पीएनबी का 5000 करोड़ रुपये से ज्यादा का घाटा

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नई दिल्लीः डूबे कर्ज का हथौड़ा एक और सरकारी बैंक पर चला है। प्रमुख सरकारी बैंकों में एक पंजाब नेशनल बैंक को 31 मार्च को खत्म हुए कारोबारी साल 2015-16 की चौथी तिमाही में 5 हजार 3 सौ 67 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। ये किसी भी सरकारी बैंक का किसी भी 3 महीने में सबसे बड़ा घाटा है। 
बुधवार को जारी नतीजों के मुताबिक, 1 जनवरी से 31 मार्च के बीच की तिमाही में बैंक का कुल डूबा कर्ज (ग्रॉस एनपीए) 34 हजार 3 सौ 38 करोड़ रुपये से बढकर 55 हजार 8 सौ 18 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। कुल कर्ज के हिस्से के रूप में देखे तो ये बीते साल के साढ़े छह फीसदी से कुछ ज्यादा के मुकाबले करीब 13 फीसदी पर पहुंच गया। दूसरी ओर शुद्ध डूबे हुए कर्ज (नेट एनपीए) की बात करे तो ये 15 हजार 3 सौ 95 करोड़ रुपये से बढ़कर 35 हजार 4 सौ 22 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। ध्यान देने की बात ये है कि कुल डूबे कर्ज में से जितने का प्रावधान मुनाफे से कर दिया जाता है, उसके बाद की बची डूबे कर्ज की रकम को शुद्ध डूबा कर्ज कहते हैं। 
तमाम सरकारी बैंक डूबे कर्ज के मारे हैं। उस पर से से रिजर्व बैंक का नियम कहता है कि ज्यादा से ज्यादा डूबे कर्ज के लिए बैलेंश शीट में प्रावधान करना चाहिए ताकि अगले साल तक वित्तीय स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट दिखे। इसी वजह से बीते कारोबारी साल में बैंकों को अपनी कुल कमाई के ज्यादा से ज्यादा हिस्से का प्रावधान डूबे कर्ज के लिए करना पड़ा, नतीजा ज्यादातर सरकारी बैंक घाटे में दिख रहे हैं। दूसरी ओर बीते कुछ सालों के दौरान विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों खास तौर पर बुनियादी सुविधाएं और स्टील में स्थिति ठीक नहीं रही जिससे इन क्षेत्रों में दिया गया कर्ज डूबे कर्ज में तब्दील हो गया। हम आपको बता दे कि तीन महीने तक बकाये कर्ज की किस्त नहीं जमा करने की सूरत में कोई भी कर्ज डूबा कर्ज या एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट्स) में तब्दील हो जाता है। 
वैसे वित्त मंत्री अरूण जेटली की मानें तो बैंकों का डूबा कर्ज अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच चुका है और आने वाले दिनों में स्थिति बेहतर होने के ही आसार दिख रहे हैं। जेटली की इस बात में कुछ तर्क भी दिख रहा है। 2 साल के सूखे के बाद इस साल मानसून सामान्य से ज्यादा रहने के आसार हैं। ऐसे हुआ तो अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ेगी जिसका असर उद्योग धंधों पर दिखेगा। दूसरी ओर कारोबारी माहौल सुगम करने की कोशिश में सरकार की पहल की नतीजा दिखने लगा है जिसका असर सड़क और बिजली जैसे बुनियादी क्षेत्र में ही नहीं, तमाम औद्योगिक क्षेत्रों पर पड़ेगा। इसके साथ ही दिवालियापन से जुड़े नए कानून के संसद की मंजूरी मिलने के बाद बैंकों को डूबे कर्ज की वसूली मे सहूलियत होगी। ऐसे में कारोबारी साल 2016-17 के अंत तक बैंको की बैलेंसशीट में अच्छे दिन देखने को मिल सकते हैं। 

बैंक                                             जनवरी-मार्च, 2015-16 में घाटा                                    31 मार्च, 2016 को कुल डूबा कर्ज
                                                             (करोड़ रुपये में)                                                                 (करोड़ रुपये में)
पंजाब नेशनल बैंक                                     5,367                                                                                     55,818
बैंक ऑफ बड़ौदा                                         3,230                                                                                      40,521
यूको बैंक                                                    1,715                                                                                        20,908
सेंट्ल बैंक ऑफ इंडिया                                898                                                                                          22,721
इलाहाबाद बैंक                                           581                                                                                           15,385

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