राष्ट्र प्रेम: जिस घर से अफज़ल निकलेगा...उस घर को...

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कितने अफज़ल मरोगे,  हर घर में अफज़ल निकलेगा का जवाब है ये कविता।  यदि आप सहमत है तो जरूर Share करे। 

घर - घर में घुस कर मारेंगे , जिस घर से अफज़ल निकलेगा।

वो कोख नहीं बच पाएगी , जिस कोख में अफज़ल।

ये राष्ट्र प्रेम का दम्भ चला है, खूं फैलेगा अफज़ल का।

साफ़ करूंगा माँ का आँचल , कसम लिया गंगाजल का।

गन्दा हाथ ना छू पाएगा , माँ के पावन आँचल को।

बाघा में ही क़ब्र बनेगी , आस्तीनों के सांपो की।

फ़न कुचलेंगे वही पर उनका, बिल से जब भी निकलेगा।

उस घर को आग लगा देंगे, जिस घर से अफज़ल निकलेगा।।

                                                                          ....जय हिन्द।।
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