खुलकर बोले सहवाग IPL में खेलने और धोनी के साथ मतभेद पर ..........latest sports news update














as per एबीपी :

New Delhi: उन्हें भले ही किसी भी परिस्थिति में ‘गेंद को देखो और उसे हिट करो’ के साहसिक रवैये के लिये जाना जाता हो लेकिन पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने कहा कि उन्होंने अपने करियर के शुरूआती दिनों में सचिन तेंदुलकर का अनुकरण करने के लिये अपनी तकनीक में बदलाव किये थे.

सहवाग ने कहा, ‘‘जब मैं छोटा था तो मैंने दस और 12 ओवरों के कई मैच खेले थे. मैं मध्यक्रम में बल्लेबाजी करता था और मुझे केवल दस के आसपास गेंदें ही खेलने के लिये मिलती थी और मैं उनमें अधिक से अधिक स्कोर बनाने की कोशिश करता थां मैंने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भी यही रवैया अपनाया और लोग मेरे स्ट्राइक रेट की तारीफ करते थे जो टेस्ट क्रिकेट में 80 या 90 से अधिक था. ’’

घरेलू क्रिकेट में हाल में दिल्ली के बजाय हरियाणा की तरफ से खेलने वाले सहवाग ने स्वीकार किया कि कई राज्य संघों का संचालन दक्षतापूर्वक नहीं किया जा रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘हां ऐसा केवल दिल्ली के साथ नहीं है. अन्य संघ भी हैं जिनके साथ समस्याएं जुड़ी हैं. आपको अंडर-19 और अंडर-16 स्तर पर बदलाव करने की जरूरत है क्योंकि असली समस्याएं यहां होती है. यदि आप अधिक उम्र के खिलाड़ी का चयन करते हो तो यह एक समस्या है और इसकी पहचान करने की जरूरत है. यदि आपके पास ऐसा खिलाड़ी है जिसका नाम बड़ा है और आपको ऐसी समस्या से नहीं जूझना पड़ेगा.’’


आईपीएल में स्पाट फिक्सिंग ने क्रिकेट जगत को झकझोर दिया लेकिन सहवाग अब भी इस टी20 टूर्नामेंट के पक्ष में हैं. उनका कहना है कि यह युवाओं के लिये लोगों का ध्यान खींचने के लिये अच्छा मंच है.

उन्होंने कहा, ‘‘यह युवा भारतीय खिलाड़ियों के लिये मंच है. यदि आप 2000-01 पर ध्यान दो जब मैं टीम से जुड़ा था, तब हमें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने से पहले 20 के करीब मैचों में खेलने का अनुभव होता था. अब शिखर धवन जैसे खिलाड़ी जो आईपीएल में खेलता है वह तेजी से खेलने का अभ्यस्त है और आस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट पदार्पण पर 180 से अधिक रन बनाता है. ’’

सहवाग ने कहा, ‘‘स्पॉट फिक्सिंग और मैच फिक्सिंग का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है लेकिन इसकी परवाह करने की जिम्मेदारी व्यक्तिगत खिलाड़ी की है. यदि खिलाड़ी ऐसा करना चाहता है तो उसे रोकना मुश्किल है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘रविंद्र जडेजा, यूसुफ पठान, वार्नर, ग्लेन मैक्सवेल जैसे खिलाड़ियों ने आईपीएल से पहचान बनायी. यह विश्व भर के खिलाड़ियों के लिये मंच है. यदि खिलाड़ी आईपीएल में खेलकर पैसा बना रहा है तो यह उसकी गलती नहीं है कि वह भारत के लिये नहीं खेल रहा है. वह भाग नहीं रहा है. वह प्रथम श्रेणी, एकदिवसीय क्रिकेट और आईपीएल में खेल रहा है. यदि चयनकर्ता उसे नहीं चुनते तो वह क्या कर सकता है. ’’

सहवाग से पूछा गया कि क्या वह भारत की तरफ से अधिक मैचों में कप्तानी करना पसंद करते, उन्होंने कहा, ‘‘मैंने तीनों प्रारूपों में भारत की कप्तानी की. जब राहुल द्रविड़ ने कप्तानी छोड़ी तो मैं टीम का हिस्सा नहीं था. यदि मैं टीम का हिस्सा होता तो संभवत: दो साल तक कप्तान रहता. यदि मैं तब 
सहवाग ने भविष्य के बारे में कहा, ‘‘मैं कोच, मेंटर या बल्लेबाजी सलाहकार बनना पसंद करूंगा. मैं हिन्दी में कमेंट्री करना चाहूंगा.’’

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