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- शिव जी को खुश करने के लिए जरूर लगानी चाहिए ये दोनों चीजें। पुराणों में बताई गई है इसकी वजह।
- भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए कठिन तपस्या और भोग सामग्री की भी जरूरत होती है जबकि शिव जी थोड़ी सी भक्ति और बेलपत्र एवं जल से भी खुश हो जाते हैं। यही कारण है कि भक्तगण जल और बेलपत्र से शिवलिंग की पूजा करते हैं। शिव जी को ये दोनों चीजें क्यों पसंद हैं इसका उत्तर पुराणों में दिया गया है।
सागर मंथन के समय जब हालाहल नाम का विष निकलने लग तब विष के प्रभाव से सभी देवता एवं जीव-जंतु व्याकुल होने लगे। ऐसे समय में भगवान शिव ने विष को अपनी अंजुली में लेकर पी लिया। विष के प्रभाव से स्वयं को बचाने के लिए शिव जी ने इसे अपनी कंठ में रख लिया इससे शिव जी का कंठ नीला पड़ गया और शिव जी नीलकंठ कहलाने लगे।
भगवान शिव को औढ़र दानी कहते हैं। शिव का यह नाम इसलिए है क्योंकि यह जब देने पर आते हैं तो भक्त जो भी मांग ले बिना हिचक दे देते हैं। इसलिए सकाम भावना से पूजा-पाठ करने वाले लोगों को भगवान शिव अति प्रिय हैं। भगवान विष्णु को प्रसन्न करना कठिन भी है और इनसे वरदान प्राप्त करना उससे भी कठिन क्योंकि, यह बहुत ही सोच-समझकर वरदान देते हैं।
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