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नई दिल्ली : 90 साल के
इतिहास में पहली बार आरएसएस में बड़ा विद्रोह हुआ है। संगठन की गोवा इकाई
के प्रमुख को हटाने के विरोध में 600 सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया है। गोवा
में बीजेपी की परेशानी बढ़ सकती है, क्योंकि नए गोवा आरएसएस के प्रमुख ने
अगले साल चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है।
आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ
आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ अभी
तक संघ को अनुशासित संगठन के तौर पर माना जाता रहा है। लेकिन, गोवा में
जिस तरीके से संगठन के भीतर गृह युद्ध छिड़ा हुआ है उसने आरएसएस की इस
पहचान को सवालों के घेरे में ला दिया है। संगठन के लिए यह चिंता का विषय बन
गया है।
गोवा में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं
गोवा में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने
हैं। अब तक आरएसएस के जो कार्यकर्ता बीजेपी को जिताने में जी जान लगाते थे
अब वो बीजेपी की हार के लिए रणनीति बना रहे हैं। विवाद शुरू हुआ है गोवा
आरएसएस प्रमुख सुभाष वेलिंगकर को हटाने से सुभाष के समर्थन में 600 आरएसएस
कार्यकर्ताओं ने इस्तीफा दे दिया है।
विधानसभा चुनाव लड़ने का एलान भी कर दिया है
सुभाष वेलिंगकर ने आरएसएस के कोंकण प्रांत
से अलग होकर गोवा आरएसएस के नाम से नया संगठन खड़ा कर दिया है। साथ ही
अगले साल सभी सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ने का एलान भी। 13 साल की उम्र
में ही आरएसएस से जुड़े सुभाष वेलिंगकर को गोवा की सियासत में ताकतवर माना
जाता है। जो कि भारतीय भाषा सुरक्षा मंच नाम का संगठन भी चलाते हैं।
अंग्रेजी को ज्यादा तरजीह दी जा रही है
सुभाष के करीबियों के मुताबिक रक्षा
मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भारतीय भाषाओं को लेकर चुनाव में जो वादे किये थे
वो पूरे नहीं किये। स्कूलों में मराठी, कोंकणी की बजाए अंग्रेजी को ज्यादा
तरजीह दी जा रही है। विद्रोह की वजह सुभाष के समर्थक इसको ही बता रहे हैं। संघ प्रचार प्रमुख का अलग मत है।
कोई भी इकाई खुद को प्रान्त से अलग नहीं कर सकती
आरएसएस के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने
कहा है कि संघ की कोई भी इकाई खुद को प्रान्त से अलग नहीं कर सकती। ये
आरएसएस की केंद्रीय इकाई का फैसला है। गोवा का विभाग कोंकण प्रान्त का
हिस्सा बना रहेगा और गोवा विभाग के पदाधिकारियों की घोषण जल्द की जायेगी।
ठीकरा मनोहर पर्रिकर और नितिन गडकरी पर फोड़ा है
सुभाष वेलिंगकर ने खुद को हटाये जाने का
ठीकरा मनोहर पर्रिकर और नितिन गडकरी पर फोड़ा है। 20 अगस्त को वेलिंगकर के
समर्थकों ने अमित शाह को काले झंडे दिखाये थे। हम आपको बता दें कि देश में
शासन कर रही बीजेपी के ज्यादातर बड़े नेता और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी भी आरएसएस के सदस्य रहे हैं. बीजेपी आरएसएस की ही राजनीतिक इकाई है।
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