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इंडियन एक्सप्रेस का कहना है कि केंद्र सरकार ने तीन तलाक़ के मामले में
सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दायर किया है जिसमें कहा गया है कि ये किसी
धर्म का हिस्सा नहीं हो सकता।
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सरकार के हलफ़नामे में 10 देशों के नाम दिए गए हैं जहां मुस्लिमों की बड़ी जनसंख्या है। इसमें उन मुकों के बहुविवाह संबंधी क़ानून, तलाक़ को क़ानून के दायरे में लाने जैसे मुद्दों के बारे में उदाहरण दिया गया है।
केंद्र सरकार ने कहा है कि पिछले 65 सालों में मुस्लिम समाज में किसी तरह के सुधार नहीं हुए जिससे समुदाय की महिलाएं आर्थिक और सामाजिक रूप से बहुत पिछड़ गई हैं।
केंद्र सरकार ने ये हलफ़ानामा अदालत में बहुविवाह और तीन तलाक़ जैसी प्रथाओं पर दाख़िल की गई याचिकाओं के संदर्भ में दी है।
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सरकार के हलफ़नामे में 10 देशों के नाम दिए गए हैं जहां मुस्लिमों की बड़ी जनसंख्या है। इसमें उन मुकों के बहुविवाह संबंधी क़ानून, तलाक़ को क़ानून के दायरे में लाने जैसे मुद्दों के बारे में उदाहरण दिया गया है।
केंद्र सरकार ने कहा है कि पिछले 65 सालों में मुस्लिम समाज में किसी तरह के सुधार नहीं हुए जिससे समुदाय की महिलाएं आर्थिक और सामाजिक रूप से बहुत पिछड़ गई हैं।
केंद्र सरकार ने ये हलफ़ानामा अदालत में बहुविवाह और तीन तलाक़ जैसी प्रथाओं पर दाख़िल की गई याचिकाओं के संदर्भ में दी है।
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