विधिविधान से करे नवरात्रि की तैयारी।

--
आशीर्वाद पाने का मौका हैं।  इन नौ दिन विधि-विधान से मां भगवती की अराधना करने से मां अपने भक्तों की मनचाही मुराद पूरी करती हैं। शारदीय नवरात्र का शुभारंभ एक अक्तूबर से है। इस बार दस दिन के नवरात्रि का विशेष संयोग सभी के लिए शुभ फल देने वाला है। ज्योतिर्विद पं.दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली  के अनुसार अमावस्या की शाम को नवरात्रि के लिए तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। जानिए नवरात्रि में किस विधि से मां भगवती की उपासना करनी चाहिए:

-- --
--


कलश स्थापना का मुहूर्त
कलश स्थापना का मुहूर्त एक अक्टूबर सुबह 11:36 से 12:24 बजे तक है। नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री का पावन दर्शन किया जाएगा।
कलश या घट स्थापना के लिए जरूरी चीजें
मिट्टी का पात्र और जौ, साफ की हुई मिट्टी, जल से भरा हुआ सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश, लाल सूत्र, साबुत सुपारी, सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते, मिट्टी का ढक्कन, साबुत चावल, पानी वाला नारियल, लाल कपड़ा या चुनरी, फूल माला, नवरात्र कलश।
स्थापना की विधि
कलश स्थापना के लिए सबसे पहले पूजा स्थल को शुद्ध करना चाहिए। एक लकड़ी का फट्टा रखकर उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और इस कपड़े पर थोड़ा-थोड़ा चावल रखें। इसके बाद पहले गणेश जी का स्मरण करें। मिट्टी के पात्र में जौ बोएं। इस पात्र पर जल से भरा कलश स्थापित करें। कलश पर रोली से स्वास्तिक या ऊं बनाना चाहिए। कलश के मुख पर रक्षासूत्र भी बंधा हो। कलश में सुपारी, सिक्का डालकर आम या अशोक के पत्ते रखें। कलश के मुख को ढक्कन से बंद कर उस पर चावल भर दें। एक नारियल लेकर और उस पर चुनरी लपेटकर रक्षा सूत्र बांध दें। इस नारियल को कलश के ढक्कन पर रखते हुए सभी देवताओं का आह्वान करें। दीप जलाकर कलश की पूजा करें।
चुनरी चढ़ाने से मिलता है मां दुर्गा का आशीर्वाद
माता की चुनरी कभी ख़ाली नहीं चढ़ाना चाहिए , चुनरी के साथ सिंदूर, नारियल, पंचमेवा, मिष्ठान, फल, सुहाग का सामान चढ़ाने से माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मां दुर्गा की चूड़ी, बिछिया, सिंदूर, महावर, बिंदी, काजल चढ़ाना चाहिए।
अखंड ज्योति
अखण्ड ज्योति की बत्ती या तो पूर्व की ओर होने चाहिए या चतुर्मुखी होना चाहिए। अखण्ड ज्योति जलते रहने से घर में किसी भी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव नहीं होता है।
अखंड ज्योति के लिए जरूरी चीजें
पीतल या मिट्टी का साफ दीपक, घी, ज्योति जलाने के लिए रूई की बत्ती, रोली या सिंदूर, चावल
हवन के लिए जरूरी
हवन कुंड, लौंग का जोड़ा, कपूर, सुपारी, गुग्ल, लोबान, घी, पांच मेवा, चावल
नवरात्रि के लिए जरूरी पूजन साम्रगी
फूल माला या फूल, नारियल, पान, सुपारी, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, सिंदूर, मौली, चावल
अश्विन नवरात्रि 2016 
1 अक्तूबर शनिवार – प्रतिपदा
2 अक्तूबर रविवार – द्वितीया
3 अक्तूबर सोमवार – द्वितीया
4 अक्तूबर मंगलवार – तृतीया
5 अक्तूबर बुधवार – चतुर्थी
6 अक्तूबर बृहस्पतिवार – पंचमी
7 अक्तूबर शुक्रवार – षष्ठी
8 अक्तूबर शनिवार – सप्तमी
9 अक्तूबर रविवार – अष्टमी
10 अक्तूबर सोमवार – नवमी
11 अक्तूबर मंगलवार – विजयदशमी, दशहरा।



-- Sponsored Links:-
Share on Google Plus

About PPN

0 comments:

Post a Comment