सपा विवाद समाप्ति पर विशेष-

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 साथियों,
एक महीने पहले शुरू हुआ समाजवादी पार्टी का हाई प्रोफाइल विवाद या नाटक समापन की ओर बढ़ रहा है।उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के हमदर्द की भूमिका निभाने वाले पार्टी के निलंबित महासचिव प्रवक्ता राज्य सभा के नेता रामगोपाल यादव को पुनः उनके पदों पर बहाल कर दिया गया है।अखिलेश के अन्य निलम्बित या निष्कासित नेताओं की भी घर वापसी बहुत जल्दी होने वाली है।

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अब पार्टी में कोई बेइमानी नहीं है और प्रजापति कीच तरह सभी पाक़ साफ हो गये हैं।जो पार्टियाँ सपा को कमजोर मानकर गठबंधन करने को तैयार थी उन्हें करारा झटका सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने दे दिया है।उन्होंने साफ कर दिया कि हम किसी की बैशाखी के सहारे नहीं बल्कि अपने कार्यों के बल अकेले चुनाव लड़कर अगली सरकार फिर से बनायेगें।कांग्रेस मुलायम सिंह के इस झटके से तिलमिला उठी है क्योंकि वह सपा के साथ चुनावी गठबंधन करने के लिये लालायित थी।लालूप्रसाद यादव नीतीष कुमार व शरद यादव जैसे लोग जो सपा के रजत जयंती समारोह में चुटकी ले रहे थे उनके होश ही गुम हो गये हैं।इस विवाद से सपा को मीडिया ने एक बार पुनः इतना चर्चा में ला दिया कि इतना करोड़ों खर्च करने के बाद भी नहीं हो पाता।इस विवाद से अखिलेश हीरो बने और उनके विरोधी बेइमान बन गये।आपसी छींटाकशी अब समाप्त हो गयी है और जो जहाँ पर है वह वहीं पर खुश नजर आने लगे हैं।लगता है कि कभी कोई विवाद ही नहीं था और न आगे होने की उम्मीद ही है।समाजवादी पार्टी का ईमानदार व बेइमान दोनों खेमे एक साथ आगामी चुनाव लड़ने जा रहे हैं।इस विवाद में अखिलेश यादव को मिले पार्टी व जन समर्थन के बाद सपा मुखिया को फिर लगने लगा है कि वह अकेले दम पर चुनाव फतह करके अगली सरकार बना लेंगे।सरकार किसकी बनेगी यह तो भविष्य ही बतायेगा किन्तु इतना तो तय है कि अगली सरकार अकेले दम पर किसी भी दल को बनाना आसान नहीं होगा।काली कमाई करने वालों के विरुद्ध प्रधानमंत्री द्वारा की गयी सर्जिकल स्ट्राइक अगले चुनाव में निर्णायक भूमिका अदा करेगी और बेहिसाब धन खर्च करने में तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।पार्टियों द्वारा अगले विधान सभा चुनाव के लिये पाँच साल में एकत्र की गयी काली कमाई पर चुनावी सर्जिकल स्ट्राइक हो गयी है।इधर उधर से इकट्ठा की गयी चुनावी धनराशि को नयी करेन्सी के रूप में बदलने की मुहिम चलाई जा रही है और इसके खिलाफ एक देश व्यापक विरोध करने की तैयारी शुरू कर दी गयी है।दो दिन पहले दिल्ली में बैंक में लाइन लगाकर पैसा लेने वालों की हमदर्दी लेने गये दिल्ली के मुख्यमंत्री व ममता बनर्जी के सामने जिस तरह लोगों ने मोदी समर्थन में नारे लगाये उससे सभी दल सकते में आ गये हैं।दूसरी तरफ महिलाओं को दी गयी छूट व शादी में एक साथ रकम निकालने की सुविधा के बाद कुछ समस्या समाधान तो हुआ है। अगर छोटे नोटों की उपलब्धता हो जाय और दो हजार का नोट तोडने में आ रही दिक्कत समाप्त कर दी जाय तो समस्या से आमजन को राहत मिल सकती है।दो हजार का नया नोट न टूटने से वह भी नकली से बदतर हो गया है क्योंकि पुराने नोट नकली हो जाने के बावजूद अभी उनकी कीमत है और लोग उन्हें कम ज्यादा कटौती करके ले ले रहे हैं।समाजवादी पार्टी का विवाद भले ही शान्त हो रहा हो लेकिन नोटों का विवाद चुनाव तक चलता रहेगा और इससे जुड़ी समस्याओं को मुद्दा बनाकर आगामी चुनाव लड़ा जायेगा।

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