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पटना सहित पूरे बिहार में भाद्र शुक्ल पक्ष तृतीया रविवार 4 सितंबर
को हरितालिका तीज की धूमधाम होगी। महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य की खातिर
निर्जला व्रत रखकर शिव-पार्वती की पूरे विधि -विधान से पूजा करेंगी।
इस बार हरितालिका तीज पर ग्रह-गोचरों के कई शुभ-संयोग बनने से पूजा अधिक फलदायी रहेगी। तीज को लेकर बाजार की रौनक बढ़ गयी है। खासकर फल,वस्त्र और मिठाई के बाजार में चहल-पहल अधिक है।
चतुर्गही योग में गुरु और चंद्रमा की कृपा बरसेगी
ज्योतिषी पीके युग के अनुसार व्रती महिलाओं पर गुरु और चंद्रमा की कृपा बरसेगी। गुरु, शुक्र, बुध और चंद्रमा इस दिन कन्या राशि में एक साथ रहेंगे। इससे जहां चतुर्गही योग बनेगा वहीं गुरु -शुक्र के साथ रहने से शंख योग, शुक्र और बुध के साथ रहने से लक्ष्मी नारायण योग और गुरु-चंद्रमा के साथ रहने से गजकेशरी योग का संयोग बनेगा। इन शुभ संयोगों में व्रत और पूजन से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होगी।
सिद्धि और अमृत योग में होगी पूजा
आचार्य प्रियेन्दु प्रियदर्शी के अनुसार रविवार को प्रदोष काल में हरितालिका तीज पूजा की जाएगी। शाम 5.58 बजे से 6.54 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग है। वहीं रविवार होने से रविकेशर और अमृत योग भी है। इन संयोगों में व्रत और पूजन अधिक फलदायी रहेगी।
शाम तक ही तृतीय तिथि
आचार्य पंडित बैद्यनाथ झा शास्त्री के मुताबिक रविवार को शाम 5.01 बजे तक भाद्र शुक्ल तृतीय तिथि है। इसलिए दोपहर 1.30 बज से शाम 5.01 बजे तक तीज पूजा की जाएगी। तीज में निर्जला रहकर पूजन की प्रधानता होती है। निर्जला रहना संभव न हो तो फलाहार रहकर भी पूजन किया जा सकता है।
चांदी के नाग-नागिन का दान करें
ज्योतिषी इंजीनियर प्रशांत कुमार के अनुसार रविवार को राहू-केतु के बीच सभी ग्रहों के रहने से काल सर्प योग की स्थिति बनेगी। इसलिए नाग-नागिन की पूजा के साथ चांदी का नाग-नागिन दान करने से नाग देवता भी प्रसन्न होंगे।
शिव के लिए पार्वती ने रखा था व्रत
आचार्य विपेन्द्र झा माधव के अनुसार त्रेता युग से ही भादव शुक्ल तृतीया को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। मां पार्वती ने भी भगवान शंकर से विवाह के लिए जंगलों में रहकर कठोर तपस्या की थी। भाद्र शुक्ल तृतीया-चतुर्थी के दिन ही भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर मां पार्वती को वरदान दिया था। साथ ही यह भी कहा था कि इस तिथि को जो भी सुहागिन अपने पति के दीघार्यु की कामना के साथ पूजन व व्रत रखेंगी उनकी मुरादें पूरी होंगी।
जागरण की भी परंपरा
आचार्य राजनाथ झा के मुताबिक तीज पूजा में महिलाएं ठों पहर पूजन करती हैं। इस वजह से उन्हें पूरी रात जागना पड़ता है। रात काटने के लिए व्रती महिलाएं माता के भजन गाती रहती हैं। तीज में महिलाओं के मायके से भी साड़ी, शृंगार प्रसाधन की वस्तुएं व मिठाई आदि उपहार स्वरूप आते हैं। पति व सास से भी व्रतियों को साड़ी,आदि के उपहार मिलते हैं।
सुंदर पति के लिए कुंवारी भी रखती हैं व्रत
सुहागिन महिलाओं के अलावा कुंवारी लड़की भी तीज का व्रत रखती हैं। सुंदर पति की कामना के साथ कुंवारी लड़कियां भी यह व्रत रखती हैं।
इस बार हरितालिका तीज पर ग्रह-गोचरों के कई शुभ-संयोग बनने से पूजा अधिक फलदायी रहेगी। तीज को लेकर बाजार की रौनक बढ़ गयी है। खासकर फल,वस्त्र और मिठाई के बाजार में चहल-पहल अधिक है।
चतुर्गही योग में गुरु और चंद्रमा की कृपा बरसेगी
ज्योतिषी पीके युग के अनुसार व्रती महिलाओं पर गुरु और चंद्रमा की कृपा बरसेगी। गुरु, शुक्र, बुध और चंद्रमा इस दिन कन्या राशि में एक साथ रहेंगे। इससे जहां चतुर्गही योग बनेगा वहीं गुरु -शुक्र के साथ रहने से शंख योग, शुक्र और बुध के साथ रहने से लक्ष्मी नारायण योग और गुरु-चंद्रमा के साथ रहने से गजकेशरी योग का संयोग बनेगा। इन शुभ संयोगों में व्रत और पूजन से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होगी।
सिद्धि और अमृत योग में होगी पूजा
आचार्य प्रियेन्दु प्रियदर्शी के अनुसार रविवार को प्रदोष काल में हरितालिका तीज पूजा की जाएगी। शाम 5.58 बजे से 6.54 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग है। वहीं रविवार होने से रविकेशर और अमृत योग भी है। इन संयोगों में व्रत और पूजन अधिक फलदायी रहेगी।
शाम तक ही तृतीय तिथि
आचार्य पंडित बैद्यनाथ झा शास्त्री के मुताबिक रविवार को शाम 5.01 बजे तक भाद्र शुक्ल तृतीय तिथि है। इसलिए दोपहर 1.30 बज से शाम 5.01 बजे तक तीज पूजा की जाएगी। तीज में निर्जला रहकर पूजन की प्रधानता होती है। निर्जला रहना संभव न हो तो फलाहार रहकर भी पूजन किया जा सकता है।
चांदी के नाग-नागिन का दान करें
ज्योतिषी इंजीनियर प्रशांत कुमार के अनुसार रविवार को राहू-केतु के बीच सभी ग्रहों के रहने से काल सर्प योग की स्थिति बनेगी। इसलिए नाग-नागिन की पूजा के साथ चांदी का नाग-नागिन दान करने से नाग देवता भी प्रसन्न होंगे।
शिव के लिए पार्वती ने रखा था व्रत
आचार्य विपेन्द्र झा माधव के अनुसार त्रेता युग से ही भादव शुक्ल तृतीया को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। मां पार्वती ने भी भगवान शंकर से विवाह के लिए जंगलों में रहकर कठोर तपस्या की थी। भाद्र शुक्ल तृतीया-चतुर्थी के दिन ही भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर मां पार्वती को वरदान दिया था। साथ ही यह भी कहा था कि इस तिथि को जो भी सुहागिन अपने पति के दीघार्यु की कामना के साथ पूजन व व्रत रखेंगी उनकी मुरादें पूरी होंगी।
जागरण की भी परंपरा
आचार्य राजनाथ झा के मुताबिक तीज पूजा में महिलाएं ठों पहर पूजन करती हैं। इस वजह से उन्हें पूरी रात जागना पड़ता है। रात काटने के लिए व्रती महिलाएं माता के भजन गाती रहती हैं। तीज में महिलाओं के मायके से भी साड़ी, शृंगार प्रसाधन की वस्तुएं व मिठाई आदि उपहार स्वरूप आते हैं। पति व सास से भी व्रतियों को साड़ी,आदि के उपहार मिलते हैं।
सुंदर पति के लिए कुंवारी भी रखती हैं व्रत
सुहागिन महिलाओं के अलावा कुंवारी लड़की भी तीज का व्रत रखती हैं। सुंदर पति की कामना के साथ कुंवारी लड़कियां भी यह व्रत रखती हैं।
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