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नई दिल्ली: जेएनयू में देश विरोधी नारे को लेकर देश में हंगामा मचा है लेकिन अब इस मामले में एक नया मोड़ आया है जो पूरे विवाद को पलट सकता है. ऐसा हो सकता है कि कन्हैया ने न देश विरोधी नारे लगाए और न ही अफजल की बरसी पर हुए कार्यक्रम में कोई भड़काऊ भाषण ही दिया.
पीटीआई सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि गृह मंत्रालय के अफसर ये मानते हैं कि कन्हैया के खिलाफ देशद्रोह का केस अति उत्साह में लिया गया कदम हो सकता है. खुफिया एजेंसियों ने भी गृह मंत्रालय को रिपोर्ट दी है कि हालांकि कन्हैया संसद हमले के दोषी अफजल की बरसी के कार्यक्रम में मौजूद था लेकिन उसने न भारत विरोधी नारे लगाए और न ही उसने ऐसा कुछ कहा जिससे उसपर देशद्रोह का केस बनता है.
पीटीआई के सूत्रों के मुताबिक अधिकारियों ने कहा है कि भारत विरोधी नारे DSU यानी DEMOCRATIC STUDENTS UNION ने लगाए जो कि सीपीआई माओवादी का छात्रसंगठन है. अफजल की बरसी पर कार्यक्रम के लिए जो पोस्टर लगाए गए थे उसपर भी सीपीआई के छात्र संगठन DSU के नेताओं के ही नाम थे.
कन्हैया भाकपा (सीपीआई) की छात्र शाखा एआईएसएफ का सदस्य है जबकि डीएसयू एक चरमपंथी वाम संगठन है. अधिकारियों ने बताया कि मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टी का कोई छात्र संगठन चरमपंथी वाम विचारधारा वाले संगठन के साथ नहीं जा सकता . इसके अलावा, जेएनयू परिसर में चिपकाए गए पोस्टरों में सिर्फ डीएसयू नेताओं के नाम छपे थे . पोस्टरों के जरिए छात्रों को कार्यक्रम में आने के लिए आमंत्रित किया गया था .
सुरक्षा एजेंसियों ने गृह मंत्रालय के अधिकारियों को बताया कि कन्हैया ने वहां भाषण दिया लेकिन उसे देश विरोधी नहीं कहा जा सकता . अधिकारियों ने बताया कि कन्हैया के खिलाफ देशद्रोह का आरोप लगाना कुछ ‘‘अति उत्साही’’ पुलिस अधिकारियों का काम हो सकता है .
दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर एस ए आर गिलानी की अध्यक्षता वाली कमिटी फॉर रिलीज ऑफ पोलिटिकल प्रिजनर्स (सीआरपीआर) ने भी इस कार्यक्रम का समर्थन किया था . मूल रूप से माओवादियों से सहानुभूति रखने वालों ने सीआरपीआर का गठन किया था. बाद में इसका प्रभार गिलानी को सौंप दिया गया. गिलानी को संभवत: इस वजह से सीआरपीआर का प्रभार सौंपा गया ताकि वह कश्मीरी अलगाववादियों और नगा अलगाववादियों सहित चरमपंथी विचारधारा वाले लोगों को संगठन में शामिल कर सकें.
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा था कि अफजल पर जेएनयू में आयोजित विवादित कार्यक्रम को लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद का ‘समर्थन’ मिला था. गृह राज्य मंत्री किरेन रिजीजू ने कल कहा था कि हाफिज सईद जेएनयू में हुए कार्यक्रम का समर्थन कर रहा था
दिल्ली पुलिस ने जेएनयू विवाद पर गृह मंत्रालय को जो रिपोर्ट सौंपी है उसमें भी कन्हैया का कोई जिक्र नहीं है. आज कन्हैया की पुलिस रिमांड खत्म हो रही है उन्हें पटियाला हाउस कोर्ट में पुलिस पेश करेगी. दिल्ली पुलिस के कमिश्नर बीएस बस्सी ने कहा है कि वो कन्हैया के खिलाफ कोर्ट में सबूत पेश करेगी.
इस मामले पर सूत्रों के हवाले से गृह मंत्रालय का पक्ष सामने आया है. गृह मंत्रालय का कहना है कि कन्हैया को लेकर अभी हम किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं. गृह मंत्रालय सूत्रों का ये भी कहना है कि सिर्फ देश विरोधी नारे लगाना ही देशद्रोह नहीं है ऐसी दूसरी करतूतें भी हैं जो देशद्रोह के दायरे में आते हैं.
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नई दिल्ली: जेएनयू में देश विरोधी नारे को लेकर देश में हंगामा मचा है लेकिन अब इस मामले में एक नया मोड़ आया है जो पूरे विवाद को पलट सकता है. ऐसा हो सकता है कि कन्हैया ने न देश विरोधी नारे लगाए और न ही अफजल की बरसी पर हुए कार्यक्रम में कोई भड़काऊ भाषण ही दिया.
पीटीआई सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि गृह मंत्रालय के अफसर ये मानते हैं कि कन्हैया के खिलाफ देशद्रोह का केस अति उत्साह में लिया गया कदम हो सकता है. खुफिया एजेंसियों ने भी गृह मंत्रालय को रिपोर्ट दी है कि हालांकि कन्हैया संसद हमले के दोषी अफजल की बरसी के कार्यक्रम में मौजूद था लेकिन उसने न भारत विरोधी नारे लगाए और न ही उसने ऐसा कुछ कहा जिससे उसपर देशद्रोह का केस बनता है.
पीटीआई के सूत्रों के मुताबिक अधिकारियों ने कहा है कि भारत विरोधी नारे DSU यानी DEMOCRATIC STUDENTS UNION ने लगाए जो कि सीपीआई माओवादी का छात्रसंगठन है. अफजल की बरसी पर कार्यक्रम के लिए जो पोस्टर लगाए गए थे उसपर भी सीपीआई के छात्र संगठन DSU के नेताओं के ही नाम थे.
कन्हैया भाकपा (सीपीआई) की छात्र शाखा एआईएसएफ का सदस्य है जबकि डीएसयू एक चरमपंथी वाम संगठन है. अधिकारियों ने बताया कि मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टी का कोई छात्र संगठन चरमपंथी वाम विचारधारा वाले संगठन के साथ नहीं जा सकता . इसके अलावा, जेएनयू परिसर में चिपकाए गए पोस्टरों में सिर्फ डीएसयू नेताओं के नाम छपे थे . पोस्टरों के जरिए छात्रों को कार्यक्रम में आने के लिए आमंत्रित किया गया था .
सुरक्षा एजेंसियों ने गृह मंत्रालय के अधिकारियों को बताया कि कन्हैया ने वहां भाषण दिया लेकिन उसे देश विरोधी नहीं कहा जा सकता . अधिकारियों ने बताया कि कन्हैया के खिलाफ देशद्रोह का आरोप लगाना कुछ ‘‘अति उत्साही’’ पुलिस अधिकारियों का काम हो सकता है .
दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर एस ए आर गिलानी की अध्यक्षता वाली कमिटी फॉर रिलीज ऑफ पोलिटिकल प्रिजनर्स (सीआरपीआर) ने भी इस कार्यक्रम का समर्थन किया था . मूल रूप से माओवादियों से सहानुभूति रखने वालों ने सीआरपीआर का गठन किया था. बाद में इसका प्रभार गिलानी को सौंप दिया गया. गिलानी को संभवत: इस वजह से सीआरपीआर का प्रभार सौंपा गया ताकि वह कश्मीरी अलगाववादियों और नगा अलगाववादियों सहित चरमपंथी विचारधारा वाले लोगों को संगठन में शामिल कर सकें.
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा था कि अफजल पर जेएनयू में आयोजित विवादित कार्यक्रम को लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद का ‘समर्थन’ मिला था. गृह राज्य मंत्री किरेन रिजीजू ने कल कहा था कि हाफिज सईद जेएनयू में हुए कार्यक्रम का समर्थन कर रहा था
दिल्ली पुलिस ने जेएनयू विवाद पर गृह मंत्रालय को जो रिपोर्ट सौंपी है उसमें भी कन्हैया का कोई जिक्र नहीं है. आज कन्हैया की पुलिस रिमांड खत्म हो रही है उन्हें पटियाला हाउस कोर्ट में पुलिस पेश करेगी. दिल्ली पुलिस के कमिश्नर बीएस बस्सी ने कहा है कि वो कन्हैया के खिलाफ कोर्ट में सबूत पेश करेगी.
इस मामले पर सूत्रों के हवाले से गृह मंत्रालय का पक्ष सामने आया है. गृह मंत्रालय का कहना है कि कन्हैया को लेकर अभी हम किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं. गृह मंत्रालय सूत्रों का ये भी कहना है कि सिर्फ देश विरोधी नारे लगाना ही देशद्रोह नहीं है ऐसी दूसरी करतूतें भी हैं जो देशद्रोह के दायरे में आते हैं.
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