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नई दिल्ली: सरकार ने कल
बताया कि पेंशन जारी रखने के लिए अब पेंशनयाफ्ता लोगों को जीवित होने का
सबूत देने के वास्ते बैंक जाने की जरूरत नहीं है।
कार्मिक, लोकशिकायत एवं पेन्शन राज्य
मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कल राज्यसभा को बताया कि केंद्र सरकार की पेंशन
लेने वालों और पारिवारिक पेंशन लेने वालों को अब अपनी पेंशन जारी रखने में
कोई प्रक्रियागत समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। अब उनके पेंशन नियमित
रूप से बैंक में जाएगी और पेंशनयाफ्ता लोगों को जीवित होने का सबूत देने के
लिए बैंक जाने की जरूरत नहीं है।
सिंह ने एक प्रश्न के लिखित जवाब में
बताया ‘‘इतना ही नहीं, अब पेंशनयाफ्ता लोगों को अब बैंक जा कर जीवित होने
संबंधी प्रमाण पत्र नहीं देना होगा बल्कि वह आधार आधारित बायोमीट्रिक
प्रमाणीकरण के जरिये या फिर इस उद्देश्य के लिए सरकार द्वारा नियुक्त
अधिकारी के हस्ताक्षर के साथ इसे ऑनलाइन पेश कर सकता है।’’
सिंह ने कहा कि अगर पेंशनयाफ्ता व्यक्ति
अपनी गंभीर बीमारी या असमर्थता के बारे में चिकित्सा प्रमाणपत्र सहित सूचना
देता है तो बैंक की भुगताान शाखा का अधिकारी खुद ही घर या अस्पताल जा कर
पेंशनयाफ्ता व्यक्ति का जीवन संबंधी प्रमाणपत्र दर्ज करेगा।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
ने नवंबर 2014 में पेंशनयाफ्ता लोगों के लिए आधार आधारित डिजिटल जीवन
प्रमाणपत्र ‘‘जीवन प्रमाण’’ की शुरूआत की थी. देश में करीब 58 लाख लोग
केंद्र सरकार की पेंशन ले रहे हैं।
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