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युवक सामान्य इंसान की तरह अंदर गया और नजारा देखा। चुपचाप स्टेनो के पास पहुंचकर सीयूजी सिम मांगा। इस पर स्टेनो ने पूछा, 'आप कौन हैं जो सिम मांग रहे हैं'? युवक ने जवाब दिया, 'मैं प्रभाकर चौधरी'। नाम सुनते ही एसपी बंगले में मौजूद पुलिसवालों में हड़कंप मच गया। हर कोई सावधान की मुद्रा में आ गया और नए कप्तान को सलाम किया।
एसपी ने कहा- मेरे लिए यह सामान्य सी बात
हालांकि, सरकारी सुविधाएं न लेकर आम आदमी की तरह बस से आने पर चौधरी ने कहा कि यही हमारा अंदाज है। मेरे लिए यह सामान्य बात है। स्टूडेंट लाइफ में दोस्तों के साथ हम ऐसे ही घूमते थे। फैमिली लखनऊ में थी, तो मैं आराम से बस से कानपुर देहात आ गया। इसके अलावा कुछ महसूस नहीं होता। बता दें, शासन ने हाल में कुछ आईपीएस अफसरों के ट्रांसफर किए तो प्रभाकर चौधरी को बलिया से कानपुर देहात का एसपी बनाकर भेजा गया।
परीक्षा लेकर थानेदारों की तैनाती से चर्चा में आ चुके हैं प्रभाकर
प्रभाकर चौधरी युवा होने के चलते पुलिस महकमे में नए प्रयोग भी करने के लिए जाने जाते हैं। 2010 बैच के आईपीएस देवरिया में बतौर एसपी पोस्टिंग के दौरान उन्होंने जोड़-जुगाड़ की जगह योग्य थानेदारों की तैनाती का सिस्टम तैयार किया। इसके लिए दारोगाओं की परीक्षा ली जाती थी। मेरिट के आधार पर थाने बंटते थे। किसी नेता विधायक या मंत्री की कोई सिफारिश नहीं चलती थी, जिससे थानों से जनता को काफी हद तक न्याय मिलने लगा था। अब कानपुर देहात में हर ओर प्रभाकर चौधरी की चर्चा हो रही है।
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कानपुर(यूपी).कानपुर देहात के हेडक्वॉर्टर माती में मंगलवार की दोपहर
पुलिसवाले ऊंघ रहे थे। करीब 1:30 बजे लखनऊ से आई यूपी रोडवेज की बस से एक
फुर्तीला युवक उतरा। पीठ पर बैगपैक लादे युवक ने टेम्पो पकड़ा और अकबरपुर
की तरफ रवाना हो गया। एसपी बंगले के बाहर खड़े गार्ड से अंदर जाने की बात
पूछी तो उसने हां में इशारा किया। एसपी ऑफिस पहुंचकर मांगा सीयूजी सिम...
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युवक सामान्य इंसान की तरह अंदर गया और नजारा देखा। चुपचाप स्टेनो के पास पहुंचकर सीयूजी सिम मांगा। इस पर स्टेनो ने पूछा, 'आप कौन हैं जो सिम मांग रहे हैं'? युवक ने जवाब दिया, 'मैं प्रभाकर चौधरी'। नाम सुनते ही एसपी बंगले में मौजूद पुलिसवालों में हड़कंप मच गया। हर कोई सावधान की मुद्रा में आ गया और नए कप्तान को सलाम किया।
एसपी ने कहा- मेरे लिए यह सामान्य सी बात
हालांकि, सरकारी सुविधाएं न लेकर आम आदमी की तरह बस से आने पर चौधरी ने कहा कि यही हमारा अंदाज है। मेरे लिए यह सामान्य बात है। स्टूडेंट लाइफ में दोस्तों के साथ हम ऐसे ही घूमते थे। फैमिली लखनऊ में थी, तो मैं आराम से बस से कानपुर देहात आ गया। इसके अलावा कुछ महसूस नहीं होता। बता दें, शासन ने हाल में कुछ आईपीएस अफसरों के ट्रांसफर किए तो प्रभाकर चौधरी को बलिया से कानपुर देहात का एसपी बनाकर भेजा गया।
परीक्षा लेकर थानेदारों की तैनाती से चर्चा में आ चुके हैं प्रभाकर
प्रभाकर चौधरी युवा होने के चलते पुलिस महकमे में नए प्रयोग भी करने के लिए जाने जाते हैं। 2010 बैच के आईपीएस देवरिया में बतौर एसपी पोस्टिंग के दौरान उन्होंने जोड़-जुगाड़ की जगह योग्य थानेदारों की तैनाती का सिस्टम तैयार किया। इसके लिए दारोगाओं की परीक्षा ली जाती थी। मेरिट के आधार पर थाने बंटते थे। किसी नेता विधायक या मंत्री की कोई सिफारिश नहीं चलती थी, जिससे थानों से जनता को काफी हद तक न्याय मिलने लगा था। अब कानपुर देहात में हर ओर प्रभाकर चौधरी की चर्चा हो रही है।
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