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बेंगलुरु.पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमले के दौरान शहीद हुए
लेफ्टिनेंट कर्नल निरंजन कुमार के घर को यहां का लोकल एडमिनिस्ट्रेशन
गिराने जा रहा है। नगर निगम अफसरों का कहना है कि निरंजन का घर उन 1100
मकान की लिस्ट में है, जिनकी वजह से पानी जमा होता है। इन मकानों को तोड़ा
जाने वाला है। शहीद की फैमिली ने इस फैसले का विरोध किया है। क्या है मामला....
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बेंगलुरु में पिछले महीने भारी बारिश के दौरान सड़कों पर बाढ़ जैसे हालात
पैदा हो गए थे। इसके बाद यहां की लोकल अथॉरिटीज ने ऐसे मकानों की लिस्ट
बनाई जिनकी वजह से वॉटर लॉगिंग होती है।
- इनको ढहाने का प्लान बनाया गया। इस लिस्ट में लेफ्टिनेंट कर्नल निरंजन कुमार का मकान भी शामिल है।
- पिछले तीन साल में यहां 100 एनक्रोचमेंट्स को क्लियर किया गया है। 1100 बिल्डिंग्स को और तोड़ा जाना है।
क्या कहती है फैमिली?
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निरंजन के भाई शशांक ने इस फैसले का विरोध करते हुए कहा- ये सहन करना
हमारे लिए काफी मुश्किल है। पठानकोट अटैक में हमने अपने भाई को खोया है।
मैं इस डिमोलिशन को रोकने की गुजारिश करता हूं। निरंजन ने देश के लिए जान
दी थी और अगर उनका ही मकान गिराया जाता है तो ये शर्म की बात है।
- दूसरी ओर, अफसरों का कहना है कि इन मकानों को गिराने के अलावा उनके पास कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है। निगम कमिश्नर ने कहा- हमारी हमदर्दी निरंजन के परिवार के साथ हैं। लेकिन हम पर्सनल इश्यू की बजाय पब्लिक वेलफेयर को देखते हैं।
- दूसरी ओर, अफसरों का कहना है कि इन मकानों को गिराने के अलावा उनके पास कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है। निगम कमिश्नर ने कहा- हमारी हमदर्दी निरंजन के परिवार के साथ हैं। लेकिन हम पर्सनल इश्यू की बजाय पब्लिक वेलफेयर को देखते हैं।
कौन थे शहीद निरंजन
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34 साल के निरंजन एनएसजी के बम डिस्पोजल स्क्वॉड में थे। 2 जनवरी को
जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने पठानकोट एयरबेस पर हमला किया था।
- हमले के बाद एक आईईडी को डिफ्यूज करते वक्त धमाका हुआ। इसमें निरंजन शहीद हो गए। वैसे तो, निरंजन केरल के पलक्कड़ जिले के रहने वाले थे लेकिन उनकी फैमिली कई साल से बेंगलुरु में ही रह रही है।
- हमले के बाद एक आईईडी को डिफ्यूज करते वक्त धमाका हुआ। इसमें निरंजन शहीद हो गए। वैसे तो, निरंजन केरल के पलक्कड़ जिले के रहने वाले थे लेकिन उनकी फैमिली कई साल से बेंगलुरु में ही रह रही है।
- उनकी फैमिली में वाइफ डॉक्टर राधिका और डेढ़ साल की बेटी विस्मया हैं। एनएसजी दिल्ली में वो एक साल 10 महीने तक रहे।
- एनएसजी में जाने से पहले वे सेना के मद्रास इंजीनियरिंग ग्रुप में अप्वाइंट हुए थे।
- एनएसजी में जाने से पहले वे सेना के मद्रास इंजीनियरिंग ग्रुप में अप्वाइंट हुए थे।
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