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नई दिल्ली : कांग्रेस ने पार्टी को मिलने वाले चंदों सहित कुछ और मुद्दों को लेकर एक आरटीआई कार्यकर्ता की शिकायत पर केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) की ओर से पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को जारी किए गए नोटिस पर जवाब देने के लिए आयोग से चार हफ्ते की मोहलत मांगी है। कांग्रेस ने ये सवाल भी किया कि सोनिया गांधी को निशाना क्यों बनाया जा रहा है।
कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा की ओर से दाखिल जवाब में पार्टी ने आयोग से अपने उस आदेश पर फिर से विचार करने के लिए भी कहा जिसके तहत उच्चतम न्यायालय के एक फैसले की रोशनी में पार्टी को आरटीआई कानून के दायरे में लाया गया था।
पार्टी ने उच्चतम न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए दावा किया कि किसी को महज सब्सिडी, अनुदान, रियायतें, विशेषाधिकार आदि दिए जाने को किसी संस्था की ‘अच्छी-खासी फंडिंग’ की परिभाषा में नहीं लाया जा सकता है और आरटीआई के तहत जवाबदेह नहीं बनाया जा सकता। कांग्रेस ने यह दावा भी किया कि राजनीतिक पार्टियों को पारदर्शिता कानून के दायरे से बाहर रखने के लिए एक आरटीआई संशोधन विधेयक भी पेश किया गया था।
बहरहाल, कानून के तहत सीआईसी अपने निर्णय की समीक्षा नहीं कर सकती और इसके आदेशों को एक रिट याचिका के जरिए सिर्फ उच्च न्यायालयों या उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है। आयोग में पूर्ण पीठ की सुनवाई के दौरान कांग्रेस के वकील के सी मित्तल ने कहा कि सोनिया को निशाना बनाया जा रहा है जबकि पांच अन्य पार्टियां हैं जिन्हें सीआईसी की ओर से सार्वजनिक प्राधिकारी घोषित किया गया है।
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नई दिल्ली : कांग्रेस ने पार्टी को मिलने वाले चंदों सहित कुछ और मुद्दों को लेकर एक आरटीआई कार्यकर्ता की शिकायत पर केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) की ओर से पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को जारी किए गए नोटिस पर जवाब देने के लिए आयोग से चार हफ्ते की मोहलत मांगी है। कांग्रेस ने ये सवाल भी किया कि सोनिया गांधी को निशाना क्यों बनाया जा रहा है।
कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा की ओर से दाखिल जवाब में पार्टी ने आयोग से अपने उस आदेश पर फिर से विचार करने के लिए भी कहा जिसके तहत उच्चतम न्यायालय के एक फैसले की रोशनी में पार्टी को आरटीआई कानून के दायरे में लाया गया था।
पार्टी ने उच्चतम न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए दावा किया कि किसी को महज सब्सिडी, अनुदान, रियायतें, विशेषाधिकार आदि दिए जाने को किसी संस्था की ‘अच्छी-खासी फंडिंग’ की परिभाषा में नहीं लाया जा सकता है और आरटीआई के तहत जवाबदेह नहीं बनाया जा सकता। कांग्रेस ने यह दावा भी किया कि राजनीतिक पार्टियों को पारदर्शिता कानून के दायरे से बाहर रखने के लिए एक आरटीआई संशोधन विधेयक भी पेश किया गया था।
बहरहाल, कानून के तहत सीआईसी अपने निर्णय की समीक्षा नहीं कर सकती और इसके आदेशों को एक रिट याचिका के जरिए सिर्फ उच्च न्यायालयों या उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है। आयोग में पूर्ण पीठ की सुनवाई के दौरान कांग्रेस के वकील के सी मित्तल ने कहा कि सोनिया को निशाना बनाया जा रहा है जबकि पांच अन्य पार्टियां हैं जिन्हें सीआईसी की ओर से सार्वजनिक प्राधिकारी घोषित किया गया है।
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