शेर हो रहे हैं ढेर...

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न्यूज़: क्या उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से नहीं पाले जा रहे शेर?
क्यों अखिलेश यादव नहीं करवा पा रहे बीमार शेरों का इलाज?
आखिर क्यों इटावा के लॉयन सफारी में नहीं बच पाई 8 शेरों की जान?
अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में शेरों की मौत का ये सिलसिला कहीं कटवा न दे अखिलेश की नाक
शुरू में जब लायन सफारी में शेरों की मौत हुई तो वन विभाग के अफसरों ने सीएम अखिलेश यादव को समझा दिया कि गुजरात ने बीमार शेर दिए थे, जो बूढ़े भी हो चुके थे. लेकिन जब तीन साल की शेरनी तपस्या की जान गई तो सबकी पोल खुल गयी. अखिलेश ने अपने कई अफसरों को हटा दिया.
उत्तर भारत के पहले शेर प्रोजेक्ट और 800 एकड़ में फैले इटावा के लॉयन सफारी में जब शेरों की मौत का सिलसिला नहीं थमा तो मुख्यमंत्री अखिलेश ने लंदन से एक्सपर्ट्स को बुला लिया.
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने दस साल पहले इटावा में लायन सफारी बनाने का सपना देखा था. उन दिनों वे उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री थे. लेकिन मुलायम का सपना अधूरा रहा . फिर मायावती सीएम बनी और उन्होंने सफारी की फाईल ही बंद कर दी. लेकिन 2012 में अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री बनते ही पिता के ड्रीम प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया.
सेंट्रल जू ऑथोरिटी ने अखिलेश सरकार को लायन सफारी की मंजूरी के लिए एक शर्त रखी. शर्त ये थी कि पहले शेर का प्रजनन केंद्र बनाया जाए. फिर शेरों के बच्चे होने पर उन्हे जंगल में छोड़ा जाए. बस यही से गड़बड़ शुरू हो गयी. पहले शेर-शेरनी मरे और फिर उनके बच्चे. इटावा के लिए शेर गुजरात से लाये गए हैं. लेकिन 15 महीने में 8 शेरों की मौत के बाद विपक्षी दल लॉयन सफारी को बंद करने की मांग कर रहे हैं. लेकिन यूपी के वन मंत्री का कहना है कि गुजरात ने बीमार शेर दिए थे इसीलिए उनकी मौत हो गई.
इटावा के लॉयन सफारी में शुरू में गुजरात से 11 शेर लाए गए थे लेकिन 3 शेरों की मौत के बाद सिर्फ 8 बड़े शेर ही यहां जिंदा बचे हैं. 11 शेरों से 5 शावक पैदा हुए थे लेकिन बदकिस्मती से एक भी बच्चा जिंदा नहीं बच पाया. अब सिर्फ यहां शेरों के 4 जोड़े मौजूद हैं इनमें पटौदी-जेसिका, कुआंरी-कुबेर, मनन हीर और गीगो-ग्रीस्मा की जोड़ियां शामिल हैं.
वैसे भी शेर के बहाने अखिलेश और मोदी पहले ही आपस में भिड़ चुके हैं. पीएम बनने से पहले यूपी के बहराइच की चुनावी रैली में मोदी ने तंज कसते हुए कहा था कि गुजरात के शेर संभालना अखिलेश के बसकी बात नहीं है तो अखिलेश ने भी पलटवार करते हुए कहा कि मोदी ने उन्हें शेर दिए हैं तो उन्होंने भी लकड़बग्घा जैसे जानवर गुजरात को दिए हैं.
नरेंद्र मोदी ने अखिलेश यादव का ये कह कर मजाक उड़ाया था कि काश उनसे शेर के बदले बिजली मांग ली होती, या फिर अमूल का दूध मांग लिया होता. ये बातें भले ही दो साल पुरानी हो गई है, लेकिन यूपी की सियासी हवा फिर शेर की तरफ घूमने लगी है.



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