल निकालने के लिए साथ मिलकर काम करने को तत्पर हैं।’ नेशनल कान्फ्रेंस के 46 वर्षीय कार्यकारी अध्यक्ष उमर ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री से कश्मीर मुद्दे का एक राजनीतिक हल निकालने का अनुरोध किया ताकि राज्य के साथ ही देश में दीर्घकालिक शांति सुनिश्चित हो। प्रधानमंत्री मोदी ने वर्तमान स्थिति पर ‘गहरी चिंता और पीड़ा’ जतायी और कहा, ‘हाल की अशांति के दौरान जान गंवाने वाले हमारा और हमारे देश का ही हिस्सा हैं, चाहे जान गंवाने वाले हमारे युवा हों, सुरक्षा बल के जवान या पुलिसकर्मी हों इससे हमें पीड़ा होती है।’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘सरकार और देश जम्मू-कश्मीर राज्य के साथ खड़े हैं।’ उन्होंने सुझाव दिया कि सभी राजनीतिक पार्टियां लोगों से सम्पर्क करके यह उन तक पहुंचायें। उन्होंने राज्य और उसके लोगों के विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जतायी और राज्य में सामान्य स्थिति बहाली की अपील की।
कश्मीर में हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी के गत आठ जुलाई को मारे जाने के बाद से अशांति व्याप्त है और अभी तक 60 से अधिक व्यक्ति मारे गए हैं। उमर ने संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल से सहमति जतायी कि केवल विकास ही संकट का जवाब नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने हमें स्पष्ट शब्दों में कहा कि अकेले विकास से यह समस्या नहीं सुलझेगी।’ उन्होंने इससे कोई भी निष्कर्ष निकालने से इनकार कर दिया।
उमर ने कहा, ‘मैं प्रधानमंत्री के हवाले से कुछ नहीं कहूंगा और न ही मैं उससे कुछ और मतलब निकालूंगा जो उन्होंने कहा है।’ उन्होंने कहा, ‘हमने उन्हीं चीजों पर बात की जिस पर हमने दिल्ली पहुंचने के बाद अन्य नेताओं से बात की थी कि जम्मू कश्मीर के मुद्दे को, विशेष तौर पर वर्तमान संकट के आलोक में सही से समझने की जरूरत है और उसके बाद कोई हल की जरूरत होगी।’
उमर ने कहा, ‘हमने जोर दिया कि जम्मू कश्मीर के मुद्दे की प्रकृति राजनीतिक अधिक है। बार बार ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है लेकिन यदि हम इसका एक राजनीतिक हल नहीं निकाल पाये तो हम अपनी गलतियां बार बार दोहरायेंगे।’ उमर ने कहा कि प्रधानमंत्री ने हमें ‘धैर्यपूर्वक सुना और हमारे ज्ञापन को स्वीकार किया।’ उन्होंने ट्वीट करके कहा कि वह ‘नरेंद्र मोदी जी के प्रति आभारी हैं कि उन्होंने जम्मू कश्मीर के प्रतिनिधिमंडल से मिलने के लिए समय निकाला और हमें आवंटित समय से आगे भी धैर्यपूर्वक सुना।’
नेताओं ने युवाओं के निरंतर विरोध प्रदर्शनों के शिकार होने का मुद्दा भी उठाया जिनमें कल रात इरफान नाम के एक युवक का मारा जाना भी शामिल है। इरफान की तब मौत हो गई थी जब एक आंसू गैस का गोला उसके छाती पर लगा।
मोदी को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया, ‘हम आपसे यह भी अनुरोध करते हैं कि पैलेट गन पर तत्काल रोक लगायी जाए और प्रासंगिक वर्गों को बड़े पैमाने पर उत्पीड़न, छापों और गिरफ्तारियों की नीति के खिलाफ सलाह दें क्योंकि इससे राज्य में पहले से अस्थिर स्थिति और बिगड़ी है तथा यह लोकतंत्र के सिद्धांतों एवं मूल्यों के खिलाफ जाता है।’
वित्त मंत्री अरूण जेटली के कल जम्मू में दिये गए बयान के बारे में पूछे जाने पर कि पथराव करने वाले ‘कोई सत्याग्रही नहीं बल्कि हमलावर’ हैं, उमर ने कहा, ‘मैं इस पर कुछ नहीं कहना चाहता क्योंकि प्रधानमंत्री ने हमसे ऐसा कुछ भी नहीं कहा।’ उन्होंने कहा, ‘अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि हमें जम्मू कश्मीर पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। हमें बाद में राजनीति करने का पर्याप्त समय मिलेगा।’ प्रतिनिधिमंडल में नेशनल कान्फ्रेंस के नेता जैसे नसीर वानी और देवेंद्र राणा भी शामिल थे। ये लोग राष्ट्रीय राजधानी में रूके हुए थे और सरकार एवं विपक्ष के राजनीतिक नेताओं से मुलाकात कर रहे थे।
प्रतिनिधिमंडल ने राजनीतिक पहल की शुरुआत गत शनिवार को तब की जब उसने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की और एक ज्ञापन सौंपा। उक्त ज्ञापन में राष्ट्रपति से अनुरोध किया गया था कि वह अपने पद का इस्तेमाल करके केंद्र पर इसके लिए प्रभाव डालें कि वह राज्य में सभी हितधारकों के साथ एक राजनीतिक बातचीत शुरू करे।




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