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- केस के मुताबिक, ट्रम्प यूनिवर्सिटी ने स्टूडेंट्स से वादा किया था कि वो एक प्रोग्राम के जरिए रियल एस्टेट में सक्सेस के मंत्र सिखाएंगे।
- स्टूडेंट्स ने आरोप लगाया था कि 35 हजार USD यानी करीब 24 लाख रुपए का ये प्रोग्राम अपने वादों पर खरा नहीं उतरा।
- उनका कहना था, "स्टूडेंट्स को धोखा दिया गया, उन्हें बताया गया कि ये एक यूनिवर्सिटी प्रोग्राम है, लेकिन तब तो ये अधिकृत रूप से एक स्कूल भी नहीं था।"
- इस प्रोग्राम के बारे में ये भी कहा गया था कि ट्रम्प ने खुद चुने गए इंस्ट्रक्टर्स को इस प्रोग्राम में लगाया है।
सेटलमेंट को राजी नहीं थे ट्रम्प
- प्रेसिडेंट इलेक्शन कैंपेन के दौरान ट्रम्प ने कई बार कहा कि वो इस कानूनी मामले में सेटलमेंट नहीं करेंगे।
- मई में कैंपेन के दौरान ट्रम्प ने कहा कि वो प्रेसिडेंट इलेक्शन जीतने के बाद सैन डियागो जाएंगे और केस का सामना करेंगे।
- ट्रम्प ने कहा था, "मैं चाहता तो ये केस पहले ही सेटल कर चुका होता, लेकिन मैं इसका सेटलमेंट नहीं चाहता, क्योंकि हम लोग गलत नहीं हैं।"
- इसके पीछे ट्रम्प ने तर्क दिया, "जब आप केस का सेटलमेंट करने लगते हैं तो क्या होता है, तब हर कोई आप पर केस करने लगता है। लेकिन मैं एक समझौता करने वाले के रूप में पहचान बनाना नहीं चाहता।"
फ्रॉड यूनिवर्सिटी की हार हुई- अटॉर्नी जनरल
- सेटलमेंट के बाद अटॉर्नी जनरल श्नाइडरमैन ने कहा कि डील के मुताबिक, ट्रम्प को गड़बड़ी स्वीकार करने की जरूरत नहीं है।
- "पीड़ित स्टूडेंट्स को मुआवजे के तौर पर सेटलमेंट की राशि ट्रम्प या उनकी किसी बिजनेस कंपनी को देनी होगी, इसके अलावा स्टेट को भी जुर्माना देना होगा।"
- श्नाइडरमैन ने कहा कि ट्रम्प ने निराधार आरोप लगाए, बेवजह की अपील की, लेकिन सेटलमेंट को राजी नहीं हुए। पर आज सब बदल गया है।
- अटॉर्नी जनरल ने कहा, "ये डोनाल्ड ट्रम्प का चौंकाने वाला कदम है। ये 6000 पीड़ित स्टूडेंट्स की फ्रॉड यूनिवर्सिटी पर जीत है।"
- "ट्रम्प यूनिवर्सिटी के पीड़ितों ने लंबा इंतजार किया है। मुझे खुशी है कि उनके इंतजार और लंबे समय तक टिके रहने के चलते उन्हें ये मुआवजा मिल रहा है।"
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सैन डियागो : प्रेसिडेंट इलेक्ट डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनी यूनिवर्सिटी
को फ्रॉड केस से बचाने के लिए 25 मिलियन यूएस डॉलर यानी करीब 170 करोड़
रुपए का सेटलमेंट किया है। ट्रम्प पहले इससे इनकार कर चुके थे। ट्रम्प की
यूनिवर्सिटी पहले स्कूल फॉर रियल एस्टेट इनवेस्टर्स नाम से जानी जाती थी।
उस पर तीन केस दर्ज किए गए थे। केस के निपटारे के लिए ट्रम्प इस भारी-भरकम
सेटलमेंट पर राजी हो गए। न्यूयॉर्क स्टेट अटॉर्नी जनरल एरिक श्नाइडरमैन ने
कहा कि उन्होंने तीन साल पहले एक केस फाइल किया था। इसके अलावा
कैलिफोर्निया में ट्रम्प यूनिवर्सिटी के पूर्व स्टूडेंट्स की ओर से दो केस
दायर किए गए थे।
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- केस के मुताबिक, ट्रम्प यूनिवर्सिटी ने स्टूडेंट्स से वादा किया था कि वो एक प्रोग्राम के जरिए रियल एस्टेट में सक्सेस के मंत्र सिखाएंगे।
- स्टूडेंट्स ने आरोप लगाया था कि 35 हजार USD यानी करीब 24 लाख रुपए का ये प्रोग्राम अपने वादों पर खरा नहीं उतरा।
- उनका कहना था, "स्टूडेंट्स को धोखा दिया गया, उन्हें बताया गया कि ये एक यूनिवर्सिटी प्रोग्राम है, लेकिन तब तो ये अधिकृत रूप से एक स्कूल भी नहीं था।"
- इस प्रोग्राम के बारे में ये भी कहा गया था कि ट्रम्प ने खुद चुने गए इंस्ट्रक्टर्स को इस प्रोग्राम में लगाया है।
सेटलमेंट को राजी नहीं थे ट्रम्प
- प्रेसिडेंट इलेक्शन कैंपेन के दौरान ट्रम्प ने कई बार कहा कि वो इस कानूनी मामले में सेटलमेंट नहीं करेंगे।
- मई में कैंपेन के दौरान ट्रम्प ने कहा कि वो प्रेसिडेंट इलेक्शन जीतने के बाद सैन डियागो जाएंगे और केस का सामना करेंगे।
- ट्रम्प ने कहा था, "मैं चाहता तो ये केस पहले ही सेटल कर चुका होता, लेकिन मैं इसका सेटलमेंट नहीं चाहता, क्योंकि हम लोग गलत नहीं हैं।"
- इसके पीछे ट्रम्प ने तर्क दिया, "जब आप केस का सेटलमेंट करने लगते हैं तो क्या होता है, तब हर कोई आप पर केस करने लगता है। लेकिन मैं एक समझौता करने वाले के रूप में पहचान बनाना नहीं चाहता।"
फ्रॉड यूनिवर्सिटी की हार हुई- अटॉर्नी जनरल
- सेटलमेंट के बाद अटॉर्नी जनरल श्नाइडरमैन ने कहा कि डील के मुताबिक, ट्रम्प को गड़बड़ी स्वीकार करने की जरूरत नहीं है।
- "पीड़ित स्टूडेंट्स को मुआवजे के तौर पर सेटलमेंट की राशि ट्रम्प या उनकी किसी बिजनेस कंपनी को देनी होगी, इसके अलावा स्टेट को भी जुर्माना देना होगा।"
- श्नाइडरमैन ने कहा कि ट्रम्प ने निराधार आरोप लगाए, बेवजह की अपील की, लेकिन सेटलमेंट को राजी नहीं हुए। पर आज सब बदल गया है।
- अटॉर्नी जनरल ने कहा, "ये डोनाल्ड ट्रम्प का चौंकाने वाला कदम है। ये 6000 पीड़ित स्टूडेंट्स की फ्रॉड यूनिवर्सिटी पर जीत है।"
- "ट्रम्प यूनिवर्सिटी के पीड़ितों ने लंबा इंतजार किया है। मुझे खुशी है कि उनके इंतजार और लंबे समय तक टिके रहने के चलते उन्हें ये मुआवजा मिल रहा है।"
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