बिहार: नीतीश के राज में 'खूनी बहार', हिंदुस्तान पत्रकार की गोली मारकर हत्या

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सीवान में हिन्दुस्तान के ब्यूरोचीफ राजदेव रंजन पर 2005 में भी हमला हुआ था। राजदेव रंजन के सहयोगी रहे दुर्गाकांत उस समय उनके साथ थे। उन्होंने बताया कि हिन्दुस्तान कार्यालय के बाहर कुछ लोगों ने राजदेव की बुरी तरह पिटाई की थी।

दुर्गाकांत ने बताया कि अक्तूबर 2005 में रात आठ बजे के करीब कुछ लोगों ने ऑफिस के बाहर से राजदेव को आवाज दी। वह बाहर निकले तो कुछ ही पल में मारपीट की आवाज आई। दुर्गाकांत कहते हैं कि हाथापाई की आवाज सुनकर जब वो राजदेव के पीछे-पीछे बाहर निकल तो देख कुछ लोग उन्हें बुरी तरह पीट रहे हैं।

सीवान में हिन्दुस्तान अखबार के ब्यूरो चीफ की गोली मारकर हत्या

दुर्गाकांत ने मदद करने की कोशिश की तो एक हमलावर ने उनके ऊपर पिस्तौल तान दी। इस बीच हाथापाई में वह किसी चीज से टकरा कर गिर गए और अचेत हो गए। हमलावरों के जाने के बाद राजदेव ने ही उन्हें उठाया। उनके पैर में और माथे में काफी चोट आई थी। वह लंगड़ा रहे थे और माथे से खून भी निकल रहा था।

घटना की गंभीरता को देखते हुए दुर्गाकांत ने टाउन थाने को फोन कर हमले की जानकारी दी। कुछ देर बाद हिन्दुस्तान ऑफिस पहुंचे साथियों ने बदमाशों के बारे में जानना चाहा लेकिन राजदेव ने किसी को पहचाना नहीं था। सभी ने सलाह की और तय किया कि जब किसी को पहचाना ही नहीं तो एफआईआर कराने से क्या होगा। लिहजा इस मामले को यहीं दबा दिया जाए।

थानाध्यक्ष ने इतना जरूर किया कि अगले दिन से कार्यालय के बाहर दो जवानों की की ड्यूटी लगा दी।

25 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय थे राजदेव
राजदेव रंजन पिछले 25 वर्षों से सीवान में पत्रकारिता में सक्रिय थे। एक प्रतिबद्ध, ईमानदार और निडर पत्रकार के रूप में सीवान ही नहीं पूरे सारण प्रमंडल में उनकी पहचान थी। 1990 में वे सक्रिय पत्रकारिता में आए।
उन्होंने मैरवा से हिन्दुस्तान के संवाददाता के रूप में खबरें भेजनी शुरू कीं। तब जिला संवाददाता रवीन्द्र प्रसाद हुआ करते थे। 1994 में भी पत्रकार पर गोली चलाई गई थी। इसके बाद राजदेव रंजन सीवान चले आए और उन्होंने जिला संवाददाता के रूप में खबरें भेजनी शुरू कर दीं। राजदेव के परिवार में एक पुत्र और एक पुत्री हैं।

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